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UPS, NPS और OPS में क्या हैं अंतर, किसमें मिलता है कौन सा लाभ

नई दिल्ली. केन्द्र की एनडीए कैबिनेट ने अटलबिहारी वाजपेई सरकार द्वारा 21वर्ष पूर्व लागू किये गये न्यू पेंशन स्कीम में रिफॉर्म को मंजूरी दी है। इसके लिये समानान्तर केन्द्र ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाने का ऐलान किया है। पिछले दिन, शनिवार को केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गयी और अगले वर्ष 1 अप्रैल से इसे लागू करने का प्लान है।
मसलन, अब तक जहां कर्मचारी को ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम में एक का चुनाव करन का मौका मिलता था। वहां अब न्यू पेंशन स्कीम ओर यूनिफाइड पेंशन स्कीम को चुनने का मौका मिलेगा। जिसके तहत कर्मचारियों का अंतिम बैसिक सैलरी के 50 प्रतिशत के बराबर आजीवन पेंशन देने का प्रावधान किया गया है।
योगदान और प्रावधान
स्कीम
कर्मचारी का योगदान
सरकार का योगदान
प्रमुख प्रावधान
OPS
कोई नहीं (पूरी तरह से सरकारी वित्त पोषित)
कोई नहीं (क्योंकि यह पूरी तरह सरकार द्वारा वित्तपोषित है
आखिरी वेतन के 50% की गारंटी; टैक्स-फ्री पेंशन
NPS
मूल वेतन और डीए का 10%
मूल वेतन और डीए का 14%
रिटायरमेंट के दौरान 60% टैक्स फ्री विड्रॉल
UPS
मूल वेतन का 10%
मूल वेतन का 18.5%
25 वर्षों के बाद औसत मूल वेतन का 50%; न्यूनतम ₹10,000 पेंशन
क्या OPS, NPS और UPS में हैं अतंर
केन्द्र सरकार द्वारा संभावित रूप से लागू किये जाने वाले यूनिफाइड पेंशन स्कीम से कर्मचारियों को कई लाभ मिलेंगे। जैसे कि महंगाई बढ़ने के हिसाब से डियरनेस रिलीफ में हाइक मिलेगी। कर्मचारी की मृत्यु पर परिवार वालों को पेंशन का 60 प्रतिशत तत्काल देने की गारंटी और साथ ही ग्रेच्युटी के साथ एक मुश्त सुपरएनुएशन का भी प्रावधान किया गया है। अगर आप केन्द्र सरकार के तहत नौकरी कर रहे है और आपने 10 वर्ष की नौकरी पूरी करली है तो आपको प्रति महीने कम से कम 10 हजार रूपये पेंशन के तौर पर मिलेंगे। मसलन, देश में पेंशन को लेकर अब तक दो योजनायें थी। ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) न्यू पेंशन स्कीम (NPS) और अब तीसरी होगा यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) आईये समझते हैं ओपीएस, एनपीएस और यूपीएस में प्रावधान और इनके अंतर।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम
यूनिफाइड पेंशन स्कीम या यूपीएस, केन्द्र की एनडीए सरकार द्वारा शुरू की गयी एक नयी पहल है। यह ओल्ड पेंशन स्कीम की ही तरह काम करेगा और साथ ही इसमें न्यू पेंशन स्कीम से भी कुछ जरूरी बेनीफिट्स शामिल किये गये है।
क्यों अलग है यूपीएस
पेंशन की राशि- सेवानिवृत्त लोगों को रिटायर्ड से पहले नौकरी के आंखिरी 12 माह में मिलने वाली उनकी बैसिक सैलरी का 50प्रतिशत पेंशन के तौर पर मिलेगा। आमतौर पर इसका पूरा लाभ उन्हें ही मिलेगा। जिन्होंने 25 वर्ष की नौकरी पूरी कर ली है। इससे कम, जैसे कि अगर किसी तरह से आपने 10-25 साल के बीच अपनी नौकरी पूरी कर ली है तो आपका पेंशन उसी हिसाब से एडजस्ट कर दिया जायेगा।
फैमिली पेंशन- अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो इस हालत में उनके परिवार को पेंशन का 60प्रतिशत हिस्सा और यह रकम कर्मचारी की मृत्यु के तत्काल बाद परिवार को दिया जायेगा।
मिनिमम या न्यूनतम पेंशन
अगर किसी कर्मचारी ने कम से कम 10 वर्ष की नौकरी भी पूरी की है तो उन्हें प्रति माह कम से कम 10 हजार रूपये पेंशन के तौर पर मिलेगी।
योगदान कितना देगा होगा
स्रकारी कर्मचारी अपने वेतन का 10प्रतिशत यूपीएस में योगदान देंगे। अब जिस तरह से ओल्ड पेंशन स्कीम में सरकार का कंट्रीब्यूशन 14 प्रतिशत होता था। इसे बढ़ाकर अब यूपीएस के तहत 18.5 प्रतिशत किया जायेगा।
यूपीएस लागू कब होगा
यूपीएस 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाला है। जिसके बािरे में केन्द्र सरकार का कहना है कि इससे कर्मचारियों को अ ौर भी ज्यादा फायनेंशियली सिक्योरिटी मिलेगी।
न्यू पेंशन स्कीम
न्यू पेंशन स्कीम 2004 में अटलबिहार बाजपेई सरकार ने लांच की थीं इसे ओल्ड पेंशन स्कीम की जगह लागू करने का प्लान था। लेकिन इसका विरोध हुआ और लम्बे समय से इसका विरोध हो रहा था। मसलन, एनपीएस के तहत कर्मचारियों से भी पेंशन में कंट्रीब्यूशन लिया जाने लगा। इसमें और भी कुछ प्रावधान किये गये। जैसे कि पेंशन की 60 प्रतिशत रकम आप निकाल सकते थे और 40 प्रतिशत रकम पर संबंधित कर्मचारी के सैलरी ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स लगता था।
एनपीएस में खास
न्यू पेंशन स्कीम4 के तहत मिलने वाला पेंशन कर्मचारी के नौकरी के दरमियान किये गये कंट्रीब्यूशन पर निर्भर करता है और मार्केट परफॉरमेंस के आधार पर देने का प्रावधान है।
एनपीएस में योगदान
स्रकारी कर्मचारी अपने मूल वेतन और डीए का 10प्रतिशत योगदान करते हैं। सरकार इसमें 14प्रतिशत का योगदान करती है एनपीएस में कोई भी कर्मचारी अकाउंट खोल सकता है। जिसमें वह न्यूनतम 500 रूपये का भी योगदान कर सकते है।
एनपीएस में 2 प्रकार के अकाउंट होते हैं
टियर 1-यह एक मैंडेटरी अकाउंट है। जिसमें रिटायरमेंट पर टैक्स बैनिफिट्स मिलते हैं।
टियर 2-यह एक ऑप्शनल कंट्रीब्यूशन अकाउंट है। जिससे किसी भी कर्मचारी अपने पेंशन की रकम निकाल सकते है। लेकिन इससे कुछ टैक्स बेनीफिट नहीं मिलता।
निकासी
कर्मचारी रिटायरमेंट पर एक मुश्त एक्यूमुलेटेड कॉर्पस के तौर पर पेंशन की 60प्रतिशत रकम निकाल सकते है। बाकी रकम का उपयोग रेंगुलर पेंशन के भुगतान के लिये एन्यूटी खरीदने में किया जा सकता है।
टैक्स बैनीफिट्स
अगर आपका अकाउंट एनपीएस के तहत आता है और आप अगर एक मुश्त 60प्रतिशत रकम निकालते हैं तो इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा लेकिन बाकी 40 प्रतिशत रकम पर आपकी सैलरी ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स लगेगा।
ओल्ड पेंशन स्कीम
ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को सरकार की ओर से उनकी आखिरी सैलरी के आधार पर मासिक पेंशन देने का प्रावधान है। मसलन, इस योजना के तहत कर्मचारियों को पेंशन में कंट्रीब्यूशन नहीं देना होता था। हालांकि इसी की जगह 2004 में तत्कालीन बाजपेई सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम लांच की थीं जिसका खूब विरोध भी हुआ। अब तक के चुनावों में ओपीएस को दोबारा से लागू किये जाने के बादे किये जाते रहे हैं।
ओपीएस की खास बात
रिटायरमेंट के दोरान कर्मचारी को उनकी आखिरी सैलरी के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन दिये जाने का प्रावधान था।
कंट्रीब्यूशन
पेंशन की पूरी लागत केन्द्र सरकार वहन करती थी। इसका मतलब यह कि ओपीएस केतहत कर्मचारियों को पेंशन में अपना कंट्रीब्यूशन नहीं देना होता था।
पात्रता
ओपीएस सिर्फ उन सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती है जो 1 जनवरी 2004 से पहले नौकरी में शामिल हुए है।
अडजस्टमेंट
पेंशन को महंगाई भत्ते (DA) में होने वाले बदलावों के अनुसार, समय-समय पर अडजस्ट किया जाता है जो महंगाई से जुड़ा होता है।
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MP के 7.50 लाख कर्मचारियों को रक्षाबंधन से 1240 से 16 हजार तक एरियर मिलेगा, 2 किस्ते और मिलेंगी

भोपाल. मध्यप्रदेश के 7.50 लाख सरकारी कर्मचारी और अधिकारियों को महंगाई भत्ते (DA) के एरियर की पहली किस्त रक्षाबंधन के पहले मिल जायेगी। इसकी कार्यवाही शुरू कर दी गयी है। केसवाइज स्टडी करने की जिम्मेदारी कोष एवं लेखा विभाग को दी गयी है। पहली किस्त में 2 माह का एरियर मिलेगां मोहन यादव सरकार ने कर्मचारियों को 1 जुलाई को 2023 से मिलने वाला 4प्रतिशत डीए लोकसभा चुनाव से ठीक पहले मार्च 2024 में दिया था। उसी वक्त वित्त विभाग ने कहा था कि महंगाई भत्ते के 8 माह का एरियर 3 किस्तों में दिया जायेगा। अब जुलाई 2023 से फरवरी 2024तक का एरियर जुलाई, अगस्त और सितम्बर में दिया जा रहा है। जो विभाग आदेश देरी से जारी होने की वजह से मार्च 2024 में 4% डीए नहीं जोड़ पाये थे वह हर माह की एरियर राशि कर्मचारियों के बैंक अकाउंट में डालेंगे।
42 से बढ़कर 46% मिलेगा डीए
मध्यप्रदेश सरकार ने 15 मार्च 2024 को सरकारी कर्मचायिों के महंगाई भत्त (डीए) में 4प्रतिशत की बढ़ोतरी के आदेश दिये थे। महंगाई भत्ता 42% से बढ़कर 46% किया गया था। आदेश में वित्त विभाग ने कहा था कि कर्मचारियों को एक जुलाई 2023 से 4 %  महंगाई भत्ता स्वीकृत किया जाता है।
साल में दो बार बढ़ाया जाता है डीए
कर्मचारियों के डीए में साल में दो बार जनवरी और जुलाई में वृद्धि की जाती है। केंद्र सरकार जनवरी 2024 में अपने कर्मचारियों का डीए 4 प्रतिशत बढ़ाकर 50 प्रतिशत कर चुकी है। तय प्रक्रिया के तहत एक जुलाई 2024 से केंद्रीय कर्मचारियों का डीए फिर 3 या 4 प्रतिशत बढ़ना है। यह घोषणा जल्द होने की संभावना है।
ऐसा होने पर राज्य के कर्मचारी डीए में केंद्रीय कर्मचारियों से 8 प्रतिशत पीछे हो जाएंगे, जिसकी भरपाई जल्दी नहीं होगी। ऐसे में वे आंदोलन की चेतावनी दे रहे हैं। बता दें कि राज्य के 7.50 लाख कर्मचारियों को जितना डीए दिया जाता है, 4.50 लाख पेंशनरों को उतनी ही महंगाई राहत दी जाती है।

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8th Pay Commission के गठन को लेकर इस संगठन ने केन्द्र सरकार को लिखा पत्र

नई दिल्ली. 8वें वेतन आयोग -लोकसभा चुनाव खत्म होने और नई सरकार के सत्ता संभाल लेने के बाद ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेंडरेशन (AIRF) ने केन्द्र सरकार को एक पत्र लिखकर आठवें वेतन आयोग को गठित करने का आग्रह किया है। नया वेतन आयोग केन्द्र सरकार के कर्मचारियोंकेलिये वेतन और पेंशन में संभावित संशोधन को लेकर रिपोर्ट बनायेगा और अपनी सिफारिशें करेगा।
भारतीय रेलवे कर्मचारियों की सबसे बड़ी ट्रेड यूनियन ऑल इंडिया रेलवे मेंस फेडरेशन के महासचिव शिवगोपाल मिश्रा ने भारत सरकार के कैबिनेट सचिव का एक पत्र लिखा है। इसमें केन्द्रीय सरकार के कर्मचारियों के वेतन/भत्ते/पेंशन और अन्य लाभों को संशोधित करने के लिये 8वें केन्द्रीय वेतन आयोग के तत्काल गठन की मांग की गयी है। इसके गठन का एक करोड़ से ज्यादा केन्द्रीय सरकारी कर्मचारी और पेंशनभोगी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। यह सरकारी कर्मचारियों के वेतन और अन्य लाभों से संबंधित विभिन्न पहलुओं को ध्यान में रखते हुए सरकार को अपनी सिफारिशें सौंपेगा।
कब होगा 8वें वेतन आयोग का गठन
7वें वेतन आयोग के लागू होने के बाद से 10 साल के अंतराल के साथ, अगला वेतन आयोग 1 जनवरी 2026 से लागू होना चाहिये। केन्द्र आमतौर पर 2 अलग-अलग वेतन आयोगों के कार्यान्वयन के बीच 10 साल का अंतराल रखता है। लेकिन, केन्द्र अगले वेतन आयोग के गठन के मामले में अभी तक चुप रहा है। अब जबकि लोकसभा चुनाव खत्म हो चुके हैं और मोदी 3.0 सत्ता में हैं। 8वें वेतन आयोग के गठन को लेकर चर्चा तेज हो गयी है।
अपने पत्र में एआईआरएफ ने सरकार से कहा है कि 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों पर 1 जनवरी 2016 में अमल किया गया था। हालांकि, जनवरी 2016 से न्यूनतम वेतन को संशोधित कर 26 हजार रूपये प्रतिमाह करने की मांग को खारिज कर दिया गया। 26 हजार रूपये के न्यूनतम वेतन की गणना आईएलसी मानदंडों और डॉ. एक्रोयड फॉर्मूला आदि के विभिन्न घटकों के आधार पर की गयी थी।
क्या है AIRF की न्यूनतम वेतन की मांग
संघ ने अपने पत्र में यह भी लिखा है कि उसने सीपीसी के समक्ष यह बात भी रखी है। राष्ट्रीय परिषद () के कर्मचारी पक्ष के प्रस्तावित न्यूनतम वेतन अब भी कम है। दुर्भाग्य से हमारे सभी तर्को को 7वें सीपीसी ने बिना किसी आधार के खारिज कर दिया और न्यूनतम वेतन के रूप् में 18 हजार रूपये की सिफारिश की है।

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जयविलास पैलेस क्यों है खास-चांदी की ट्रेन से परोसा जाता है पेय

ग्वालियर. ऐतिहासिक जयविलास पैलेस का यह एरियल व्यू अपने आप में बेहद अहम है। इसकी खासियत यह है कि ड्रोन से 125 मीटर की ऊंचाई से खींचा गया है। यह फोटो आपके सामने पहली पेश किया जा रहा है।
क्यों खास है जयविलास पैलेस
जयविलास महल ग्वालियर में सिंधिया राजपरिवार का वर्तमान निवास स्थल ही नहीं एक भव्य संग्रहालय भी है। इस महल के 35 कमरों को संग्रहालय बना दिया गया है। इस महल का ज्यादातर हिस्सा इटेलियन स्थापत्य से प्रभावित है। इस महल का प्रसिद्ध दरबार हॉल इस महल के भव्य अतीत का गवाह है, यहां लगा हुए दो फानूसों का भार 2-2 टन का है, कहते हैं इन्हें तब टांगा गया जब 10 हाथियों को छत पर चढा कर छत की मजबूती मापी गई। इस संग्रहालय की एक और प्रसिद्ध चीज है, चांदी की रेल जिसकी पटरियां डाइनिंग टेबल पर लगी हैं और विशिष्ट दावतों में यह रेल पेय परोसती चलती है। इटली, फ्रांस, चीन तथा अन्य कई देशों की दुर्लभ कलाकृतियां यहाँ मौजूद हैं।

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MP में 3 संतान वाले कर्मचारियों की नौकरी खतरे में, सरकारी टीचर नियुक्ति रद्द

भोपाल. मध्यप्रदेश में सरकारी नौकरी करने वाले और उसकी तैयारी करने वालों के लिये आवश्यक खबर है। अगर आपकी भी 2 से अधिक बच्चे हैं तो आपको नौकरी पर खतरा मण्डरा सकता है। मध्यप्रदेश में 3 बच्चे वाले शिक्षकों की सरकारी नौकरी खत्म करने की शुरूआत हो गयी है। ताजा मामला भिण्ड से सामने आया है। जहां 3 बिच्चे पैदा होने पर माध्यमिक शिक्षक की नियुक्ति को निरस्त कर दिया गया है। एमपी में पहली बार नहीं हुआ है। 2 संतान पॉलिसी के तहत शिक्षक की नियुक्ति निरस्त की गयी है।
शिक्षक ने स्वीकारी बात
जांच में गणेश प्रसाद शर्मा ने स्वीकार किया है कि शपथ पत्र में गलत जानकारी देकर माध्यमिक शिक्षक के पद पर उन्होंने नियुक्ति प्राप्त की थी और इसके बाद माध्यमिक शिक्षक के पद पर नियुक्ति प्राप्त करने और 26 जनवरी 2021 के बाद तीसरी संतान पैदा करने की पुष्टि होने पर उनकी नियुक्ति निरस्त कर दी गयी है।
जांच में हुई पुष्टि
ऐसा मामला भिंड जिले का सामने आया है। हाल ही में सीएम राइज स्कूल में अग्रेजी विषय के लिये माध्यमिक शिक्षक गणेश प्रसाद की नियुक्ति के बाद उनके खिलाफ 26 जनवरी 2021 के बाद तीसरी संतान होने संबंिधत शिकायत की गयी थी। इस शिकायत की जब जांच की गयी तो सामने आया सच्चाई सामने आयी ।

क्या कहता है नियम
मध्य प्रदेश सरकार के नियम के मुताबिक कोई भी सरकारी सेवक के अगर 26 जनवरी 2001 के बाद दो से ज्यादा बच्चे हैं तो वह सरकारी नौकरी के लिए पात्र नहीं है। यानी 26 जनवरी 2001 के बाद अगर वे  तीसरे बच्चे के पेरेंट बनतेहैं तो वे नौकरी के लिए अपात्र हो जाते हैं।

 

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Diabetes Control – 5 आयुर्वेदिक फूड से हमेशा कंट्रोल में रहेगी ब्लड शुगर

नई दिल्ली. Diabetes Control  मधुमेह (डायबिटीज) एक गंभीर मेटबॉलिक रोग है जिससे दुनिया भर में लाखों लोग प्रभावित हुए हैं। डायबिटीज के बढ़ते प्रसार के साथ, पारंपरिक चिकित्सा हस्तक्षेत्रों के पूरक वैकल्पिक उपचार विकल्पों का पता लगाना अनिवार्य हो गया है। अकेले भारत में पिछले 4 वर्षो में डायबिटीज के मामलों में 44 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी है और लगभग 10 करोड़ लोग डायबिटीज से प्रभावित है। एक हेल्दी लाइफस्टाइल, उचित पोषण और नियमित व्यायाम के साथ, आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां बेहतर ब्लड शुगर कंट्रोल में योगदान कर सकती हैं और डायबिटीज से पीडित व्यक्तियों के जीवन की क्वालिटी में सुधार कर सकती है। हम आपको 5 ऐसे फूड के बारे में जानकारी देंगे, जो नेचुरली ब्लड शुगर लेवल को हमेशा कंट्रोल में रखेगा।
जामुन

जामुन में हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है. इसमें एंथोसायनिन, एलाजिक एसिड और पॉलीफेनोल्स जैसे बायोएक्टिव कंपाउंड भी होते हैं, जो प्रक्रिया में सहायता करते हैं. जामुन या इसके जूस का सेवन करने से ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने, इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करने और डायबिटीज से जुड़ी जटिलताओं के खतरे को कम करने में मदद करता है. इसकी हाई डायटरी फाइबर सामग्री चीनी अवशोषण को धीमा कर देती है, जिससे बेहतर ग्लाइसेमिक नियंत्रण को बढ़ावा मिलता है. बैलेंस डाइट में जामुन को शामिल करने से डायबिटीज को प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है।
करेला
लंबे समय से आयुर्वेद में करेला को एंटी-डायबिटीज गुणों के लिए उपयोग किया जाता रहा है. इसमें पॉलीपेप्टाइड-पी नामक इंसुलिन जैसा कंपाउंड होता है, जो ब्लड शुगर लेवल को कम करने में मदद करता है. करेला ग्लूकोज के उपयोग को बेहतर बनाने और इंसुलिन स्राव को उत्तेजित करने में भी सहायता करता है, जिससे यह डायबिटीज कंट्रोल करने के लिए एक अच्छा विकल्प बन जाता है।
गिलोय
गिलोय इंसुलिन स्राव को उत्तेजित करके और इंसुलिन सेंसिटिविटी में सुधार करके, ब्लड शुगर लेवल को विनियमित करने में मदद करके हाइपोग्लाइसेमिक प्रभाव प्रदर्शित करता है. इसके अलावा, इसके एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण सूजन को कम कर सकते हैं और इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ा सकते हैं. गिलोय का एंटीऑक्सीडेंट गुण पैंक्रियेटिक बीटा सेल्स की रक्षा करने और डायबिटीज से जुड़े ऑक्सीडेटिव तनाव का प्रतिकार करने में मदद करता है. व्यापक डायबिटीज कंट्रोल योजना में गिलोय को शामिल करने से ब्लड शुगर लेवल को स्थिर बनाए रखने और समग्र कल्याण को बढ़ावा देने के लिए अतिरिक्त सहायता मिल सकती है।
आंवला
आंवला एक शक्तिशाली आयुर्वेदिक जड़ी बूटी है, जो ब्लड शुगर विनियमन सहित कई स्वास्थ्य लाभ प्रदान करती है. यह विटामिन सी और एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर है, जो पैंक्रियाज के काम को बेहतर बनाने और इंसुलिन स्राव को बढ़ाने में मदद करता है. आंवला ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को कम करने में भी सहायता करता है, जो अक्सर मधुमेह से जुड़े होते हैं।
गुड़मार
गुड़मार को प्राकृतिक रूप से डायबिटीज के प्रबंधन में अपनी संभावित भूमिका के लिए पहचाना गया है. यह ग्लूकोज अवशोषण को कम करके और इंसुलिन सेंसिटिविटी को बढ़ाकर ब्लड शुगर लेवल को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है. इसके अतिरिक्त, गुडमार को चीनी की लालसा को कंट्रोल करने और पैंक्रियाज की सेहत का समर्थन करने से जोड़ा गया है।

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सिरोल पहाडी पर अटल स्मारक का काम शुरू

ग्वालियर. सिरोल पहाडी पर भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में बनने वाले अटल स्मारक के लिए बजट में प्रावधान किए जाने के बाद यहां जमीन के समतलीकरण का काम शुरू हो गया है। अटल स्मारक के लिए शीघ्र ही भूमिपूजन हो सकता है। अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर महाराज बाडे पर आयोजित अटल गौरव दिवस पर सीएम शिवराज सिंह की उपस्थिति में सिरोल में अटल स्मारक के लिए आवंटित जमीन के दस्तावेज संस्कृति विभाग को सौपे जा चुके है। सिरोल पहाडी पर पहुंचने के लिए सिरोल रोड से तेंदुलकर रोड को जोडने वाली लिंक रोड सेइस पहाडी जाने के लिए कच्चा मार्ग बना दिया गया है। अगर जल्दी ही यहां के भूमिपूजन के लिए तारीख तय होती है तो इसके लिए यहां पहुंचने के लिए मार्ग तैयार है। पहाडी पर बुलडोजर से पहाडी पर उग आई घास फूस हटा कर जमीन को समतल किया जा रहा है। पहाडी पर जहां यह स्मारक बनना है उसके चारो ओर कच्ची सड़क बनाने का काम चल रहा है।

4.050 हैक्टेयर जमीन आवंटित
अटल बिहारी वाजपेयी की स्मृति में बनने वाले स्मारक के लिए सिरोल में 4.050 हैक्टयर जमीन का आवंटन किया जा चुका है। ग्राम सिरोल के सर्वे क्रमांक 3 की इस जमीन को नजूल निर्वर्तन समिति अपनी स्वीकृति दे चुकी थी। इसके बाद इसे लकेक्टर के पास भेजा गया। संभाग आयुक्त की अध्यक्षता में 24 दिसंबर को निर्वर्तन समिति की बैठक में इसे मंजूर किया गया। 25 दिसंबर को महाराज बाडे पर आयोजित समारोह में इस जमीन के दस्तावेज संस्कृति विभाग को सौंपे गए। प्रदेश सरकार सरकार द्वारा बजट में अटल स्मारक के लिए प्रावधान किए जाने के बाद विभाग ने इस स्मारक के निर्माण की योजना पर काम शुरू कर दिया ळै। योजना का खाका तैयार होते ही इसके लिए ग्वालियर में भव्य कार्यक्रम आयोजित कर इसके लिए भूमिपूजन होगा। इस समारोह में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह के अलावा भाजपा के अन्य नेता आ सकते है। चुनावी वर्ष होने के कारण भाजपा सरकार जल्दी ही इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कराना चाहती है इसलिए इसे जल्दी तैयार कराने के निर्देश दिए गए है।

नहीं बन पा रही सड़क
ईओडब्ल्यू के सामने से कलेक्ट्रेट की ओर जाने वाली सड़क का छोटा सा हिस्सा नहीं बन पा रहा है। ग्वालियर के कलेक्टर अक्षय कुमार को एक मीडिया वर्कशॉप में जानकारी दी गई थी। इसके बाद भी उन्हें इस सड़क के बारे में बताया गया था। यह सड़क तेदुलकर मार्ग को सिरोल से जोड़ती है।

दूर से नजर आएंगे अटलजी
अटल स्मारक में अटलजी की विशाल प्रतिमा स्थापित की जाएगी। इस मूर्ति की उचाई अधिक रहेगी जिससे कि दूर से यह दिखाई दे सके। अटल स्मारक में अटलजी की स्मृतियों को चिरस्थायी बनाने के लिए उनसे जुडा साहित्य और सामग्री एकत्र कर यहां बनाए जाने वाले संग्राहालय में रखा जाएगा। शहर में अटलजी पर यह दूसरी गैलरी होगी। पहली गैलरी गोरखी में बनाई गई है।

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Old Pension Scheme -कर्मचारियों और पेंशनर्स को मिल सकता पुरानी पेंशन का लाभ, कर्मचारी संगठन बोले-एनपीएस योजना सांसदों पर लागू हो

भोपाल. Old Pension Scheme  देश के कई राज्यों में पुरानी पेंशन योजना लागू किया गया है। केन्द्र सरकार द्वारा भी पुरानी पेंशन योजना की मांग को देखते हुए एनपीएस में संशोधन की तैयारी में हैं। ऐसा माना जा रहा है कि एनपीएस में महत्वपूर्ण संशोधन हो सकते है। इस दौरा अन्य एक और राज्य में पुरानी पुरानी पेंशन योजना की मांग दिनों दिन जोर पकड़ रही है। जिसे पिछले दिनों उपमुख्यमंत्री ने कहा था कि पुरानी पेंशन योजना को वापिस लेते हुए 1.1 लाख करोड़ रूपये का वित्तीय बोझ बड़ेगा। जिससे विकास और बुनियादी ढांचे के कार्य पर भी इसका पड़ेगा। हालांकि अब एक बार फिर से सरकार का मूड पुरानी पेंशन योजना को लेकर बदल रहा है।
कर्मचारियों एनपीएस पेंशन योजना नेताओं और मंत्रियों पर हो लागू
देश भर के 9 राज्यों में होने वाले चुनाव को देखते हुए कर्मचारी संगठनों यह कहना भी शुरू कर दिया है जबकि वन पेंशन वन रेंक हो सकती है तो सांसदों और मंत्री और विधायकों पर भी यही एनपीएस पेंशन योजना लागू कर देनी चाहिये। कहने को तो यह जनप्रतिनिधि है। लेकिन अधिकार इन्हें आईएएस जैसे चाहिये। लेकिन सांसद लोग संसद में बैठ कर पक्ष विपक्ष सांसद मेजे थपथपा कर आपने हितों के साधने के लिये बढ़ा लेते हैं। जबकि आम जनता की टैक्स की कमाई हैं। वैसे तो पीएम मोदी अपनी नीति थोप रहे हैं। इन पर अमल कराईये मोदी जी।
पुरानी पेंशन लागू करने की मांग देशभर में
देशभर में पुरानी पेंशन योजना की मांग को लेकर सरकारी कर्मचारियों मांग की जा रही है। सरकार को चेतावनी समेत आन्दोलन की तैयारी की जा रही है। इस दौरान महाराष्ट्र में सरकारी और गैर सरकारी कर्मचारियों के लिये पुरानी पेंशन योजना फिर से शुरू करने की मांग तेज हो गयी है। वर्ष 2005 में महाराष्ट्र के तत्कालीन कांग्रेस एनसीपी सरकार द्वारा पुरानी पेंशन को नयी पेंशन योजना में बदल दिया गया था।

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कैसे कहें कि रामबाबू गड़रिया मर गया-रामश्री (रामबाबू की बहन)

डकैत रामबाबू गड़रिया को पुलिस रिकॉर्ड में टी-1 कहा जाता था। उस पर 5 लाख रुपए का इनाम घोषित था। गड़रिया गैंग ने ग्वालियर के भंवरपुरा गांव में 13 गुर्जरों को एक लाइन में खड़ा करके गोली मार दी थी। इसके बाद गड़रिया चर्चा में आया था।

ग्वालियर. आज से ठीक 24 वर्ष पूर्व, 8 जनवरी 1999 को पुलिस ने दुर्दांत डकैत रामबाबू गड़रिया का पहला एनकाउंटर किया था। पुलिस ने रामबाबू की डेडबॉडी का पोस्टमार्टम कराकर अंतिम संस्कार भी करा दिया गया। लेकिन 4 माह के बाद रामबाबू गड़रिया के जिन्दा होने की खबर मिली। खुलासा तब हुए जब एक अपहृत शख्स की उसकी गिरफ्त से मुक्त होकर घर लौटा है।
पहली मुठभेड़ में गड़रिया नही तो कौन मारा गया
पुलिस विभाग में खलबली मचा कर रखने वाला और पुलिस रिकॉर्ड में टी-1 यह पहचान हैं दुर्दांत डकैत रामबाबू गड़रिया की। सरकारी दस्तावेजों में पुलिस 3 बार रामबाबू का एनकाउंटर कर चुकी है। इनमें से 2 बार की मुठभेड़ झूठी निकली और तीसरे पुलिस मुठभेड़ के बाद से ग्वालियर-चम्बल के बीहड़ में उसका मूवमेंट तो रूक गया, लेकिन उसकी मौत वाले एनकाउंटर पर अब भी सवाल उठ रहे हैं। इसकी वजह अप्रैल 2007 में मारे गये डकैत के चेहरे का मिलान रामबाबू गड़रिया के चेहरे से नहीं होपा है। इसका पर्दाफाश हुआ है। पुलिस की डकैत गड़रिया की जांच पड़ताल में।
2007 में हुए एनकाउंटर में मारे जाने का दावा कर है पुलिस
दुर्दांत डकैत रामबाबू गड़रिया के बहनोई दयाराम ने बताया कि अप्रैल 2007 में पहले 2 बार जनवरी 1999 और जनवरी 2007 में ग्वालियर और शिवपुरी पुलिस रामबाबू के एनकाउंटर में मारे जाने का दावा कर चुकी थी। लेकिन दोनों ही बार रामबाबू गड़रिया जिन्दा पाया गया। जनवरी 1999 में थाना बैराड़ के टीआई अशोक तोमर और उनके साथियों के रामबाबू एनकाउंटर में मारे जाने की घोषणा की थी। सरकार ने इस मुठभेड़ के लिये बैराड़ थाना टीआई अशोक तोमर को आउट ऑफ टर्न प्रमोशन भी दिया गया था।
2001 में फरार हुये थे गड़रिया बंधु
इसके लगभग 6 माह के बाद ग्वालियर के रिठोदन के जंगल में पुलिस की रामबाबू, गोपाल, दयाराम और प्रताप के साथ मुठभेड़ हुई। इस मुठभेड़ के बाद चारों गड़रिया बंधुओं ने सरेंडर किया था। तब बैराड़ टीआई अशोक तोमर के साथ हुई पुलिस एनकाउंटर में रामबाबू के मारे जाने का दावा झूठा साबित हुआ था। हालांकि इसके बाद 2001 में पेशी से डबरा से लौटते समय शाम 4.30 बजे पुलिस कर्मियों की आंखों में मिर्ची झोंक कर चारों भाई पुलिस कस्टडी से फरार हो गये थे।


पुलिस ने जबरदस्ती पहचान कराई -दयाराम गड़रिया
रामबाबू गड़रिया के बहनोई दयाराम गड़रिया ने बताया कि अप्रैल 2007 में पुलिस जिस दिन रामबाबू गड़रिया का एनकाउंटर करना बता रही है तो उस दिन में शिवपुरी जेल से रिहा हुआ था। जेल के दरवाजे से जैसे ही बाहर निकला तो वहां पर मौजूद पुलिस ने मुझे पकड़ लिया। गाड़ी में बैठाकर पुलिस सीधे शिवपुरी के कोतवाली थाना ले आयी। यहां जेल से छूटते ही पकड़े जाने का वजह पूछा, तो वहां मौजूद पुलिस अधिकारियों ने चुप रहने के लिये कहा। शाम को अंधेरा होने लगा था। तभी पुलिस ने दोबारा गाड़ी में बैठा लिया। यहां से वह सीधे जंगल के रास्ते एक ठिकाने पर ले जाये। यहां सफेद कपड़े में लिपटा एक शव रखा था। पुलिस उस कपड़े को हटाया। बैट्री से लाइट चेहरे पर डाली और कहा-पहचानो यह रामबाबू हैं। उसी वक्त मैने पुलिस को कहा वह नहीं रओ पिचनाई (यह पहचान में नहीं आ रहा) जे हैई नईया (वह नहीं है) अरे, चलो। तुम तो दाग लगाओ। इस पर पुलिस कहा-अरे वहीं है। तुम तो चलो दाग लगाओ। बस उनका दाग लगा दिया और इसके बाद पुलिस मुझे मेरे घर छोड़ गयी।


कैसे कहे कि रामबाबू मर गया, बहन बोली- न हमने डेडबॉडी देखी और न ही शिनाख्त की-रामश्री
डकैत रामबाबू की बहन रामश्री कहती है कि रामबाबू की डेडबॉडी पुलिस ने नहीं दी और हमसे शिनाख्त भी नहीं करायी। पूछने पर डीएनए टेस्ट हुआ क्या? कहती है हमत ब जेल में थे। जेल में से हमारा ब्लड सैम्पल लेकर गये थे। फिर हमें कोई जवाब नहीं दिया, न हमने शिनाख्त की। न हमें बताया, हम कैसे कह दें कि रामबाबू जिन्दा या मर गये। डीएनए रिपोर्ट में सैम्पल मैच हुआ या नहीं? इस बारे में पुलिस ने भी अभी तक कुछ भी नहीं बताया है। रामश्री कहती है कि वैसे तो हर एक… कोई भी पकड़ हो जाये। कुछ भी हो जाये, बहनें, भैया, भानेज सब को धर के ले जायें। जब मारे हैं, तो डेडबॉडी तो बताते न। कोई डेडबॉडी नहीं बताई और न ही कोई शिनाख्त कराई यह आतंक जब से खत्म हुआ है, तब से हमें कुछ भी नहीं मालूम। जब रामबाबू, दयाराम फरार थे। तब 22 केस लगे थे, जो अब खत्म हो गये हैं।

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ग्वालियर में रक्षा पर्व पर रोशन बाजार, कारोबार गुलजार

ग्वालियर. बीते दो साल कोरोना के प्रकोप से रक्षाबंधन का त्योहार फीका पड़ गया था। इस बार रक्षाबंधन पर कोरोना को लेकर लोग खौफ में नहीं है, लोग बेफिक्र होकर बाजार में खरीदारी कर रहे हैं। यही वजह है कि बाजार सुबह से रात तक रौनक हो रहे हैं। रक्षाबंधन पर्व गुरुवार को है, इसके चलते बुधवार को बाजार में जमकर भीड़ हुई। बुधवार सुबह 11 बजे से बाजारों में लोग पहुंचना शुरू हो गए। दोपहर में गर्मी थी, इसके बाद भी लोगों की भीड़ कम नहीं हुई। शाम होने पर तो बाजारों में पैर रखने तक की जगह नहीं मिली। सबसे ज्यादा भीड़ महाराज बाड़ा, दौलतगंज, सराफा बाजार, मुरार के सदर बाजार, थाटीपुर चौराहा और उपनगर ग्वालियर के हजीरा चौराहा से किला गेट पर रही। इसके अलावा मॉल में भी सामान्य दिनों की तुलना में अधिक लोग खरीदारी करने के लिए पहुंचे। भीड़ बढ़ते ही सड़कों पर जाम के हालात बने। दिन में जगह-जगह कई बार जाम लगा, जिससे लोगों को परेशानी भी हुई। व्यापारियों का कहना है- इस बार रक्षाबंधन पर कारोबार पिछले साल की तुलना में बेहतर हो रहा है।

मिठाई के साथ ड्रायफ्रूट और चाकलेट की भी बढ़ी मांग
रक्षाबंधन पर मिठाई का कारोबार भी खूब होता है, लेकिन इस बार अलग ट्रेंड देखने को मिल रहा है। मिलावटी मावे से बनी मिठाईयों की शिकायत के चलते अब लोग ड्रायफ्रूट और चाकलेट खरीदना पसंद कर रहे हैं, इसलिए इस बार ड्रायफ्रूट और चाकलेट की भी मांग बाजार में बढ़ी है।

बाजारों में बढ़ाई सुरक्षा, सीसीटीवी से निगरानी
रक्षाबंधन पर बाजारों में खरीदारी के लिए भीड़ को देखते हुए सुरक्षा-व्यवस्था बढ़ा दी गई है। बुधवार को सुबह से ही बाजारों में फोर्स तैनात था। एसएसपी अमित सांघी ने बताया कि सभी थाना प्रभारियों को निर्देश दिया है, रात तक बाजारों में भ्रमण करेंगे। इसके अलावा महिला पुलिसकर्मियों को भी ड्यूटी पर लगाया है, क्योंकि रक्षाबंधन पर महिलाएं ही अधिक खरीदारी करने पहुंचती हैं। साथ ही सीसीटीवी कैमरे से निगरानी कराई जा रही है। गुरुवार को रक्षाबंधन पर्व है, लेकिन दिन में राखी नहीं बंधेगी इसके चलते गुरुवार को दिन में भी लोग खरीदारी करने पहुंचेंगे। इसके चलते गुरुवार को भी पूरे दिन सुरक्षा-व्यवस्था कड़ी रहेगी।