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क्वेटा में सेना मुख्यालय के पास जबरदस्त धमाके और फायरिंग में 10 लोगों की मौत 32 जख्मी

नई दिल्ली. पाकिस्तान के क्वेटा शहर में स्थित सेना के मुख्यालय मंगलवार की दोपहर जबरदस्त धमाका हुआ है। पूर्वी क्वेटा में फ्रंटियर कॉर्प्स मुख्यालय के पास मंगलवार को एक जोरदार धमाके बाद अचानक गोलीबारी हुई है। धमाका की आवाज मॉडल टाउन और आसपास के इलाकेों में सुनी गयी।जिसे संवेदनशील इलाका माना जाता है। विस्फोट के आसपास के घरों और इमारतों के खिड़कियां टूट गयी है। इस विस्फोट में अभी तक 10 लोगों की मौत की खबर है। जबकि 32 लोग जख्मी हो गये हे।

धमाके से जुड़ी तस्वीरें…

सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में क्वेटा शहर में धुएं का गुबार उठता नजर आया।
सोशल मीडिया पर वायरल तस्वीरों में क्वेटा शहर में धुएं का गुबार उठता नजर आया।
CCTV तस्वीरों में धमाके के बाद एक शख्स छटपटाता नजर आया।
CCTV तस्वीरों में धमाके के बाद एक शख्स छटपटाता नजर आया।
धमाके के बाद घटनास्थल पर खड़ी गाड़ियों की परखच्चे उड़ गए।
धमाके के बाद घटनास्थल पर खड़ी गाड़ियों की परखच्चे उड़ गए।
पाकिस्तानी सिक्योरिटी फोर्सेज ने पूरे इलाके को चारों तरफ से घेर लिया है।
पाकिस्तानी सिक्योरिटी फोर्सेज ने पूरे इलाके को चारों तरफ से घेर लिया है।
धमाके बाद घायलों को तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट किया गया।
धमाके बाद घायलों को तुरंत हॉस्पिटल में एडमिट किया गया।

ब्लूचिस्तान के स्वास्थ्य मंत्री बख्त मुहम्मद काकर और स्वास्थ्य सचिव मुजीब-उर-रहमान ने सिविल अस्पताल क्वेटा, बीएमसी अस्पताल और ट्रॉमा सेंटर में आपातकाल का ऐलान कर दिया है। स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक सभी सलाहकार,डॉक्टर, फार्मासिस्ट, स्टाफ नर्स और पैरामेडीकल स्टाफ ड्येटी पर है। बचाव सूत्रों ने पुष्टि की है कि घायलों और मृतकों के शवों को सिविल अस्पताल क्वेटा भेज दिया गया है। सूत्रों के अनुसार धमाके के बाद शहर में अफरा-तफरी का माहौल हो गया है। विस्फोट के बाद घटनास्थल पर फायरिंग की भी आवाज सुनी गयी है। इसके बाद लोग सुरक्षित स्थान पर चले गये है।

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SC-ST एक्ट और रेप की FIR हाईकोर्ट ने की रद्द, शिकायत बदले की भावना की जाये तो सच्चाई को परखना चाहिये

ग्वालियर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने गैंगरेप और एससी-एसटी एक्ट के तहत दर्ज एफआईआर को रद्द कर दिया और न्यायालय ने इस मामले को कानूनी प्रक्रिया का दुरूप्योग और व्यक्तिगत प्रतिशोध का उदाहरण बताया है। अदालत ने कहा है कि जब शिकायत बदले की भावना से की जाये और सबूत विरोधाभासी हों तो एफआईआर के शब्दों पर विश्वास करने के बजाय सच्चाई को परखना चाहिये। यह मामला वास्तविक अपराध का नहीं है। बल्कि कानूनी प्रक्रिया के दुरूपयोग का है। न्यायालय ने टिप्पणी की है कि जब स्वयं शिकायतकर्त्ता और उसका पति गंभीर अपराधों में आरोपाी हों तो उनकी विश्वसनीयता औरे अधिक संदिग्ध हो जाती है।
मामला गुना के कैंट थाना इलाके का है
यह मामला गुना जिले के कैंट थाना इलाके से जुड़ा हुआ है। जहां 2024 में आनंदसिंह लोधा और बृजेन्द्र शर्मा के खिलाफ गैंगरेप, धमकी देने और एससी-एसटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया गया था। एफआईआर के मुताबिक पीडि़ता के साथ वर्ष 2021-22 के बीच बार-बार दुष्कर्म किया गया और जाति सूचक गालियां दी गयी। हालांकि इस गंभीर आरोप को दर्ज कराने में 3 साल से ज्यादा की देरी हुई है। जिसका कोई संतोषजनक वजह शिकायतकर्त्ता की ओर से पेश नहीं किया गया।
सबूतों की प्रामाणिकता पर भी सवाल
अदालत ने केस डायरी और दस्तावेजों का अवलोकन करते हुए पाया कि 2023 में दर्ज पहले के एक केस में शिकायतकर्ता ने आनंद सिंह लोधा का कहीं उल्लेख नहीं किया था। जांच में मिले वीडियो और फोटोग्राफ को अदालत ने संदिग्ध और कृत्रिम माना, क्योंकि वे आरोपियों की स्वास्थ्य स्थिति से मेल नहीं खाते थे। इन सभी तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने एफआईआर को निरस्त कर दिया और मामले को कानूनी प्रक्रिया का अनुचित इस्तेमाल करार दिया।
अभियोजन की विश्वसनीयता पर उठे सवाल
आरोपियों की ओर से अधिवक्ता सिद्धार्थ सिजोरिया ने कोर्ट में तर्क दिया कि यह मामला बदले की भावना से दर्ज किया गया है। उनका कहना था कि पीड़िता और उसके पति के खिलाफ एक नाबालिग के यौन शोषण का मामला उजागर हुआ था, जिससे क्षुब्ध होकर यह एफआईआर दर्ज कराई गई। कोर्ट ने यह भी कहा कि जब स्वयं शिकायतकर्ता और उसका पति पहले से गंभीर अपराधों में आरोपी हों, तो उनकी विश्वसनीयता और भी संदिग्ध हो जाती है।

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सड़क घोटाला-ठेकेदार को सबसे अधिक भुगतान करने वाले ग्वालियर के अधिकारी, रिटायर्ड EE और SDO भी शामिल

फाइल फोटो - Dainik Bhaskar
ग्वालियर. चंबल-ग्वालियर सहित अंचल के 4 जिलों में सड़क मरम्मत की आड़ में फर्जी बिलों के भुगतान के मामले में जांच का दायरा अब लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) के उन अधिकारियों तक जा पहुंचा है। जिन्होंने दतिया, भिण्ड, मुरैना और ग्वालियर में पदस्थ रहते हुए दिल्ली की ठेकेदार फर्म ट्रांममेटेलाइट इंडिया लिमिटेड के बिलों को पास करते हुए 6 करोड 31 लाख रूपये से ज्यादा का पेमेंट कर दिया। दस्तावेज परीक्षण के बाद उन अधिकारियों से भी जवाब तलब किया जायेगा।
मुख्यमंत्री मॉनिटरिंग सूची में इस मामले के शामिल होने के बाद जांच के बिन्दु भोपाल मुख्यालय से तय किये जा रहे है। सूत्रों के मुताबिक 2023 से इन मनमाने पेमेंटों का सिलसिला शुरू हुआ और अब भी कम्पनी के ऐसे ही बिलों की फाइलें आगे बढ़ती जा रही है। इस कम्पनी के साथ पीडब्ल्यूडी के अनुबंध की अवधि 6 अक्टूबर 2026़ तक की है। गौरतलब है कि विभाग के तत्कालीन मुख्य अभियंता एसएल सूर्यवंशी ने जांच में पाया कि कम्पनी ने 210 किमी की सड़कों पर तय अनुबंध के अनुसार काम ही नहीं किया और फिर भी विभाग के अधिकारियों ने कम्पनी के बिलों का भुगतान कर दिया। सूर्यवंशी ने ग्वालियर, भिंड, दतिया व मुरैना के कार्यपालन यंत्रियों को पत्र भेजकर इस काम की गलत सत्यापन रिपोर्ट लगाने और भुगतान करने वालों के खिलाफ कार्यवाही प्रस्तावित करने के निर्देश दिए थे। लेकिन सभी कार्यपालन यंत्री द्वारा इस मामले में कोई कदम नहीं उठाया गया।
चारों जिलों में सबसे ज्यादा भुगतान ग्वालियर से हुआ
अंचल के 4 जिलों में ट्रांसमेटेलाइट इंडिया लिमिटेड को सबसे ज्यादा बिल भुगतान ग्वालियर पीडब्ल्यूडी अफसरों ने किया है। विभागीय स्तर पर की जा रही जांच में दो-तीन दिन में ये स्पष्ट हो जाएगा कि ग्वालियर, भिंड, मुरैना व दतिया में कितना-कितना भुगतान हुआ है। सूत्रों के अनुसार ग्वालियर में जिन कार्यपालन यंत्रियों ने भुगतान किया है उनमें से एक रिटायर्ड हो चुके हैं और 2 प्रभारी कार्यपालन यंत्री रहे अधिकारी अन्य स्थानों पर कार्यरत हैं। ऐसे ही एक अन्य रिटायर्ड कार्यपालन यंत्री ने मुरैना में भुगतान किया हुआ है। वहीं ग्वालियर में एक रिटायर्ड एसडीओ व तकनीकी शाखा में अभी पदस्थ एक अनुरेखक की भूमिका जांच के घेरे में बनी हुई है।

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MP कैडर के मनमीत नारंग IB स्पेशल डायरेक्टर बने, नीरज सिंह केन्द्रीय प्रतिनियुक्ति के लिये रिलीव, सोफिया फारूकी FCI की जीएम बनी

भोपाल. डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल ट्रेनिंग द्वारा जारी किये गये अप्वॉइंटमेंट ऑर्डर में मध्यप्रदेश कैडर के IPS अधिकारी मनमीत सिंह नारंग का IB स्पेशल डायरेक्टर बनाया गया है। केन्द्रीय सुरक्षा से जुड़े विभागों की गयी स्थापना के लिये 11 IPS अधिकारियों की सूची में एडिश्नल डायरेक्टर नारंम को 2 साल के लिये यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है। 1994 बैंच के अधिकारी नारंग पूर्व से आईबी में ही पदस्थ है। उधर एमपी कैडर के आईएएस अधिकारी नीरज कुमार सिंह केन्द्रीय मंत्री के विशेष सहायक के रूप में सेवा देने के लिये राज्य सरकार की तरफ से रिलीव कर दिये गये है।
साल 2012 बैंच के मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस नीरज कुमार सिंह को केन्द्रीय कॉमर्स एंड इंडस्ट्री तथा इलेक्ट्रॉनिक्स एंड इंफार्मेशन डिपार्टमेंट केू राज्यमंत्री जितिन प्रसाद का विशेष सहायक नियुक्त किया गया है। सिंह की पोस्टिंग 5 साल के लिये की गयी है। इसके पहले संकेत भोंडवे, नवनीत मोहन कोठारी, निकुंज श्रीवास्तव और विशेष गढपाले केन्द्रीय मंत्रियों के यहां विशेष सहायक रह चुके हैं। यह सभी इसके बाद मध्यप्रदेश वापिस लौट चुके है। निकुंज श्रीवास्तव इस समय वॉशिंगटन में वर्ल्ड बैंक सलाहकार के रूप में पदस्थ है।
पवन शर्मा को मिली बड़ी जिम्मेदारी
इसके पहले मध्यप्रदेश कैडर के आईएएस अधिकरी पवनकुमार शर्मा को बिहार चुनाव के ऐलान के पहले बड़ी जिम्मेदारी सौंपी गयी है। उन्हें चुनाव आयोग में उपचुनाव आयुक्त बनाया गया है। पवन शर्मा को पिछले माह एडिश्नल सेक्रेटरी पद पर पदोन्नत करते हुए डिफेंस मिनिस्टी में पदस्थ किया गया था।
इसके अलावा मध्यप्रदेश कैडर के कुछ अन्य आईएएस अधिकारियों को केन्द्र में अलग-अलग विभागों की जिम्मेदारी सौंपी गयी है।जिनमें तरूण पिथोडे को मिनिस्ट्री ऑफ एन्वायरमेंट, फॉरेस्ट एंड क्लाइमेंट चेंज में ज्वॉइंट सेक्रेटरी बनाया गया है। वहीं छवि भारद्वाज को डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल एंड ट्रेनिंग में ज्वॉइंट सेक्रेटरी के साथ कर्मयोगी भारत के सीईओ का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया है। केन्द्र में ही प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ अजीत कुमार को महिला और बाल विकास विभाग मंत्रालय में ज्वॉइंट सेक्रेटरी बनाया गया है।
IAS सूफिया फारुकी FCI ई में GM बनीं
एमपी कैडर की वर्ष 2009 की IAS  अधिकारी सूफिया फारूकी वली को फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया में जनरल मैनेजर रीजन (डिप्टी सेक्रेट्री या डायरेक्टर लेवल अधिकारी ) के रूप में पदस्थ किया गया है। डिपार्टमेंट ऑफ पर्सनल, पब्लिक ग्रीविएंस एंड पेंशन द्वारा जारी आदेश में मुख्य सचिव MP को दी गई जानकारी में कहा गया है कि केंद्र सरकार की सेंट्रल स्टाफिंग स्कीम में डिपार्टमेंट ऑफ फूड एंड पब्लिक डिस्ट्रीब्यूशन के अंतर्गत जनरल मैनेजर बनाया गया है। सूफिया फारूकी मध्य प्रदेश रीजन में ही काम करेंगी। सूफिया की प्रतिनियुक्ति 3 साल के लिए होगी।

 

 

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निगमायुक्त ने निगम मुख्यालय स्थित कार्यालयों का किया निरीक्षण, अनुपस्थित मिलने पर एक दिवस का वेतन काटने के दिए निर्देश

ग्वालियर – नगर निगम आयुक्त ने निगम मुख्यालय स्थित जनकल्याण विभाग, जीएडी एवं सम्पत्ति कर विभाग का निरीक्षण किया तथा अनुपस्थित कर्मचारियों के एक दिवस का वेतन काटने के निर्देश दिए।
नगर निगम आयुक्त ने निगम मुख्यालय में सुबह 11 बजे जनकल्याण विभाग, जीएडी एवं सम्पत्ति कर विभाग का निरीक्षण किया। निरीक्षण के दौरान सभी की उपस्थिति देखी। जिसमें 7 कर्मचारी अनुपस्थित मिले। अनुपस्थित कर्मचारियों का एक दिवस का वेतन काटने के निर्देश संबंधित अधिकारी को दिए। इसके साथ ही साफ सफाई एवं अन्य व्यवस्थाओं को देखा तथा सभी को सार्थक ऐप पर उपस्थिति प्रतिदिन लगाने के निर्देश दिए।

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केन्द्रीय परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय का लिया फैसला 20 साल से पुरानी गाडि़यों की री-रजिस्ट्रेशन फीस दोगुनी लगेगी

ग्वालियर. अगर आपके पास 20वर्षो से अधिक पुरानी गाड़ी है। तो अब उसकी री-रजिस्ट्रेशन फीस को रीन्यू करवाना पहले से अधिक महंगा हो गया है। केन्द्र सरकार के सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने पुराने वाहनों के रजिस्ट्रेशन के नवीनीकरण (रीन्यूअल) के नियमों में बदलाव कर दिया है। इस बदलाव के तहत अब लोगों को रीन्यूअल के समय से पहले दोगुनी फीस चुकानी होगी।
परिवहन आयुक्त विवेक शर्मा का कहना है कि पर्यावरण के हित में यह कदम केन्द्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने उठाया है। नया नियम इसलिये लागू किया है। क्योंकि पुराने वाहन अधिक प्रदूषण फैलाते हैं। सरकार का प्रयास है कि लोग ऐसे वाहनों का इस्तेमाल कम करें और नये, कम प्रदूषण फैलाने वाले वाहन अपनायें। यदि आप अपने पुराने वाहन का रजिस्ट्रेशन रीन्यू नहीं कराते तो यातायात नियमों के उल्लंघन पर जुर्माना भी देना पड़ सकता है।
इर्म्पोटेड गाडि़यों पर बड़ा शुल्क
पहले बाइक का रजिस्ट्रेशन री न्यू कराने पर 1 हजार रूपये लगते थे। अब यह फीस 2 हजार रूपये कर दी गयी है। इसी तरह कार मालिकों को अब 5 हजार की जगह 10 हजार रूपये देने होंगे। बड़ी गाडि़यों और इम्पोर्टेड गाडि़यों पर भी शुल्क बढाया गया है।
अक्टूबर 2021 में भी शुल्क में वृद्धि हुई थी
संशोधन का मसौदा फरवरी में जारी किया गया था और 21 अगस्त को इसे अंतिम रूप दिया गया। मंत्रालय ने अक्टूबर 2021 में मोटर साइकिल, तिपहिया और कारों के पंजीकरण और नवीनीकरण शुल्क में वृद्धि की थी

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पूर्व ओलम्पियन मोहम्मद शाहिद के घर बुलड़ोजर से हटाया, सड़क चौड़ीकरण के लिये प्रशासन ने की है कार्यवाही

वाराणसी. उत्तरप्रदेश के वाराणसी में कचहरी से संदहा सड़क चौड़ीकरण के बीच पुलिस लाइन से कचहरी तक कुछ 12 मकानों को बुलडोजर लगातार तोड़ा गया है। इन मकानों में पूर्व ओलम्पियन और पद्श्री हाकी प्लेयर स्वर्गीय मोहम्मद शाहिद का घर भी शामिल था। सड़क चौडीकरण के लिये यह कार्यवाही की गयी है। शाहिद के परिजनों ने पुलिस और प्रशासन से काफी बहसबाजी की और कार्यवाही रोकने की मांग की। लेकिन उनकी एक नहीं सुनी गयी और बुलडोंजर चला दिया गया।
ओलम्पियन और पुलिस के बीच हुई बहस
प्रशासन का कहना है कि मकान में रहने वाले 9 सदस्यों में से 6 लोगों ने मुआवजा ले लिया था। जबकि बाकी समय मांग रहे थे। बुलडोजर कार्यवाही की घटना का एक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है। जिसमें एक बुजुर्ग मुस्लिम पुलिसवाले से कह रहे हैं। मिश्रा जी, मैं आपके पैर पकड़ रहा हूं। बस आज की मोहलत दे दीजिये ।कल हटा लेंगे। अखिलेश यादव ने भी इस वीडियो को पोस्ट किया है। आपको बता दें कि मोहम्मद शाहिद के परिवार ने प्रशासन की इस कार्यवाही का कड़ा विरोध किया। उनकी भाभी नाज़नीन नेबताया है कि उन्होंने कोई मुआवजा नहीं लिया है और उनके पास दूसरा मकान भी नहीं है। ऐसे में वह बेघर हो जायेंगे। शाहिद के मामा के लड़के मुश्ताक ने आरोप लगाया है कि उनके घर में शादी है। उनके पास कहीं और जमीन नहीं है। उन्होंने कहा है कि यह सिर्फ प्रशासनिक गुंडई है। पुर्नवास की व्यवस्था नहीं की जा रही है। मुश्ताक ने यह भी आरोप लगायाहै कि मुस्लिम बाहुल इलाके में जानबूझ कर सड़क को 21 मीटर चौड़ा किया जा रहा है। इसके लिये उन्होंने मंत्री रविन्द्र जयसवाल को जिम्मेदार बताया है।
मुआवजा और कार्यवाही पर प्रशासन का तर्क
इस मामले में वाराणसी के एडीएम सिटी आलोक वर्मा ने अपना पक्ष रखा। उन्होंने बताया कि सड़क चौडीकरण में जिन लोगों को मुआवजा दिया जा चुका है। उन्हें हटाने की कार्यवाही की जा रही है। एडीएम सिटी ने कहा है कि बुलडोजर से तोड़ने पर थोड़ी बहुत टूट-फूट हो सकती है। लेकिन किसी भी हिस्से को अनावश्यक रूप से नहीं तोड़ा जा रहा है। वही मोहम्मद शाहिद के मकान के बारे में उन्होंने बताया कि उनके घर में 9 सदस्य है। जिनमें से 6 को मुआवजा दे दिया गया था। बाकी 3 लोगों के पास स्टे ऑर्डर था। इसलिये उनके हिस्से को छोड़ दिया गया है। एडीएम ने यह भी बताया है कि शादी का हवाला देकर परिवार ने समय मांगा था। लेकिन उन्होंने मुआवजा लेने के लिये मांगे गये दस्तावेज नहीं दिये।
पहले भी हो चुकी थी कार्यवाही
ज्ञात हो कि लोक निर्माण विभाग ने संदहा से पुलिस लाइन तक सड़क चौड़ीकरण का काम पूरा कर लिया है। इस चरण में पुलिस लाइन चौराहे से कचहरी के बीच 59 मकानों को तोड़ने की कार्यवाही 3 चरणों में की जा चुकी है। प्रशासन का कहना है कि यह कार्यवाही के कानून के अनुसार की जा रही है।

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मेला व्यापारियों का उत्पीड़न नहीं रोका तो सामूहिक आत्मदाह करेंगे मेला व्यापारी

मेला व्यापारी संघ ने दी चेतावनी : मेला में नेपाल और लद्दाख जैसा माहौल बनाने के लिए मजबूर न करे मेला प्राधिकरण
ग्वालियर, – मेला दुकानों के किराए में जबरदस्त बढ़ोत्तरी, ईंटेंडर के जरिए दुकानों की नीलामी, ऑनलाईन प्रक्रिया की विसंगतियों एवं मेला की कीमती जमीन को खुर्दबुर्द करने की साजिश जैसे तमाम गंभीर मुद्दों को लेकर ग्वालियर व्यापार मेला के दुकानदारों का आक्रोश थमने का नाम नहीं ले रहा है। मेला व्यापारियों ने मेला प्राधिकरण, प्रशासन एवं स्थानीय जनप्रतिनिधियों के अनदेखी भरे रवैए पर गहन नाराजगी जताते हुए आगाह किया कि मेला प्राधिकरण बेरोजगारी और निरंतर उपेक्षा से त्रस्त आ चुके व्यापारियों को ग्वालियर मेला में मजबूरी में नेपाल और लेह लद्दाख जैसे हालात निर्मित करने के लिए विवश न करे।
ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष महेंद्र भदकारिया, सचिव महेश मुदगल, संयोजक उमेश उप्पल, संयुक्त अध्यक्ष एवं प्रवक्ता अनिल पुनियानी, सह संयुक्त अध्यक्ष जगदीश उपाध्याय, कार्यकारी अध्यक्ष अनुज गुर्जर हरिकांत समाधिया ने आज एक वक्तव्य में आग्रह किया कि केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया एवं प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव को ग्वालियर व्यापार मेला में चल रहे इस खेल को रोकने के लिए हस्तक्षेप कर मेला व्यापारियों को ताजा पैदा हो रहे संकटों से उबारना चाहिए। उन्होंने कहा कि सब तरफ से नाउम्मीद हो चुके मेला व्यापारियों को अब सिर्फ सिंधिया और सीएम से ही आशा है। ग्वालियर व्यापार मेला व्यापारी संघ के पदाधिकारियों ने उक्त संबंध में केंद्रीय मंत्री सिंधिया, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव एवं मेला प्राधिकरण के पदेन अध्यक्ष प्रदेश के एमएसएमई मंत्री चैतन्य कश्यप को पत्र लिखकर ग्वालियर मेला से संबंधित सभी विषयों को अपने हाथ में लेकर राहतपूर्ण निराकरण का आग्रह किया है।
मेला व्यापारी संघ के अध्यक्ष एवं संयुक्त अध्यक्ष व प्रवक्ता अनिल पुनियानी ने ऐलान किया है कि मेला व्यापारियों की सुनवाई नहीं हुई तो सभी मेला व्यापारी मेला प्राधिकरण के दफ्तर के बाहर सामूहिक आत्मदाह करने के लिए मजबूर होंगे। अब यह मेला प्राधिकरण को तय करना है कि वह अपनी हिटलरशाही को जारी रखते हुए मेला व्यापारियों को आत्मदाह के लिए मजबूर करता है या फिर अपनी रीति नीति को बदलकर मेला व्यापारियों को राहत प्रदान करता है।
मेला पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि ग्वालियर मेला की सोने जैसी कीमती जमीन को खुर्दबुर्द करने की गंभीर साजिश रची जा रही है। भारत मंडपम के नाम पर मेला की 25 एकड़ जमीन को ठिकाने लगाने की तैयारी है, यह पहले ही वर्चुअल बैठक के एजेंडा से जाहिर हो चुका है।
मेला परिसर सिर्फ जमीन का टुकड़ा नहीं, एक एक इंच भूमि से व्यापारियों की जुड़ी भावनाएं, इसलिए मेला की जमीन बचाने लगा देंगे जान की बाजी
मेला व्यापारी संघ को पता चला है कि अब जिला उद्योग केंद्र (डीआईसी) को भी मेला की 5 एकड़ भूमि देने की गुपचुप तैयारी चल रही है। सवाल मेला की जमीन को उद्योगपतियों, कारोबारियों या सरकारी प्रतिष्ठानों को लीज पर देने या आवंटन का नहीं है, मेला व्यापारियों को दुःख इसलिए है क्योंकि ग्वालियर मेला सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा नहीं है, बल्कि मेला की इंच इंच भूमि से यहां के व्यापारियों और दुकानदारों की दिली आस्थाएं और लगाव जुड़ा हुआ है और मेला की जमीन को धंधेबाजों के हाथों में जाने से रोकने के लिए एक एक मेला व्यापारी अपनी जान की बाजी तक लगा देगा।
यह वक्तव्य जारी करने वालों में मेला के इलेक्ट्रॉनिक्स सेक्टर के मुकेश अग्रवाल, चरणजीत नागपाल, ललित नागपाल, श्याम गुप्ता, झूला मनोरंजन सेक्टर के महेन्द्र भदकारिया, अचल भदकारिया, राजेंद्र सिंह भदौरिया, होटल हलवाई सेक्टर के अनिल पुनियानी, अनुज गुर्जर, सुरेश हिरयानी, अनिल शर्मा, संजू तोमर, पप्पू शिवहरे, रिजवान, सरस्वती शिवहरे आदि प्रमुख हैं।

राज्यमध्य प्रदेश

विकास कार्यों को गुणवत्ता के साथ समय-सीमा में पूर्ण कराने पर दिया जोर – कलेक्टर

धीमी प्रगति के लिये जिम्मेदार सीएमओ एवं उपयंत्रियों के खिलाफ होगी कार्रवाई 
ग्वालियर – नगर निगम सहित जिले के सभी नगरीय निकायों में चल रहे विकास कार्यों एवं प्रधानमंत्री आवास योजना सहित अन्य जनकल्याणकारी योजनाओं की कलेक्टर रुचिका चौहान ने रविवार को समीक्षा की। उन्होंने सड़कों की मरम्म्त सहित विकास कार्यों में गति लाने और गुणवत्ता के साथ कार्य पूर्ण करने के निर्देश संबंधित अधिकारियों को दिए। विकास कार्यों की निरंतर मॉनीटरिंग करने पर बल दिया। साथ ही कहा कि जो ठेकेदार समय पर व गुणवत्ता के साथ कार्य नहीं करा रहे हैं उनके विरूद्ध दण्डात्मक कार्रवाई प्रस्तावित की जाए।
सम्पत्तिकर व जल कर की वसूली में तेजी लाने पर जोर दिया और इन करों की वसूली के लिये विशेष अभियान चलाने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि जिन नगरीय निकायों में लंबे समय से जल कर रिवाइज नहीं हुआ है वहाँ निर्धारित प्रक्रिया का पालन कर जल कर निर्धारित किया जाए। व्यवसायिक व घरेलू नल कनेक्शन पर जल कर अलग-अलग होना चाहिए। उन्होंने कहा जो वार्ड संपत्तिकर व जल कर भरने में अग्रणी हैं उन्हें विकास कार्यों व शासन की अन्य योजनाओं में प्राथमिकता देने की पहल करें।
नगरीय निकायों में विशेष निधि एवं मुख्यमंत्री अधोसंरचना मद से चल रहे विकास कार्यों की प्रगति ठीक नहीं है वहाँ के मुख्य नगर पालिका अधिकारियों एवं उप यंत्रियों की वेतन वृद्धि रोकने के लिये कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए हैं। बगैर अनुमति के भवन व अन्य निर्माण कार्य करने की प्रवृत्ति को रोकने पर बल दिया। नगर पंचायत आंतरी में यह स्थिति ठीक न पाए जाने पर यहाँ के सीएमओ को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश भी दिए।
योजनाओं के तहत चल रहे विकास कार्य, संपत्तिकर व जल कर की वसूली, नामांतरण, प्रधानमंत्री आवास योजना, पीएम स्वनिधि, “मैं भी डिजिटल” अभियान, भवन निर्माण अनुमति सहित सरकार द्वारा संचालित अन्य योजनाओं की प्रगति की समीक्षा की गई। बैठक में अपर आयुक्त नगर निगम प्रदीप तोमर व मुनीष सिकरवार एवं प्रभारी परियोजना अधिकारी शहरी विकास अभिकरण एवं डिप्टी कलेक्टर उमेश कौरव सहित जिले के अन्य नगरीय निकायों के मुख्य नगर पालिका अधिकारी एवं विभागीय अधिकारी उपस्थित थे।
अग्निशमन दस्ते में बढ़ाएं “क्विक रिस्पोंस व्हीकल”, वैकल्पिक फायर ब्रिगेड भी तैयार करें   
ग्वालियर नगर निगम के अग्निशमन दस्ते में “क्विक रिस्पोंस व्हीकल” की संख्या बढ़ाने के निर्देश दिए। साथ ही कहा कि नगर निगम सहित जिले के सभी नगरीय निकायों में उपलब्ध फायर ब्रिगेड की सर्विस व मरम्मत कराकर 24 घंटे चालू हालत में रखें। उन्होंने जिले के अन्य नगरीय निकायों में पानी के टैंकर में मोटर लगाकर इन्हें मिनी फायर ब्रिगेड के रूप में तब्दील करने के निर्देश दिए।
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प्रेम प्रसंग से नाराज बाप ने नाबालिग बेटी को मारी गोली, शव नदी में फेंका, 5 दिन बाद मिली लाश

पुलिस ने आरोपी पिता की निशानदेही पर बेटी की लाश बरामद कर ली है। - Dainik Bhaskar

मुरैना. एक पिता ने अपनी नाबालिग बेटी की गोली मारकर हत्या कर दी। फिर उसकी लाश को नदी में फेंक दिया। बेटी का कसूर इतना था िकवह दूसरी जाति के युवक से प्यार करती थी। उससे शादी करना चाहती थी। पड़ोसी के संदेह जताने पर पुलिस ने पिता से पूछताछ की। सख्ती करने पर वह टूट गया। हत्या करने की बात मान ली। पुलिस ने उसकी निशांदेही पर रविवार को क्वांरी नदी में बेटी का शव बरामद कर लिया है। आरोपी पिता पुलिस की हिरासत में है। घटना मुरैना के शिवनगर की है। आरोपी नाम भारत उर्फ बंटू सिकरबार है। बेटी का नाम दिव्या था और 17 वर्षीय दिव्या की 12वीं की छात्रा थी।

पुलिस ने रविवार सुबह दिव्या का शव नदी से बरामद किया।
पड़ोसी ने पुलिस बताया था
पुलिस के अनुसार भरत सिकरबार के एक पड़ोसी ने शनिवार को सिविल थाने में फोन किया। ऐसा बताया कि भरत की बड़ी बेटी 17 वर्षीय दिव्या पिछले 2 दिनों से गायब है। यह भी कहा है कि गुरूवार को उसने भरत के घर से गोली चलने और किसी के चीखने की आवाज सुनी तो इस पर पुलिस भरत के घर पहुंची। उससे पूछताछ की। पूछताछ के बीच पुलिस को पता चला कि भरत के घर में 5 मेम्बर है। पत्नी, 2 बेटियां और एक बेटा है। बड़़ी बेटी दिव्या घर से गायब थी। उसके बारे में पूछने पर भरत ने गोलमाल जवाब दिया। पुलिस का संदेह गहरा गया और पुलिस ने शनिवार को ही भरत को थाने ले आयी।
क्या है मामला
दिव्या दूसरी जाति के लड़के से प्यार करती थी। उससे शादी पर अड़ी थी। समझाने पर भी नहीं मान रही थी। 23 सितंबर की रात करीब 9 बजे के करीब इसी बात पर पिता और बेटी में झगड़ा हुआ। गुस्से में आकर भरत ने दिव्या को गोली मार दी। फिर उसके शव को बोरे में भरा। तिरपाल से बांधकर गलेथा पंचायत में अपने पैतृक गांव भगवान सिंह का पुरा ले गया। यहां दिव्या के शव को पत्थर बांधकर क्वारी नदी में फेंक दिया। भरत के इस खुलासे के बाद पुलिस शनिवार को ही नदी किनारे उस जगह पहुंची, जहां उसने दिव्या का शव फेंका था। एसडीईआरएफ की मदद से पानी में तलाश शुरू की गई। अंधेरा होने तक शव नहीं मिला तो अभियान रोक दिया गया। रविवार सुबह तलाशी अभियान फिर शुरू किया गया। सुबह करीब 10 बजे दिव्या का शव नदी में मिल गया।
दिव्या ने खुद को गोली मारी
उधर, भरत ने बताया कि 23 सितंबर को वह घर में खाना खा रहा था। इसी बीच फायरिंग की आवाज सुनाई दी। दौड़कर अंदर पहुंचा तो देखा कि दिव्या की गर्दन में गोली लगी थी। अस्पताल ले जाने से पहले मौत हो गई तो नदी में जल दाग (अंतिम संस्कार) दे दिया।