सिकरोदा तिराहे पर लाईटिंग होगी और तीनों ओर लगेंगे रेडियमयुक्त संकेतक बोर्ड-हितिका वॉसल

7 ब्लैकस्पॉट पर खतरनाक और अंधे मोड़, संकेतक के अभाव में 133 दुर्घटनाओं में 66 की मौत
ग्वालियर. सिकरोदा तिराहे पर पिछले दिनों थाना झांसी रोड में पदस्थ एसआई जगदीश गुप्ता की मौत ने पुलिस को झकझोर कर दिया है आगे से ऐसी दुर्घटनायें घटित न हो इसके लिये इंचार्ज एसपी हितिका वॉसल ने अपने स्तर पर प्रयास शुरू कर दिये है। इसके लिये उन्होंने सबसे पहले तिराहे पर बेहतर लाइटिंग और सड़क के दोनों ओर बड़े -बड़े संकेतक बोर्ड लगाने का निर्णय लिया है। सिकरोदा तिराहे के अलावा ग्वालियर के 7 ठिकाने सड़क हादसों के लिये जाने जाते हैं। इन सड़कों पर पिछले साढ़े तीन साल में 133 सड़क दुर्घटनाओं में 66 जिंदगियां खत्म हो चुकी है।
सड़क पर हो रही दुर्घटनाओं के संबंध में बात की गयी तो पता चला है कि खतरनाक मोड़, खराब सड़क और संकेतक न होने से जैसी खामियों की वजह से यह सड़क दुर्घटनायें हो रही है। सड़क की खामियों को दूर करने के लिये सड़क निर्माण एजेंसियां या यातायात पुलिस ने न कोई योजना बनाई और न ही इस दिशा में अधिकारियों का ध्यान हैं। हालांकि अधिकारियों ने गाडि़यों में घूमकर हादसों वाली सड़कों और ठिकानों को देखा था, लेकिन इसके बाद सुधार की दिशा में कदम नहीं उठाया गया है।
सिकरौदा तिरहा- सड़क की जिम्मेदारी-एनएचएआई
अभी तक यानी की जबसे यह हाइवे बनकर तैयार हुआ है तब से अभी तक 27 सड़क हादसे में 13 की मौत और 16 लोग घायल हो चुके हैं। यहां 3 ओर से आने वाले वाहन मिलते हैं। बिलौआ की ओर से आने वाले वाहन उन वाहन चालकों को दूर से नजर ही नहीं आते है जो झांसी रोड की ओर से जाते हैं। एनएचएआई के अधिकारियों ने यहां कैट आइज, ब्लिंकर्स और रम्बल स्ट्रिप लगाई है, रात में यहां लाइट न होने से अंधेरा रहता हैं।
रायरू फार्म चौराहा से ऋतुराज चौराहा {सड़क किसकी: पीडब्ल्यूडी
(कुल हादसे: 30 मौत: 27 ,घायल: 8) यहां सड़क किनारे शोल्डर नहीं है। यहां गत 23 मार्च को एक ऑटो में बस ने टक्कर मारी। शोल्डर सड़क निर्माण एजेंसी बनवाती है। पुलिस ट्रेनिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट की टीम ने घटनास्थल की जांच कर खामियां बताई थीं, लेकिन अभी तक कोई सुधार सड़क पर नहीं किया गया।
जौरासी घाटी, सड़क किसकी: एनएचएआई
कुल हादसे: 22, मौत: 13, घायल: 32
यहां हालात पहले जैसे ही हैं। यहां से पूरे दिन भारी वाहन गुजरते हैं। सड़क पर रम्बल स्ट्रिप लगे हैं, लेकिन फिर भी भारी वाहन यहां से तेज रफ्तार में निकलते हैं। यहां पुलिस का पॉइंट भी नहीं रहता। ऐसे में हादसे होते हैं।
सागरताल चौराहा, सड़क किसकी: नगर निगम
कुल हादसे: 11, मौत: 2 घायल: 9 रोटरी के एक ओर सड़क खुदी है। यहां से टर्न लेते ही गाड़ियां आमने-सामने आती हैं। रात में भारी वाहन निकलते हैं, जो हादसे की वजह बनते हैं। डिवाइडर में कई जगह कट हैं। इससे भी हादसे होते हैं।
बेटी बचाओ तिराहे से हनुमान टॉकीज तक, सड़क किसकी: नगर निगम
कुल हादसे: 07 मौत: 01 घायल: 6
यहां सिंधी कॉलोनी से आने वाले वाहन उन वाहन चालकों को नजर नहीं आते, जो गुढ़ा-गुढ़ी का नाका की ओर से आते हैं। इस कारण गाड़ियां आमने-सामने आ जाती हैं। यहां रोटरी भी हादसे की वजह है। यही हालात बेटी बचाव चौराहे से आगे हनुमान टॉकीज तिराहे के हैं।
सिमरिया टेकरी, सड़क: एनएचएआई
कुल हादसे: 19 मौत: 08 घायल: 11
यहां एनएचएआई ने रम्बल स्ट्रिप, थर्माप्लास्ट, संकेतक लगाए हैं। गलत दिशा में चलने वाले वाहन यहां सबसे बड़ी समस्या है। इन्हें रोकने की जिम्मेदारी पुलिस की है।
गोला का मंदिर चौराहा, सड़क किसकी: एमपीआरडीसी
कुल हादसे: 17 मौत: 2, घायल: 14 यहां पहले बहुत हादसे होते थे। यहां पर हालात पहले से सुधरे हैं। लेकिन रात के समय यह पॉइंट खतरनाक हो जाता है, लेकिन दिन में ट्रैफिक सिग्नल की वजह से हादसे कम हुए हैं। वर्ष 2018 और 2019 की तुलना में इस जगह पर पिछले साल कम हादसे हुए।
सिकरोदा तिराहे पर लाईटिंग होगी
अभी तक देखने में आया है कि सिकरोदा तिराहा पर घनघोर अंधेरा रहता है और सामने से आने वाले वाहन की लाइटों से आंखों में चमक आने से सामने का कुछ दिखाई नहीं देता है इसलिये अंधेरा दूर करने के लिये लाईटिंग लगाने के लिये नगर निगम को पत्र लिखा जा रहा है, तिराहे पर तीनों रेडियमयुक्त संकेतक लगाने के लिये संबंधित लोगों से बात की जा रही है। जिससे भविष्य में दुर्घटनायें न हो।
हितिका वॉसल, एएसपी, सिटी

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