ग्वालियर में तेज हुई परमाणु खजाने की तलाश, चीन की निकल जायेगी अकड़
ग्वालियर. मप्र के ग्वालियर अंचल में पहली बार जमीन में परमाणु ईधन के लिये उपयोग होने वाले बेशकीमती यूरेनियम और थोरियम के भण्डार होने का संकेत मिला है। यह जानकारी मिलने के बाद केन्द्र सरकार ने प्रशासन से सर्वे लिये हेलीपेड का उपयोग करने की इजाजत मांगी है। ऐसा बताया जा रहा है कि सरकार की एजेंसी को खनिज की उपस्थिति के संकेत मिले हैं। उसके बाद केन्द्र सरकार ने ग्वालियर की मोहना इलाके में बेने हेलीपेड का इस्तेमाल करने के लिये स्थानीय प्रशासन से अनुमति मांगी गयी है। अनुमति देने के लिये जिला प्रशासन वन विभाग और पीडब्ल्यूडी की तरफ से प्रस्ताव भेजा रहा है। यह सर्वे एयरोजियोलॉजिक फिजीकल सर्वेक्षण बताया जा रहा है। इसके तहत हेलीकाप्टर और सैटेलाइट की मदद से यूरेनियम और थोरियम का पता लगाया जायेगा। यह सर्वे 2 माह तक किया जायेगा। घाटीगांव यूनुस करेशी ने बताया है कि केन्द्र सरकार की ओर से खनिज तत्वों का पता लगाने के लिये सर्वे किया जा रहा है। इसके लिये मोहना में पहले से ही बने हेलीपैड को तैयार किया जा रहा है। जल्द ही केन्द्र सरकार की ओर से इसका सर्वे किया जायेगा।
मिलेगा परमाणु खजाना
आपको बता दें कि यूरेनियम और थोरियम प्राकृतिक रूप में पाए जाने वाले खनिज तत्व हैंण् यूरेनियम का परमाणु ईंधन बनाने के लिए उपयोग होता है। यह दोनों खनिज तत्व भारत के कुछ ही राज्यों में बहुत कम मात्रा में पाए जाते हैं। अपनी ऊर्जा जरूरत के लिए भारत न्यूक्लियर रिएक्टर बढ़ा रहा है। उनके लिए भारत को बड़ी मात्रा में परमाणु ईंधन यानी यूरेनियम और थोरियम की जरूरत है। इनके व्यापार पर एनएसजी यानी परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह के देशों का दबदबा है, वो ही तय करते हैं कि कौन किस देश को और कितना परमाणु ईंधन बेच सकता है। अमेरिका और कई देशों ने इस समूह में भारत को शामिल करने की कोशिश की लेकिन चीन ने इस पर बार बार अड़ंगा लगाया है। हालांकि अगर अपने देश में ही ज्यादा मात्रा में यूरेनियम और थोरियम मिल जाएगा तो भारतो को एनएसजी का मुंह नहीं ताकना पड़ेगा। इसीलिए ग्वालियर में यूरेनियम और थोरियम की संभावना देश के लिए बड़ी खबर बन कर आई है।