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MP के रेल नेटवर्क में बड़े बदलाव, ट्रैक पर सुरक्षा कवच लगाने का काम शुरू

भोपाल. ललितपुर रेलवे ट्रैक पर यात्रियों की सुरक्षा और ट्रेनों की रफ्तार बढाने के लिए भारतीय रेल ने कवच प्रणाली लागू करने की तैयारी शुरू कर दी है। यह स्वदेशी ऑटोमैटिक ट्रेन प्रोजेक्शन सिस्टम पांच चरणों में तैयार होगा। पहले चरण मे फाइबर ऑप्टिक केबल बिछाई जाएगी, दूसरे चरण में टेलीकॉम टावर स्थापित होंगे और तीसरे चरण में स्टेशनों पर उपकरण लगाए जाएंगे। चौथे चरण में ट्रेनों के इंजन वकोचों में तकनीकी डिवाइस फिट किए जाएंगे और पांचवें चरण में पटरियों के किनारे सेंसर एवं अन्य आवश्यक उपकरण स्थापित किए जाएंगे। इन पांचों चरणों के पूरा होने पर रेलमार्ग पूरी तरह कवस तकनीक से लैस हो जाएगा।
सिग्नलिंग प्रणाली का कमीशनिंग किया
इसी दिशा में रेलवे ने खरगापुर रेलवे स्टेशन पर डबल डिस्टेंस सिग्नलिंग प्रणाली का कमीशनिंग कार्य भी पूरा कर लिया। यह प्रणाली मौजूदा ब्रिटिश कालीन पैनल इंटरलॉकिंग में बदलाव कर लागू की गई है। डबल डिस्टेंस सिग्नलिंग से चालक को आगे के सिग्नल की समय रहते जानकारी मिलती है और हाई स्पीड ट्रेनों का संचालन अधिक सुरक्षित हो जाता है। रेल मंत्रालय ने ललितपुर खजुराहों और खजुराहों-महोबा रेलखंड पर कवच प्रणाली के लिए 540 करोड रुपए का सब-अंब्रेला कार्य स्वीकृत किया। इसमें से 309.26 करोड रुपए की लागत से विशेष रूप से कवच परियोजना पर खर्च होगा।
खुद ब्रेक लगाएगा रेलवे सुरक्षा कवच
कवच प्रणाली का सबसे बड़ा लाभ यह है कि यह खराब मौसम में भी ट्रेन को निर्धार्धारित गति सीमा में नियंत्रित रखती है। यदि लोको पायलट किसी कारण से ब्रेक लगाने में असफल रहता है तो कवच स्वतः ब्रेक लगाकर ट्रेन को रोक देता है। इसके अलावा यह आगे लगे सिग्नलों की स्पष्ट जानकारी पहले ही चालक को दे देता है, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना लगभग समाप्त हो जाती है। झांसी मंडल के पीआरओ मनोज कुमार सिंह ने बताया कि खजुराहो-झांसी रेलखंड को आधुनिक तकनीक से लैस किया जा रहा है। आने वाले समय में यात्री अधिक रफ्तार और पूरी तरह सुरक्षित रेल यात्रा का अनुभव कर सकेंगे। यह पहल न केवल रेल सुरक्षा में बदलाव लाएगी बल्कि बुंदेलखंड क्षेत्र को देश के अत्याधुनिक रेल नेटवर्क से जोड़कर विकास की नई राह खोलेगी।

 

 

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