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अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट की सख्ती, एक महीने में 3 मंजिला इमारत तोड़कर रिपोर्ट पेश करें

ग्वालियर. हाईकोर्ट की एकलपीठ ने नयी सड़क पर यादव टॉकीज के सामने बिना अनुमति के बनायी गयी 3 मंजिला बिल्डिंग को सील करने का आदेश दिया गया है। न्यायालय ने इसे एक महीने के अन्दर पूरी तरह से तोड़ने के भी निर्देश दिये है। निगमायुक्त को 18 नवम्बर तक भवन सील करने और समय सीमा में ध्वस्तीकरण की रिपोर्ट न्यायालय में पेश करने का निर्देश दिया गयाहै।
न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि जब बिल्डिंग परमिश नही नहीं ली गयी तो निर्माण बचाने का कोई आधार नहीं बचता है। न्यायालय ने टिप्पणी की कि यदि प्रतिवादी इसे पुराना भवन बता रहे थे तो उन्हें वैज्ञानिक जांच से नहीं बचाना चाहिये था। परीक्षण से इंकार यह साबित करता है निर्माण नया है।
क्या है मामला
यह मामला शांतनु वाजपेयी द्वारा दायर सिविल रिविजन से संबंधित है। इसमें आरोप लगाया गया था कि धर्मेंद्र अग्रवाल और अन्य ने 2016-17 में घर नंबर 233/42 पर बिना किसी अनुमति के नया निर्माण किया। शिकायतें और नोटिस दिए जाने के बावजूद निर्माण कार्य जारी रहा। 15 अक्टूबर को हाईकोर्ट ने निगम आयुक्त को स्थल निरीक्षण का आदेश दिया था। आयुक्त ने 16 अक्टूबर की अपनी रिपोर्ट में बताया कि भवन 7-8 साल पुराना है, यानी 2016-17 में बना। रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इसके निर्माण के लिए कोई अनुमति नहीं ली गई थी। भवन के ग्राउंड और फर्स्ट फ्लोर पर दुकानें तथा ऊपर स्टोर रूम बनाया गया है। कोर्ट ने भवन की उम्र तय करने के लिए वैज्ञानिक परीक्षण (बीम-कॉलम के सैंपल) की पहल की, लेकिन प्रतिवादी जांच के लिए तैयार नहीं हुए। आवेदक के पास निर्माण काल के फोटो और निगम की रिपोर्ट के आधार पर कोर्ट ने कहा कि पुराना भवन सुधारने का दावा मान्य नहीं है। प्रतिवादी स्वयं यह स्वीकार कर चुके हैं कि उन्होंने अनुमति नहीं ली थी। अदालत ने धर्मेंद्र अग्रवाल और रत्ना अग्रवाल पर 25 हजार रुपए का हर्जाना भी लगाया है।

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