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डसॉल्ट एविएशन ने पाकिस्तान की खुली पोल, राफेल मार गिराने का किया था दावा

नई दिल्ली. फ्रांसीसी एयरोस्पेस कंपनी डसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन और सीईओ एरिक ट्रापियर, जिनकी कम्पनी 4.5 जेनरेशन वाले रफाल फायटर जेट बनाती है। पहली बार ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना (आईएएफ) के एक राफेल विमान गिराये जाने के दावों पर टिप्पणी की है। एक इंटरव्यू ने एरिक ट्रापियर ने कहा है कि भारतीय पक्ष ने इस संबंध में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी है। इसलिये घटना की सटीक परिस्थितियां अभी स्पष्ट नहीं है। हालांकि ट्रापियर ने यह साफ कर दिया है कि पाकिस्तान का 3 राफेल विमानों को गिराने का दावा पूरी तरह से गलत है।
एफ-35 और चीनी फायटर प्लेनों से बेहतर हे राफेल
इंटरव्यू में एरिक ट्रापियर ने राफेल विमान की क्षमताओं पर खुलकर बात की हैं उन्होंने कहा है कि राफेल दुनिया के सबसे बेहतरीन मल्टी रोल फायटर जेट्स में शामिल है। एफ-35 और सभी चीनी फायटर प्लेनों से बेहतर है। उन्होंने बताया है किसी भी युद्ध में विमान में उद्देश्य शून्य नुकसान (जीरो लोसेस) नहीं बल्कि अपने लक्ष्य को प्राप्त करना होता है। द्वितीय विश्व युद्ध में भी मित्र दशों ने सैनिक खोए थे। इसका मतलब यह नहीं है कि वह हार गये थे। ऑपरेशन सिंदूर में यदि किसी विमान का नुकसान हुआ भी होगा तो असली सवाल यह है कि क्या युद्ध के लक्ष्य हासिल हुए या नहीं। सच्चाई सामने आने पर कई लोगों को हैरानी हो सकती है।
क्या राफेल दुनिया में सबसे बेस्ट?
डसॉल्ट CEO के अनुसार, ‘राफेल भले ही अमेरिकी F-22 जैसे विमानों से मुकाबले में कमजोर हो, लेकिन अगर एक ऐसा विमान चाहिए जो एयर-टू-एयर, एयर-टू-ग्राउंड, परमाणु हमलों और समुद्री विमानवाहक पोतों पर भी काम कर सके, तो राफेल सबसे अच्छा विकल्प है।’ उन्होंने कहा कि राफेल ने फ्रांसीसी सशस्त्र बलों और इसके अन्य खरीदार देशों की जरूरतों को पूरी तरह से पूरा किया है।  उन्होंने कहा कि राफेल का ‘ओम्नीरोल’ (हर काम में सक्षम) होने का गुण उसकी कमजोरी नहीं, बल्कि उसकी सबसे बड़ी ताकत है।

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इजरायल के 2 एफ-35 लड़ाकू विमान गिराये, 1 महिला फायटर गिरफ्तार का ईरान ने किया दावा जबकि IDF ने नकारा

Iran shot down F35

नई दिल्ली. ईरान ने एक बड़ा दावा किया है कि उसने इजराइल के 2 अत्याधुनिक एफ-35 फायटर विमानों को मार गिराया है। ईरान की सरकारी मीडिया और तस्नीम न्यूज एजेंसी के मुताबिक इन विमानों को ईरान की हवाई रक्षा प्रणाली ने शुक्रवार की रात को नष्ट किया है। ज बवह ईरानी हवाई क्षेत्र में घुस आये।
ईरान ने यह भी कहा है कि एक महिला पायलट को गिरफ्तार किया गया है जो इनमें से एक विमान से पैराशूट के जरिये उतरी थी। हालांकि इजरायल रक्षा बल (आईडीएफ) ने इन दावों को पूरी तरह से आधारहीन बताते हुए खारिज कर दिया है। आईडीएफ के प्रवक्ता कर्नल अवीचाय अदराइ्र ने कहा है कि यह ईरानी मीडिया का झूठा प्रचार है।
क्या है मामला
ईरान और इजराइल के बीच तनाव हाल ही में चरम पर है। 13 जून 2025 को इजरायल ने ऑपरेशन राइजिंग लायन के तहत ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर 200 विमानों से 100 से अधिक हमले किये हैं। इन हमलों में ईरान के 4 वरिष्ठ सैन्य कमांडरों, 6 परमाणु वैज्ञानिकों और 78 नागरिकों की मौत हो गयी है। जवाब में ईरान ने इजरायल के तेल अवीव, यरूशलम और अन्य शहरों में 100 से अधिक मिसाइलें और ड्रोन दागे, इसी बीच ईरान ने दावा किया कि उसने 2 एफ-35 विमानों और कई इजरायली ड्रोन को मार गिराया।
F-35 की विशेषताएं
स्टील्थ तकनीक: F-35 का डिजाइन ऐसा है कि यह दुश्मन के रडार पर आसानी से नहीं दिखता. इसका खास आकार और कोटिंग रडार सिग्नल को अवशोषित कर लेती है।
उड़ान दूरी: यह बिना ईंधन भरे लगभग 2,200 किलोमीटर तक उड़ सकता है। इजरायल ने इसे बिना रिफ्यूलिंग के ईरान तक हमले के लिए इस्तेमाल करने की क्षमता विकसित की है।
हथियार: यह मिसाइलें, बम और ड्रोन-नष्ट करने वाले हथियार ले जा सकता है।  इजरायल ने इसके लिए अपनी खुद की पायथन और डर्बी मिसाइलें बनाई है।
सेंसर और हेलमेट: F-35 में इलेक्ट्रो-ऑप्टिकल टारगेटिंग सिस्टम (EOTS) और एक खास हेलमेट है, जो पायलट को 360 डिग्री का दृश्य देता है. हेलमेट पर हवा की गति, ऊंचाई और टारगेट की जानकारी दिखाई देती है।
कीमत: एक F-35 की कीमत लगभग 110 मिलियन डॉलर (करीब 9 अरब रुपये) है. अगर ईरान का दावा सच है, तो इजरायल को 18 अरब रुपये का नुकसान हुआ होगा।
गति: यह 1.6 मैक (लगभग 1,975 किमी/घंटा) की रफ्तार से उड़ सकता है।
इजरायल में F-35: इजरायल के पास 36 F-35 विमान हैं, जो नेवातिम एयरबेस पर तैनात हैं. उसने 75 और विमानों का ऑर्डर दिया है।
इजरायल का F-35 का उपयोग
2018 में इजरायल ने पहली बार F-35 का युद्ध में इस्तेमाल किया. 2021 में इसने ईरानी ड्रोन (शाहेद-197) को मार गिराया. 2023 में इसने हूती विद्रोहियों की क्रूज मिसाइल को नष्ट किया. 2024 में यमन में 1,700 किमी दूर हूती ठिकानों पर हमले किए ।
ईरान का पिछला रिकॉर्ड
ईरान ने आखिरी बार 1999 में सर्बिया द्वारा एक अमेरिकी F-117 स्टेल्थ विमान को मार गिराने के बाद से किसी अमेरिकी निर्मित विमान को नष्ट करने का दावा नहीं किया था. अगर F-35 को मार गिराने का दावा सच है, तो यह 26 साल बाद ऐसा पहला मामला होगा. हालांकि, विशेषज्ञों का कहना है कि ईरान की रूसी S-300 रक्षा प्रणाली F-35 जैसे विमान का पता लगाने में सक्षम नहीं है।

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पाकिस्तान एयर डिफेंस के लिये अमेरिका से मांग रहा है भीख, भारत ने 80 जेट से दागीं 400 मिसाइलें

नई दिल्ली. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय सेना ने पाकिस्तान को कड़ा सबक सिखाया है। पहले भारत ने पाकिस्तान और पीओके में सैन्य कार्यवाही करते हुए 9 आतंकी अड्डों को तबाह किया और बाद में पाकिस्तान के हमलों पर जवाबी कार्यवाही करते हुए उसके 11 सैन्य ठिकानों को भी नुकसान पहुंचाया है। भारत के एयर डिफेंस और सैन्य पराक्रम के आगे पाकिस्तान पूरी तरह से सरेण्डर हो गया और उसे मुंह की खानी पड़ी है। ऐसे में अब हथियारों की खरीद के लिये पड़ोसी देश ने अमेरिका के आगे गुहार लगाई है।
कबूलनामा पाकिस्तान के मंत्री का
पाकिस्तान के 13 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने वॉशिंगटन में सार्वजनिक रूप से एडवांस अमेरिकी हथियारों की मांग की है। पाकिस्तान के केन्द्रीय मंत्री मुसादिक मलिक ने अमेरिका से उन्हें एयर डिफेंस सिस्टम और लड़ाकू विमान बेचने की गुहार लगाई है। पाकिस्तान का यह कबूलनामा उस दावे की पोल खोलता है। जिसमें शहबाज सरकार अपने देश के लोगों के बीच भारत पर सैन्य बढ़त पर झूठ परांस रही है।

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वैश्विक मंच पर बेनकाब हुआ पाकिस्तान, यूएस सांसद बोले बिलावल डेलिगेशन से आतंक का सफाया करो, जैश के खिलाफ कार्यवाही करो

वॉशिंगटन. अमेरिकी सांसद ब्रैड शेरमैन ने पाकिस्तान को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि उसे आतंकी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के खिलाफ निर्णायक कार्यवाही करनी चाहिये। उन्होंने इस आतंकी संगठन को घिनौना बताया और कहा है कि यह समूह 2002 में वॉल स्ट्रीट जर्नल के पत्रकार डेनियल पर्ल की हत्या समेत कई जघन्य अपराधों के लिये जिम्मेदार है। वॉशिंगटन में पाक के पूर्व विदेशमंत्री बिलावल भुट्टों के नेतृत्व में पाकिस्तानी डेलिगेशन से मुलाकात करते हुए शेरमैन ने कहा है कि पाकिस्तान को इस घिनौने आतंकी संगठन को पूरी तरह से खत्म करने के लिये हरसंभव कदम उठाने चाहिये और क्षेत्र में आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से लड़ना चाहिये।
आपको बता दें कि कांग्रेस सांसद शशि थरूर के नेतृत्व में एक भारतीय प्रतिनिधि मंडल भी वॉशिंगटन में मौजूद है। जो ऑपरेशन सिंदूर और हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले को लेकर अमेरिकी अधिकारियों का जानकारी दे रहा है। भारत ने इस हमले के लिये पाकिस्तान समर्थित को जिम्मेदार ठहराया है। सीमा पार आतंकवाद के प्रति अपनी जीरो टॉलरेंस नीति को दोहराया है।

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मस्क को अमेरिका से डिपोर्ट करें ट्रम्प और स्पेस एक्स को ले कब्जे में

नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और अरबपति व्यापारी एलॉन मस्क की तू तू-मै मैं दुनियाभर में चर्चा का विषय है। दोनों एक दूसरे पर धड़ल्ले से आरोप लगा रहे है। एक दूसरे की पोल खोल रहे है। इस दौरान अमेरिकी मीडिया टायकून ने ट्रमप से अनुरोध किया है कि मस्क को सबक सिखाया जाना जरूरी है।
अमेरिकी मीडिया टायकून स्टीव बैनन व्हाइट हाउस के पूर्व अधिकारी भी है। उन्होंने राष्ट्रपति से अनुरोध किया है कि एलॉन मस्क के इमिग्रेशन स्टेटस की जांच होनी चाहिये। उन्हें जल्द से जल्द अमेरिका से डिपोर्ट किया जाना चाहिये। बैनन यहीं नहीं रूके। उन्होंने मस्क की कम्पनी स्पेस-एक्स को जब्त करने का भी अनुरोध किया है। बैनन ने कहा है कि डिफेंस प्रॉडक्शन एक्ट का उपयोग कर मस्क की रॉकेट कम्पनी स्पेस एक्स पर नियंत्रण बनाये।

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बैलिस्टिक मिसाइल की वर्षा हुई यूक्रेन पर, ड्रोन से हमला रूस ने दिया यूक्रेन के ऑपरेषन स्पाइडर वेब का करारा जवाब

नई दिल्ली. रूस ने यूक्रेन के ऑपरेशन स्पाइडर वेब का करारा जवाब दिया है। रूस ने यूक्रेन पर बड़ा हमला करते हुए कई दिशाओं से बैलिस्टिक मिसाइलों और ड्रोन दागे है। यह हमला रणनीतिक रूप से समन्वित था और इसमें रूस ने एक साथ कई ठिकानों को निशाना बनाया है। कीव सिटी मिलिट्री एडमिनिस्ट्रेशन के चीफ तिमुर त्काचेंकों के अनुसार गिरते हुए मलबे और ड्रोन हमलों से कई इमारतों में आग लग गयी। त्काचेंको ने आरोप लगाया है कि रूस ने रिहायशी इलाकों को निशाना बनाया है। जिससे सोलोम्यांस्की जिले की एक ऊंची इमारत को क्षति पहुंची है।
सीएनएन के अनुसार यूक्रेनी वायुसेना ने बताया कि रूस ने कई दिशाओं से बैलिस्टिक मिसाइल और ड्रोन से यूक्रेन पर हमला किया है। यह जानकारी वायुसेना ने अपने आधिकारिक टेलीग्राम चैनल पर शेयर की । हमले के दौरान राजधानी कीव में कई ठिकानों पर विस्फोट और आग लगने की घटनायें सामने आयी है।
रूस ने यूक्रेन पर किया बड़ा हमला
दरअसल, यूक्रेन की स्पेशल फोर्स ने हाल ही में रूस पर ताबड़तोड़ एयरस्ट्राइक की थी। यूक्रेन ने रूस के हवाई ठिकानों को निशाना बनाया था। जमीन पर मौजूद 41 रूसी बमवर्षक विमानों को तबाह कर दिया था। अनुमान के अनुसार रूस के 30 फीसदी से अधिक बमवर्षक बेड़े टीयू-95 टी-22 और ए-50 हवाई रडार को यूक्रेन के ड्रोन अटैक से नुकसान हुआ था। अब रूस ने अपने इस नुकसान का बदला ले लिया है। यूक्रेन की तरफ से यह हमले ऐसे वक्त में किये गये थे। जब वह रूस के साथ जंग के चौथै साल में है। 2 जून को इस्ताबुल में रूस और यूक्रेन के बीच शांति वार्ता के दूसरे दौर से ठीक पहले इन्हें अंजाम दिया गया था। 16 मई को पहले दौर में दोनों पक्षों के बीच कैदियों की सबसे बड़ी अदला-बदली हुई थी।
रूस ने किया था बदले का ऐलान
यूक्रेन के इस हमले के बाद रूस के राष्ट्रपति पुतिन के करीबी और रूस के पूर्व राष्ट्रपति दिमित्री मेदवेदेव ने टेलीग्राम पर एक पोस्ट में लिखा था कि जो लोग चिंतित हैं और प्रतिशोध का इंतजार कर रहे हैं, उन्हें चिंतित होना चाहिए – यह एक सामान्य व्यक्ति की भावना है. प्रतिशोध अवश्य होगा. मेदवेदेव के इस बयान से स्पष्ट है कि रूस इस हमले को हल्के में नहीं लेने वाला है और वह इसका जवाब देने की योजना बना रहा है.

 

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राफेल की बॉडी भारत में बनायेगा टाटा ग्रुप, दोनों के बीच हुई डील

डसॉल्ट एविएशन एक फ्रांसीसी कंपनी है, जो रक्षा और एयरोस्पेस के क्षेत्र में काम करती है। - Dainik Bhaskarनई दिल्ली. फायटर जेट राफेल बनानी वाली कम्पनी दसॉल्ट एविएशन ने भारत की टाटा ग्रुप के साथ बड़ी डील हुई है। दसॉल्ट एविएशन अब टाटा ग्रुप के साथ मिलकर फायटर प्लेन राफेल की बॉड़ी भारत में बनायेगी। इसके लिये दसॉल्ट एविएशन और टाटा ग्रुप ने एक डील पर हस्ताक्षर किये है।
डसॉल्ट एविएशन और टाटा एडवांस्ड सिस्टम लिमिटेड ने भारत में राफेल लड़ाकू विमान के बॉडी पार्ट के निर्माण के लिये 4 प्रॉडक्शन ट्रांसफर एग्रीमेंट पर हस्ताक्षर किये है। यह समझौता देश की एयरोस्पेस विनिर्माण क्षमताओं को मजबूत करने और ग्लोबल सप्लाई चेन को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम होगा। यह सुविधा भारत के एयरोस्पेस बुनियादी ढांचे का एक अहम निवेश को बढ़ाएवा देगी। इस कदम को भारत में सामरिक और सैन्य विमानों के निर्माण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पड़ाव माना जा रहा है।
क्या होता है राफेल जेट का फ्यूजलाज?
राफेल फाइटर जेट में फ्यूजलाज (fuselage) विमान का मुख्य ढांचा है, जो इसका केंद्रीय संरचनात्मक हिस्सा होता है. यह पायलट कॉकपिट, इंजन, इलेक्ट्रॉनिक सिस्टम, और हथियारों को जोड़ता है, साथ ही विंग्स और टेल को सहारा देता है. दसॉल्ट एविएशन के अनुसार राफेल का फ्यूजलाज हल्के और मजबूत कम्पोजिट सामग्रियों (जैसे कार्बन और केवलर फाइबर) से बना होता है, जो इसका वजन कम करता है और अधिकतम टेक-ऑफ वजन को खाली वजन के अनुपात में 40% तक बढ़ाता है। यह डिजाइन उच्च गति को संभव बनाता है।
Fuselage विमान की स्थिरता, एयरो डायनामिक्स, और रडार क्रॉस-सेक्शन को कम करने में महत्वपूर्ण है। राफेल का फ्यूजलाज सर्पेन्टाइन एयर इनटेक और कम्पोजिट सामग्री के कारण रडार डिटेक्शन को कम करता है, जो इसे युद्ध में कम विजिबल बनाता है।
पहली बार फ्रांस के बाहर फ्यूजलाज प्रोडक्शन
दसॉल्ट एविएशन के चेयरमैन और CEO ने कहा कि, “पहली बार, राफेल के fuselage  का उत्पादन फ्रांस के बाहर किया जाएगा। यह भारत में हमारी सप्लाई चेन को मजबूत करने की दिशा में एक निर्णायक कदम है। भारतीय एयरोस्पेस उद्योग में प्रमुख खिलाड़ियों में से एक TASL (Tata Advanced Systems limited) सहित हमारे स्थानीय भागीदारों को इस विस्तार के लिए धन्यवाद, यह सप्लाई चेन राफेल के सफल निर्माण में योगदान देगी और हमारे समर्थन से हमारी गुणवत्ता और प्रतिस्पर्धात्मकता आवश्यकताओं को पूरा करेगी ।”

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कॉवरी फायटर इंजन को आसमान में उड़ान भरने की मिली मंजूरी

नई दिल्ली. भारत के स्वदेशी फायरटर जेन इंजन कॉवेरी को पहली आसमान में उडाने की मंजूरी मिली गयी है। कॉवेरी एक लो-बायपास ट्विन स्पूल टर्बोफैन इंजन है। इसे डीआरडीओ के तहत गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैबलिशमेंट (जीटीआरई) द्वारा तैयार किया गया है। कॉवेरी इंजन में 80 किलो न्यूटन का थ्रस्ट है। पर्याप्त मैनुअल बैकअप के साथ ट्विन लेन फुल अथॉरिटी डिजीटल इंजन कंट्रोल कॉवेरी की सबसे खास डिजाइन विशेषता है।
कॉवेरी इंजन का डीआरडीओ 1980 शुरू किया था निर्माण
डीआरडीओ के अनुसार कॉवेरी इंजन परियोजना 1980 के दशक में शुरू की गयी थी। रूस में भारत के कॉवेरी जेट इंजन का परीक्षण किया जा रहा है। यह इंजन लम्बी दूरी के मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन (यूसीएवी) में लगेगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की टीम रूस में कॉवेरी इंजन का परीक्षण कर रही है। इस इंजन को बनाने की शुरूआत लड़ाकू विमान तेजस को ध्यान में रखकर की गयी थी। लेकिन अब यह मेड इन इंडिया ड्रोन में उपयोग किया जायेगा। डीआरडीओ ने कॉवेरी की खासियतों की वजह से इसे पांचवी पीढ़ी का इंजन कहा है।

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चीनी महिला साइंटिस्ट की बॉयफ्रेंड के साथ मिलकर खतरनाक फंगस वाली साजिश, एगा्रे टेररिज्म का खेल

नई दिल्ली. यून्किंग जियान और जुनयोंग लियू यह 2 नाम फिलहाल अमेरिका में चर्चा का विषय बने हुए हैं। 33 साल की जियान और 34 साल के लियू दोनों ही चीनी नागरिक है। जिन पर आरोप है कि इन्होंने अमेरिका में एक बेहद खतरनाक रोगाणु की तस्करी की है जो फसलों में रोग पैदा करता है।दोनों चीनी नागरिकों को षडयंत्र रचने, अमेरिका में तस्करी करने, झूठे बयाने देने और वीजा धोखाधड़ी के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया है। मंगलवार को अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है कि दोनों चीनी नागरिकों ने अमेरिका में फ्यूजेरियम ग्रैमिनीरम रोगाणु कवक की तस्करी की है। जिसे वैज्ञानिक कृषि आतंकवाद का हथियार बताते हैं।
ऐसे सामने आई एग्रो टेरिरिज्म की साजिश
अधिकारियों ने बताया है कि जियान और उसके बॉयफ्रेंड लियू को कथित तौर पर अपने रिसर्च के लिये चीनी सरकार से फंडिंग मिल रही थी। बयान में कहा गया है कि लियू एक चीनी यूनिवर्सिटी में काम करता है और वहीं पर वह फ्यूजेरियम ग्रैमिनीरम पर रिसर्च कर रहा है। पूछताछ के दौरान उसने पहले तो झूठ बोला और फिर स्वीकार किया है कि ग्रैमिनीरम को डेट्रोंयट मेट्रोपोलिटन हवाई अड्डे के जरिये वह अमेरिका लेकर आने वाला था। वह मिशिगन यूनिवर्सिटी की लैब में इस पर रिसर्च करना चाहता था। जहां उसकी गर्लफ्रेंड जियान काम करती थी। ऐसा माना जा रहा है कि दोनों चीनी नागरिक चीन की सत्ताधारी कम्यूनिट पार्टी से जुड़े हुए है।
चीनी नागरिकों के खिलाफ दायल हलफनामे के मुताबिक, 27 जुलाई, 2024 को लियू ने अमेरिका में एंट्री ली और उसने अधिकारियों को बताया कि वो अपनी गर्लफ्रेंड से मिलने आया है।  उसने बताया कि वो जल्द ही लौट जाएगा क्योंकि उसे चीन में अपना लैब शुरू करना है । अमेरिकन टेलिविजन नेटवर्क, ABC की रिपोर्ट के मुताबिक, लियू ने कथित तौर पर कहा कि उसके पास कोई काम की चीज नहीं है, लेकिन उसके सामान की दूसरी बार जांच करने पर अधिकारियों को चीनी भाषा में एक नोट, फिल्टर पेपर का एक गोल टुकड़ा जिस पर गोलाकार आकृति बनी हुई थी और 4 प्लास्टिक की थैलियां मिलीं, जिनके अंदर लाल रंग की पौधों की सामग्री के छोटे-छोटे गुच्छे थे।  पूछने पर लियू ने अमेरिकी अधिकारियों को बताया कि उसे नहीं पता, ये चीजें कैसे उसके बैग तक पहुंचीं. लेकिन बाद में सख्ती से पूछताछ करने पर सारा सच उगल दिया।
अदालती रिकार्ड के अनुसार उस समय उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया था
शिकायत के अनुसार, ‘लियू ने कहा कि उसने जानबूझकर अपने बैग में नमूने छिपाए थे क्योंकि उसे पता था कि वो जो चीज लेकर जा रहा है, उसके आयात पर प्रतिबंध हैं।  लियू ने कबूला कि उसने जानबूझकर नमूनों को टिशू के एक बंडल में रखा था ताकि अमेरिकी अधिकारी उसे ढूंढ न पाएं और अमेरिका में वो अपना रिसर्च जारी रख सके.।’

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रूस के 4 एयरबेस पर यूक्रेन ने किया ड्रोन से हमले, बम बरसाने वाले 40 विमानों को किया तबाह

नई दिल्ली. यूक्रेन ने रूस के 4 महत्वपूर्ण एयरबेस, ओलेन्या और बेलाया पर हमला किया गया है। यूक्रेनी सेना ने इस हमले में ड्रोन में उपयोग किया है। ऐसा बताया जा रहा है कि जिन एयरबेस को निशाना बनाया गया है। वह रूस यूक्रेंन सीमा से काफी अंदर पड़ता है। यूक्रेनी मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार यह हमला यूक्रेनी सेना का अभी तक का सबसे बड़ा ड्रोन हमला था। यूक्रेन ने खासतौर से उस बेस को निशाना बनाया है। जिसका उपयोग रूस उस पर बम बरसाने के लिये कर रहा था। यूक्रेन की ओर से कहा गया है कि उसने रूस के अन्दर स्थित कई एयरबेस पर ड्रोन से अटैक किया है। जिसमें 40 से अधिक रूसी बॉम्बर्स को ध्वस्त कर दिया है। जिसका उपयोग रूस यूक्रेन पर बम बरसाने के लिये कर रहा था। यूक्रन का कहना है कि यह वहीं विमान है जो अक्सर यूक्रेन के ऊपर उड़ान भरते हैं बम गिराते हैं। यूक्रेन ने रूस के मरमंस्क में ओलेन्या एयरबेस, इरकुत्सक में बेलाया एयरबेस, इवानोवो में इवानोवो एयरबेस और डायगिलेवो एयरबेस को निशाना बनाया है।
यूक्रेन की सुरक्षा सेवा के एक अधिकारी ने बताया है कि उनके ड्रोन रूसी इलाके में गहराई तक जाकर बड़े बॉम्बर्स विमानों जैसे टीयू-95, टीयू-22 और महंगे और दुर्लभ ए-’50 जासूसी विमान को नुकसान पहुंचाने में कामयाब रहे। एसबीयू ने बताया कि हमला बेलाया एयरबेस पर हुआ। जो रूस में इर्कुत्स्क के एक दूरस्थ क्षेत्र में पड़ता है। इनके अलावा ओलेन्या एयरबेस पर भी आग लगने की खबरे है। लेकिन इसे अभी आधिकारिक रूप से पुष्टि नहीं मिली है।