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कॉवरी फायटर इंजन को आसमान में उड़ान भरने की मिली मंजूरी

नई दिल्ली. भारत के स्वदेशी फायरटर जेन इंजन कॉवेरी को पहली आसमान में उडाने की मंजूरी मिली गयी है। कॉवेरी एक लो-बायपास ट्विन स्पूल टर्बोफैन इंजन है। इसे डीआरडीओ के तहत गैस टर्बाइन रिसर्च एस्टैबलिशमेंट (जीटीआरई) द्वारा तैयार किया गया है। कॉवेरी इंजन में 80 किलो न्यूटन का थ्रस्ट है। पर्याप्त मैनुअल बैकअप के साथ ट्विन लेन फुल अथॉरिटी डिजीटल इंजन कंट्रोल कॉवेरी की सबसे खास डिजाइन विशेषता है।
कॉवेरी इंजन का डीआरडीओ 1980 शुरू किया था निर्माण
डीआरडीओ के अनुसार कॉवेरी इंजन परियोजना 1980 के दशक में शुरू की गयी थी। रूस में भारत के कॉवेरी जेट इंजन का परीक्षण किया जा रहा है। यह इंजन लम्बी दूरी के मानव रहित लड़ाकू हवाई वाहन (यूसीएवी) में लगेगा। रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की टीम रूस में कॉवेरी इंजन का परीक्षण कर रही है। इस इंजन को बनाने की शुरूआत लड़ाकू विमान तेजस को ध्यान में रखकर की गयी थी। लेकिन अब यह मेड इन इंडिया ड्रोन में उपयोग किया जायेगा। डीआरडीओ ने कॉवेरी की खासियतों की वजह से इसे पांचवी पीढ़ी का इंजन कहा है।

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