गाय पॉलिथीन खाने के लिये मजबूर है और स्वास्थ्य के लिये हानिकारक है
ग्वालियर. यह यथार्थ सत्य है कि मनुष्य अपने हित के लिए हमेशा सर्वप्रथम ध्यान रखता है। आज विश्व में परिस्थिति इस प्रकार से निर्मित हो चुकी है कि मानव जीवन का मूल ही कुछ नहीं रहा तो फिर निस्सहाय जानवरों की समस्या के बारे में अगर सोचा जाए तो वह तो बहुत ही बड़ी समस्या है।
इस परिस्थिति को देखते हुए हम सभी को दो माह से ज्यादा का समय अपने घरों में हो चुका है और इस कोरोना नामक महामारी का अभी तक किसी भी प्रकार का निराकरण नहीं हुआ है। जो जानवर हमारे आसपास विचरण करते हैंए उनके बारे में हमने यह कभी ना सोचा कि यह वायरस उन्हें भी संक्रमित कर सकता है। उनकी जान का कोई मूल्य नहीं है क्या तथा उन सभी की भोजन व्यवस्था किस प्रकार से संभव हो पाएगी क्योंकि शहर में ना तो उनको कोई हरा चारा मिल पाता है ना किसी प्रकार की भोजन व्यवस्था मुहैया हो पाती है, वह सभी शहरवासियों पर ही आधारित रहते हैं।
शहरवासियों के द्वारा की जाने वाली सामग्री ही उनके लिए भोजन का कार्य करती है पर इस परिस्थिति में वह भी हम समय पर नहीं दे पा रहे हैं। परंतु हम यह भूल गए हैं कि इस परिस्थिति में हमारे साथ.साथ यह भी बहुत बड़ी समस्या से जूझ रहे हैं। हम सभी तो अपनी बात बोल कर अपनी समस्या किसी के भी सामने व्यक्त कर सकते हैं परंतु यह बेचारे कुछ भी नहीं बोल पाते हैं, हमेशा निशब्द रहते हैं।
कुछ दिवस पूर्व मैंने एक स्वान (कुत्ता) को इस प्रकार की वस्तु को ग्रहण करते हुए देखा, जिसको हम देखना तक पसंद नहीं करते वह उन्हें भोजन के रूप में स्वीकार कर रहे हैं। यह बहुत ही दयनीय स्थिति है, गाय जिन्हें हम हिंदू धर्म ग्रंथों शास्त्रों के अनुसार हम अपनी माता के रूप में उन्हें पूजते हैं और वे सभी पॉलिथीन खाने के लिए विवश है जो कि उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत ही ज्यादा हानिकारक है और इस प्रकार की अनेकों घटनाएं निरंतर हमारे आस.पास हो रही हैं।
इस विषय पर मंथन किया जाए तो समाधान बहुत से प्राप्त हो सकते हैं जो हम थोड़े प्रयत्न के द्वारा ही इन निस्सहाय जानवरों के रोजमर्रा की दैनिक दिनचर्या की भोजन व्यवस्था में सहायक हो सकते हैं क्योंकि भगवान द्वारा निर्मित इस प्रकृति में हर किसी को जीने का पूर्ण हक है, हम तो बस एक जरिया मात्र है जो उनके लिए भोजन व्यवस्था कर सकते है।
आज मेरे जन्म दिवस पर मैं यह शुरुआत करने जा रहा हूं, वैसे तो मुझे यह शुरुआत बहुत दिवस पूर्व कर देनी चाहिए थी परंतु वह कहते हैं ना कि एक कदम आगे पढ़ाने से हम सो कदम आएंगे बढ़ सकते हैं और हमारा भारत वर्ष तो हमेशा से ही कर्म प्रधान देश रहा है अपने कर्म पर विश्वास रखिएद्य जीवन में कोई और आपको याद रखे ना रखे परंतु जिसको आपने भोजन दिया है वह आपको हमेशा याद रखेगाद्य यकीन मानिए उस समय आपको बहुत गौरवान्वित महसूस होगा कि आपके द्वारा कुछ अच्छा कार्य किया गया है।