सरपंच विक्रम रावत के गिरफ्तार 4 हत्यारे बोले मारते नहीं तो क्या जीना दूभर कर दिया था
ग्वालियर. सरपंच विक्रम रावत की हत्या करने वाले दो हमलावरों ने पुलिस ने के सामने बड़ा खुलासा किया है। इन दोनों हमलावरों ने हत्या करने के बाद दोनों बाइक मुरैना सबलगढ़ में एक गड्ढे में फेंक दी थी जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है। हत्या के आरोपी बोले हैं कि सरपंच विक्रम रावत ने हमारा जीना दुभर कर दिया था, उसकी हत्या नहीं करते तो वह हमें कहीं का नहीं छोड़ता। चुनावी रंजिश का बदला लेने के लिये वह लगातार झूठे मामले में फंसा रहा था।
चार भाईयों को हत्या के मामले में फंसा चुका है, जबकि गोली उसके परिवार के लोगों के द्वारा चलायी गई और उसके भाई को लगी थी। कुछ पर दुष्कर्म का झूठा मामला दर्ज कराकर जेल पहुंचाया है, जो अभी बचे हैं, उन्हें भी फंसाना चाहता था। इसलिये उसकी गोली मारकर हत्या की थी। पुलिस ने पूछताछ के बाद पकड़े गये आरोपियों द्वारा हत्या में उपयोग में लाई गयी मोटरसाईकिलें मुरैना के सबलगढ़ से बरामद कर ली है और इस मामले में फरार आरोपियों को दबोचने के लिये ताबड़तोड़ दविश देना शुरू कर दिया है। पड़ाव पुलिस ने अभी तक अतेन्द्र, सुखवीर, बंटी और धर्मवीर से पूछताछ की तो पता चला कि हत्या में उपयोग की गयी 2 बाइक सबलढ़ के मुरैना में सुनसान इलाके में एक गड्ढे में पटक आये थे।
क्या है पूरा मामला
ग्वालियर के आरोन स्थित बन्हैरी गांव से सरपंच विक्रम सिंह रावत कांग्रेस के समर्थक थे। गांव में ही रहने वाले इंदौर के पीएफ कमिश्नर मुकेश रावत और उनके परिवार से उनकी पुरानी रंजिश चली आ रही है। चचेरे भाई रामनिवास रावत की मुकेश रावत के परिजन ने हत्या कर दी थी। इस मामले में सरंपच विक्रम रावत मुख्य गवाह होने के साथ ही वही इस मामले को कोर्ट मंे भी अपनी दम पर लड़ रहा था। सोमवार (9 अक्टूबर) को इस मामले में विक्रम सिंह रावत वकील से मिलने पड़ाव थाना स्थित कांति नगर में गया था। तभी बाइक व एक्टिवा सवार और पैदल आए बदमाशों ने उस पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर गोलियों से भून दिया था। सरपंच को कुल 7 गोली लगी थीं जिनमें 4 सिर और 3 पेट व सीने को चीरते हुए निकल गई थीं।
पुलिस आश्वासन के बाद भी दहशत कायम
पांच दिन पहले 9 अक्टूबर को सरपंच विक्रम रावत की हत्या के बाद गांव में तनाव व आगजनी की घटना से गांव के आधे लोग पलायन कर गए हैं। गांव में तनाव व दहशत बरकरार है। एक दिन पहले पुलिस अफसरों ने आगजनी व हिंसा का शिकार हुए गांव के लोगों को सुरक्षा का आश्वासन दिया था कि वह बेखौफ रहें। पुलिस उनकी सुरक्षा के लिए तैयार है, लेकिन पुलिस के आश्वासन के बाद भी लोगों में डर इस कदर हावी है कि एक भी परिवार वापस नहीं आया है। पुलिस ने गांव के लोगों की शिकायत पर आगजनी व तोड़फोड़ के पांच मामले दर्ज किए हैं।