ग्वालियर हाई कोर्ट की तल्ख टिप्पणी, यह खेद जनक स्थिति है, पुलिस अपने ही कर्मचारियों का पता नहीं लगा पा रही
ग्वालियर. हाई कोर्ट की एकल पीठ ने दो अलग-अलग याचिकाओं में मुरैना जिले में समन, वारंट के तामील को लेकर जो स्थिति बनी है, उस पर चिंता जताई है। कोर्ट ने जमानत याचिका में टिप्पणी करते हुए कहा कि पुलिस विभाग को समझना चाहिए कि त्वरित सुनवाई आरोपित का मौलिक अधिकार है। मुरैना जिले में जो समन व वारंट के तामील की जो स्थिति बनी है। वह खेद जनक है। विभाग अपने ही कर्मचारियों का पता लगाने की स्थिति में नहीं दिख रहा है। यदि कोई कर्मचारी सेवानिवृत्त हो गया है तो भी विभाग यह जानकारी तो होना ही चाहिए कि वह कहां रह रहा है, क्योंकि वह पेंशन भी लेता है। पुलिस को अपने ही विभाग के आदेशों का पालन करने में कोई दिलचस्पी नहीं है। पुलिस को ऐसे समय अपना आत्मनिरीक्षण करना चाहिए। लिहाजा पुलिस महानिदेश को मामले की गंभीरता से लेना चाहिए।ऐसे अधिकारियों के खिलाफ विभागीय जांच कर कड़ी कार्रवाई करनी चाहिए। कोर्ट ने लूट और डकैती के मामले में चार साल से जेल में बंद आरोपी गौरव यादव को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। इस रिहाई के लिए पुलिस जिम्मेदार है। हाईकोर्ट ने इस मामले में आदेश की प्रति पुलिस महानिदेशक को आवश्यक कार्रवाई करने के लिए भेजे जाने के भी निर्देश दिए हैं।
क्या है मामला
लूट और डकैती के मामले में आरोपी गौरव यादव को 7 मई 2018 को पुलिस थाना कोतवाली मुरैना ने गिरफ्तार किया था तभी से वह जेल में है। आरोपी के दो जमानत याचिकाएं खारिज हो चुकी हैं। हाई कोर्ट में तीसरी जमानत याचिका दायर की। उसकी ओर से तर्क दिया कि उसके मामले में कुछ लोगों की गवाही हो चुकी है। आरोपी चार साल से जेल में है, लेकिन ट्रायल अभी भी समाप्त नहीं हुई है। आरोपी की ओर से ट्रायल कोर्ट की ऑर्डर कॉपी पेश की गई जिसमें बताया गया कि कुछ गवाह गवाही देने नहीं आ रहे हैं। ट्रायल कोर्ट की ऑर्डर शीट के अनुसार गवाह सतीश गोयल को समंस जारी किया गया था, लेकिन वे हाजिर नहीं हुए। जबकि यह समंस एएसआई और टीआई के जरिए जारी हुआ था। इस मामले में अभियोजन पक्ष के गवाह भी अनुपस्थित रहे। इन दोनों पुलिस कर्मियों जमानती वारंट भी जारी किया गया जो बिना तामील के वापस आ गया। इसके बाद 9 जनवरी 20 को भी जमानती वारंट फिर गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया जो बिना तामील वापस हुआ। इसके बाद गवाह नरेश शर्मा तो हाजिर हुए, लेकिन एक आरोपी हाजिर नहीं था तब उसका गिरफ्तारी वारंट जारी किया गया। यह वारंट भी बिना तामील के वापस आ गया। इस मामले में शासन द्वारा ट्रायल में हो रहे विलंब के संबंध में कोई वैध कारण नहीं बताया जा सका। हाई कोर्ट ने उसे जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।