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ब्रम्हपुत्र नदी बांध बनाने की योजना का चीन ने किया बचाव, गहन अध्ययन के बाद दी मंजूरी

नई दिल्ली. चीन ने तिब्बत में ब्रम्हपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े डैम प्रोजेक्ट की योजना को सुरक्षित बताते हुए इसका बचाव किया है। चीन का दावा है कि यह परियोजना से निचले क्षेत्रों पर कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ेगा। इसे कई दशकों की रिसर्च के बाद सुरक्षित तरीके से निर्माण कराया जा रहा है। अंर्तराष्ट्रीय चिन्ताओं के बावजूद, चीन ने तिब्बत में ब्रम्हपुत्र नदी पर दुनिया के सबसे बड़े डैम प्रोजेक्ट को मंजूरीदी है। चीन इस परियोजना पर 137 अरब डॉलर खर्च करेगा। जो कि भूकंप वाले हिमालयी क्षेत्र में स्थित है। हालांकि, कई देशों ने इस प्रोजेक्ट पर अपनी चिन्ता जाहिर की है।
विशेष अध्ययन के बाद प्रोजेक्ट को दी गयी मंजूरी
चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ निंग ने बताया है कि चीन सदैव क्रॉस-बार्डर नदियों के विकास की जिम्मेदारी निभाई है। उन्होंने बताया है कि तिब्बत में हाइड्रोपावर डवलपमेंट को दशकों की इन-डेप्थ स्टडी के बाद मंजूरी दी गयी है। उन्होंने बताया कि इसके लिये तमाम सुरक्षा उपाय लागू किये गये है। उन्होंने बताया है कि इस परियोजना से निचले इलाके में कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा। चीनी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता माओ ने कहा है कि चीन सीमावर्ती देशों के साथ बातचीत जारी रखने के लिये तैयार है। उन्होंने यह भी विश्वास दिया है कि चीन निचली नदियों के किनारे मौजूद देशों के साथ भूकंप और आपदा प्रबंधन में सहयोग को बढ़ावा देगा। ताकि नदी के किनारे रहने वाले लोगों को लाभ हो सके।
ब्रह्मपुत्र नदी पर प्रस्तावित डैम: एक महत्वाकांक्षी परियोजना
चीन ने तिब्बत में ब्रह्मपुत्र नदी (यारलुंग त्सांगपो) पर दुनिया के सबसे बड़े हाइड्रोपावर डैम के निर्माण की योजना बनाई है। यह डैम दुनिया का सबसे बड़ा और शक्तिशाली डैम होगा, जिसे “मेदोग काउंटी” के पास हिमालय की घाटियों में बनाया जाएगा।
डैम से जुड़ी मुख्य बातें:
उद्देश्य:
जलविद्युत उत्पादन को बढ़ाना।
चीन की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करना।
तकनीकी विशेषताएं:
यह परियोजना वर्तमान में चीन के थ्री गॉर्जेस डैम से तीन गुना अधिक बिजली उत्पादन करेगी।
डैम को तिब्बत के अत्यंत चुनौतीपूर्ण पर्वतीय क्षेत्रों में बनाया जाएगा।
पर्यावरणीय प्रभाव:
परियोजना के कारण हिमालयी पारिस्थितिकी तंत्र पर असर पड़ सकता है।
नदी के प्रवाह में बदलाव से भारत और बांग्लादेश जैसे तटवर्ती देशों को जल संसाधनों की कमी का सामना करना पड़ सकता है।
क्षेत्रीय चिंताएं:
भारत और बांग्लादेश जैसे देशों ने इस परियोजना पर आपत्ति जताई है।
ब्रह्मपुत्र नदी पर इस प्रकार के डैम से निचले इलाकों में बाढ़ और सूखे की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
भारत और बांग्लादेश पर प्रभाव:
ब्रह्मपुत्र नदी भारत और बांग्लादेश के लिए जीवन रेखा है। इसका प्रवाह कृषि, सिंचाई, और पेयजल आपूर्ति के लिए महत्वपूर्ण है। इस डैम के निर्माण से इन देशों की जल सुरक्षा पर गहरा प्रभाव पड़ सकता है।
निष्कर्ष:
ब्रह्मपुत्र नदी पर इस मेगा डैम का निर्माण तकनीकी दृष्टि से एक बड़ी उपलब्धि हो सकता है, लेकिन इससे जुड़े पर्यावरणीय और क्षेत्रीय प्रभावों पर गंभीरता से विचार करना आवश्यक है। यह परियोजना न केवल तिब्बत, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया के भविष्य को प्रभावित कर सकती है।

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प्लेन का क्रैश-हल्का सा झुका प्लेन जमीन से टकराते ही हुआ क्रैश, 42 लोगों की मौत 22 यात्री घायल

39 लोगों के मारे जाने की आशंका, क्रैश से पहले इमरजेंसी लैंडिंग की परमिशन मांगी थी|विदेश,International - Dainik Bhaskar

नई दिल्ली. कजाकिस्तान में बड़ा विमान हादसा हो गया है। अजरबैजान एयरलाइंस का यात्री विमान लैंडिंग के समय क्रैश हो गया है। विमान में 67 लोग सवार थे। जिसमें 5 क्रू मेम्बर्स थे।42 लोगों की मौत हो गयी है जबकि 22 यात्री घायल है जिन्हें उपचार के लिये पास के ही अस्पताल में भर्ती कराया गया है।.

 अजरबैजान एयरलाइंस का यात्री विमान क्रैश होने तक के फोटोज और वीडियो…

यह विमान अजरबैजान के बाकू से रूस के चेचन्या की ओर जा रहा था। कजाकिस्तान सरकार ने बताया है कि अजरबैजान प्लेन क्रैश में 42 लोगों की मौत हो गयी है। इस हादसे में 25 लोग बचने में कामयाब रहे। कजाकिस्तान की इमरजेंसी सर्विसेज का कहना है कि प्लेन क्रैश की गा को पूरी तरह से आग पर काबू पा लिया गया है। इस हादसे में कई वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। जिनमें देखा जा सकता है कि लैडिंग के समय विमान में भयंकर आग लग गयी थी। इसके बाद पूरा प्लेन जलने लगता है। विमान के क्रैश होने को लेकर कई वजह सामने आ रही है।
पूरे हादसे में पर अजरबैजान एयरलाइंस ने बयान जारी कर बताया है कि दुर्घटनाग्रस्त प्लेन एंबरेयर 190 विमान था। इसका नम्बर था जे2-8243 । बाकू से ग्रॉजी रूट पर जा रहे। इस विमान की इमरजेंसी लैंडिंग करनी पड़ी अकातू से 3 किमी दूर इमरजेंसी लैंडिंग के दौरान विमान क्रैश हो गया।

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यूएस नेवी ने अपने एफ/ए’18 जेटर मार गिराया, 484 करोड़ रूपये का नुकसान

नई दिल्ली. US ZNavy नेवी ने लालसागर में गलती से अपने ही एफ/ए-18 फायटर जेट को मार गिराया है। इस एक फायटर जेट के गिरने से अमेरिका को तत्काल 473 से 484 करोड़ रूपये का नुकसान हुआ है। क्योंकि फायटर जेट की कीमत उसके वैरियेंट के आधार पर होती है। जिसकी डिटेल अमेरिकी नौसेना ने अभी तक नहीं दी है।
अमेरिकी सरकार ने भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर आईएनएस विक्रांत के लिये इस फायटर जेट को पिच किया था। लेकिन फ्रांस का राफेल -एम इस पर भारी पड़ा। भारत ने राफेल के लिये डील किया। अमेरिकी फायटर जेट को मना कर दिया।

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रूस के कजान में अमेरिका 9/11 जैसा हमला, 3 हाईराइज इमारतों से टकराया

 यूक्रेन ने रूस के कजान शहर में रिहायशी इमारतों को निशाना बनाकर आठ ड्रोन हमले किए. (AP Photos)

नई दिल्ली. रूस के कज़ान शहर में भीषण हमला हुआ है। जिसने दुनिया को अमेरिका में 9/11 हमले की याद दिला दी है। रूस के कजान शहर में सीरियल ड्रोन अटैक किये गये है। यह हमले कजान शहर के 3 हाईराइज इमारतों में हुए है। हमले की वजह भारी नुकसान होने की खबरें सामने आ रही है। हालांकि रूस ने बताया है कि उन्होने एक ड्रोन को मार गिराया है।
कजान की हाईराइल इमारतों में हुए यूएवी अटैक की तस्वीरें और वीडियों सोशल मीडिया पर शेयर किये जा रहे है। इनमें साफतौर पर नजर आ रहा है कि अलग-अलग दिशाओं से आ रहे किलर ड्रोन हवा में ही इमारतों से टकरा गये है। ड्रोन के इमारतों से टकराने के बाद बड़ा विस्फोट होता हुआ भी नजर आया है। रूस ने इस हमले का आरोप सीधे यूक्रेन पर लगाया है। रूसी रक्षा मंत्रालय ने ट्वीट कर कहा है कि यह ड्रोन यूक्रेन की ओर से किया गया था।

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रूस ने कैंसर की तैयार की वैक्सीन, पुतिन बोले- नागरिकों को फ्री लगायेंगे वैक्सीन, सदी की सबसे बड़ी तलाश

मॉस्को. रूस के स्वास्थ्य मंत्रालय को बताया है कि हमने कैंसर की वैक्सीन बनाने में कामयाबी हासिल कर ली है। इसकी जानकारी रूसी स्वास्थ्य मंत्रालय के रेडियोलॉजी मेडीकल रिसर्च सेंटर के निदेशक आंद्रेई कप्रीन ने रेडियो पर दी। रूसी न्यूज एजेंसी TASS  के अनुसार, इस वैक्सीन को अगले वर्ष से रूस के नागरिकों को फ्री लगाया जायेगा।
निदेशक आंद्रेई ने कहा है कि रूस ने कैंसर के खिलाफ अपनी  mRNA वैक्सीन विकसित कर ली है। रूस की इस खोज को सदी की सबसे बड़ी खोज माना जा रहा है। वैक्सीन के क्लीनिकल ट्रायल से पता चला है कि इससे ट्यूमर के विकास को रोकने में मदद मिलती है। इससे पहले इस वर्ष की शुरूआत में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने बताया था। रूस कैंसर की वैक्सीन बनाने के बेहद नजदीक है।
क्या होती है mRNA  वैक्सीन
mRNA  या मैंसेंजर या mRNA  इंसानों के जेनेटिक कोड का एक छोटा सा हिस्सा है। जो हमारी सेल्स (कोशिकाओं) में प्रोटीन बनाती है। इसे आसान भाषा में ऐसे भी समझ सकते है कि जब हमारे शरीर पर कोई वायरस या बैक्टीरिया हमला करता है तो mRNA  टेक्नोलॉजी हमारी सेल्स को उस वायरस या बैक्टीरिया से लड़ने के लिये प्रोटीन बनाने का मैसेज भेजती है। इससे हमारे इम्यून सिस्टम को जो जरूरी प्रोटीन चाहिये। वह मिल जाता है और हमारे शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है। इसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इससे कन्वेंशनल वैक्सीन के मुकाबले अधिक जल्दी वैक्सीन बन सकती हे और इसके साथ ही इससे शरीर की इम्यूनिटी भी मजबूत होती है। mRNA  टेक्नोलॉजी पर आधारित यह कैंसर की पहली वैक्सीन है।

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रविचन्द्रन अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से लिया सन्यास

ब्रिस्बेन. भारत के सबसे सफल स्पिनर में से एक रविचन्द्रन अश्विन ने इंटरनेशनल क्रिकेट से सन्यास ले लिया है। ऑफ स्पिनर अश्विन ने गाबा टेस्ट के 5वें दिन इमोशनल अन्दाज में इंटरनेशनल क्रिकेट को छोड़ने का निर्णय लिया है। उन्होंने रिटायरमेंट से पहले विरोट कोहली को गले लगाया है। हेडकोच गौतम गंभीर से चर्चा की। इसके बाद वह रोहित शर्मा संग पत्रकारवार्ता में आये। जिसके बाद उन्होंने अपने इंटरनेशनल क्रिकेट को अलबिदा कह दिया हे। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच गाबा टेस्ट 5वें दिन जैसे ही रूका। इस बीच रविचंद्रन अश्विन ने विरोट कोहली को गले लगाया। इसके बाद इस बात के कयास लगने लगे कि वह सन्यास लेने का फेसला कर सकते है।
सोशल मीडिया पर भी इस बात की चर्चा होने लगी। मैच में ब्रेक के दौरान अश्विन ने टीम इंडिया के हेडकोच गौतम गंभीर से भी चर्चा की। फिर अश्विन कप्तान रोहित शर्मा संग आये और अपने सन्यास का ऐलान किया है। 38 वर्ष के अश्विन भारत के लिये दूसरे सबसे ज्यादा विकेेट लेने वाले टेस्ट गेंदबाज है। उनके नाम 537 टेस्ट विकेट है। अश्विन से आगे केवल अनिल कंुम्बले है। जिन्होंने कुल 619 विकेट झटके थे। वहीं अश्विन अन्ना ने टेस्ट क्रिकेट में उन्होंने भारत के लिये एक पारी में सबसे अधिक बार 5 विकेट 37 अपने नाम किये हैं। वहीं वह सबसे अधिक प्लेयर ऑफ द सीरीज अवॉर्ड 11 बार अपने नाम कर चुके हैं। जो मुरलीधरन के बराबर है।

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“तानसेन संगीत समारोह  से एक दिन पहले दुर्लभ यंत्रों से गुंजायमान होगा ग्वालियर शहर  

पूर्वरंग के तहत 14 दिसम्बर को संगीत की नगरी में 10 स्थलों पर होंगीं प्रस्तुतियाँ
ग्वालियर – तानसेन समारोह के एक दिन पहले संगीत की नगरी ग्वालियर में दुर्लभ वाद्य यंत्रों की स्वर लहरियाँ गूँजेंगीं। “तानसेन संगीत समारोह” शताब्दी आयोजन को ध्यान में रखकर समारोह में इस बार नए आयाम जोड़े गए हैं। जिसके तहत तानसेन समारोह के एक दिन पहले यानि 14 दिसम्बर को पूर्वरंग के रूप में संगीत की नगरी ग्वालियर के 10 प्रमुख स्थलों पर दुर्लभ वाद्य यंत्रों की प्रस्तुतियां होंगीं। इनमें टाउन हॉल महाराज बाड़ा, बैजाताल, हस्सू-हद्दू खाँ सभागृह, जयविलास पैलेस, राजामानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय, शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय, शंकर गांधर्व महाविद्यालय, दत्त मंदिर, ग्वालियर किला व तानसेन कलावीथिका शामिल है।
पूर्व रंग के तहत 14 दिसम्बर को सायंकाल 4.30 बजे महाराज बाड़ा स्थित टाउन हॉल में सतीश खानवलकर – अम्बरीष कालेले का मोहनवीणा वादन होगा। इसी तरह बैजाताल पर भूषण कोष्ठी द्वारा सुरबहार वादन व दत्त मंदिर में सुश्री भिमण्णा जाधव द्वारा सुंदरी की प्रस्तुति दी जायेगी। पूर्वरंग के तहत हस्सू-हद्दू खाँ सभागृह में सुश्री शारदा मुष्टी का रुद्रवीणा वादन, जयविलास पैलेस में सुश्री श्रुति अधिकारी का संतूर वादन, राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय सौरभ चौरसिया का नालतरंग वादन, शासकीय माधव संगीत महाविद्यालय में सुश्री अर्पिता शर्मा का रुद्रवीणा वादन, शंकर गंधर्व महाविद्यालय में हिमांशु सैनी का सरोद वादन, ग्वालियर किला पर उस्ताद अब्दुल सलाम नौशाद का क्लेरोनेट वादन एवं तानसेन कलावीथिका में पं. अवधेश द्विवेदी एवं अनमोल द्विवेदी का पखावज पर दुर्लभ वाद्यों की प्रस्तुतियां देंगे।
शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में सुर सम्राट तानसेन की याद में 100वाँ तानसेन संगीत समारोह 15 से 19 दिसम्बर तक संगीत की नगरी ग्वालियर में आयोजित होने जा रहा है।
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होस्नी मुबारक, कर्नल गद्दाफी और अब बशर असद को छोड़ना पड़ी गद्दी

कर्नल गद्दाफी, बशर अल असद और होस्नी मुबारक

नई दिल्ली. वर्ष 2011 अरब जगत के देशों के लिये भारी उथल-पुथल देखने को मिल रही है। ट्यूनीशिया में एक सब्जी बेचने वाले के आत्मदाह से भड़की आग में इस क्षेत्र के कई देश झुलस गये। आलम यह था कि ट्यूनीशिया से निकली विद्रोह की यह चिन्गारी मिस़्, यमन, लीबिया और सीरिया सहित कई देशों तक फैली है। विद्रोह की इस चिंगारी को जैस्मीन क्रांति या फिर अरब स्प्रिंग कहा गया है। इस क्रांति ने कई तानाशाहों की चूल्हें हिला दी और उन्हें गद्दी से उतर फेंका। इस फेहरिस्त में पहला नाम मिस्त्र के तानाशाह होस्नी मुबारक का है। होस्नी मुबारक 1981 में अनवर सदत की हत्या के बाद मिस्त्र के राष्ट्रपति बने थे। वर्ष 1981 से 2011 तक मिस्त्र में एक छत्र राज करते रहें। लेकिन 2011 में ट्यूनीशिया से निकली विद्रोह की चिंगारी में उन्हें गद्दी से उतरना पड़ा था।
जब होस्नी को छोड़नी पड़ी थी गद्दी
जनवरी 2011 में मिस्त्र की राजधानी काहिरा के तहरीर स्क्वायर में हजारों की संख्या में प्रदर्शनकारी एकत्रित हो गये। जिन्होंने राजनीतिक सुधारों और मुबारक के इस्तीफ की मांग की। सोशल मीडिया और इंटरनेट के माध्यम सेआन्दोलन को व्यापक समर्थन मिला। जिसने सरकार के दमन के प्रयासों को चुनौती दी। होस्नी मुबारक सरकार ने शुरूआत में इन विरोधों को दबाने की कोशिश की। लेकिन जनता के भारी समर्थन और वैश्विक दबाव के सामने उनकी रणनीति फैल रहीं। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच झड़प् के बावजूद प्रदर्शनकारियों ने अपनी मांगों को जारी रखा। लेकिन 18 दिनों तक हुए हिंसक प्रदर्शन के बाद होस्नी मुबारक को अपना पद छोड़कर सत्ता सेना के हाथ में चली गयी। यह पहली बार था जब मिडिल ईस्ट में सोशल मीडिया से शुरू होकर सड़क तक पहुंचे। एक आन्दोलन ने किसी निरंकुश शासक को सत्ता से उखाड़ फेंका था। इस प्रदर्शन में 239 प्रदर्शनकारियों की मौत हो गयी थी।

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हिज्बुल्लाह के हथियार डिपो पर इजरायल सेना ने किया हमला

तेल अवीव. लेबनान में सीजफायर के बीच इजरायली सेना ने हिज्बुल्लाह के रॉकेट लांचर को हवाई हमले में उड़ा दिया। बुधवार से हिज्बुल्लाह के साथ जारी युद्ध विराम के तीसरे दिन इजरायल ने यह हमला किया है। इसके संबंध में जानकारी देते हुए इजरायली सेना ने संघर्ष विराम समझौते के उल्लघंन पर कड़ी कार्यवाही की भी चेतावनी दी है। लेबनान की सेना ने इजरायल पर कई बार समझौते तोड़ने का आरोप लगाया है। दक्षिणी लेबनान पर भी इजरायली हमले किये गये और हिजबुल्लाह के हथियार डिपों को गुरूवार को ड्रोन से निशाना बनाया गया। उधर, समझौते के तीसरे दिन हिजबुल्लाह प्रमुख नईम कासिम ने बयान जारी किया था। उन्होंने समझौता लागू करने का विश्वास दिया। उन्होंने कहा कि मैंने यह घोषणा करने का फैसला किया है कि एक आधिकारिक युद्ध में हम एक बड़ी जीत की तरफ बढ़ रहे हैं। जो वर्ष 2006 में मिली जीत से भी बड़ी है।
उधर, युद्ध विराम समझौता लागू होने के बाद दक्षिणी लेबनान में अपने घरों को लौटने वाले लोगों का तांता लगा हुआ है। लेबनान में जहां स्थिति सामान्य होती दिखाई दे रही है। वहीं सीमा पार इजरायल में अब भी लोग अपने घरों को लौटने के लिये तैयार नहीं है। लेबनान से सटे उत्तरी इजरायल में लोगों का हिज्बुल्लाह के वादे पर अब भी भरोसा नहीं हो पा रहा है। लोग इजरायली सरकार के फैसले से भी खुश नहीं है।

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इजरायल और हमास के बीच जारी है युद्ध, 44 हजार से अधिक फिलिस्तीनी नागरिक मारे गये

नई दिल्ली. हमास और इजरायल के दौरान जंग शुरू होने के बाद से अभी तक गाजा में 44 हजार से अधिक फिलिस्तीनी नागरिक मारे गये हैं। जबकि घायल होने वालों की सुख्या 104,008 से अधिक है। यह जानकारी साझा करते हुए गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय ने बताया हैकि गाजामें इजरायली हमलों में पिछले 48 घंटों में कम से कम 255 से अधिक फिलिस्तीनी मारे गये ह ै और 110 अन्य लोग घायल हुए है। उधर, अमेरिका ने तुर्की को हमास नेताओं की मेजबानी करने के खिलाफ चेतावनी दी है। अमेरिका ने कहा है कि फिलिस्तीनी आतंकी समूह के साथ अब पहले जैसा काम नहीं हो सकता।
यूएस विदेश विभाग के प्रवक्ता मैथ्यू मिलर ने बताया है कि उन्होंने कुछ दिनों में यह रिपोर्ट देखी है कि वह हमास तुर्की चले गये है। लेकिन निश्चित रूप से वह तुर्की सरकार को साफ कर देंगे। जैसा कि उन्होंने दुनिया के हर देश को स्पष्ट कर दिया है कि हमास के साथ अब पहले जैसा व्यवहार नहीं हो सकता है। मिलर ने कहा है कि अमेरिका इन रिपोटर््स पर विवाद करने की स्थिति में नहीं है। हालांकि तुर्की ने इन रिपोर्ट्स का खण्डन किया है। यूएस विदेश मंत्रालय के एक सूत्र न सीएनएन को बताया है कि हमास के राजनीतिक ब्यूरो के सदस्य समय-समय पर तुर्की का दौरा करते हैं। हमास के राजनीतिक ब्यूरो के तुर्की चले जाने के दावे सच्चाई को नहीं दर्शाते हैं। अमेरिका की यह चेतावनी तब आयी है। जब हमास और इजरायल के बीच बंधकों को लेकर की जा रही बात में एक अहम मध्यस्स्थ कतर ने अपने हाथ खींच लिये हैं।


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