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कर्मचारियों के प्रमोशन का रास्ता साफ, 1 लाख से ज्यादा कर्मचारी बिना प्रमोशन रिटायर हुए

भोपाल. हम किसी भी विभाग में पद खाली नहीं रहने देंगे। विपक्ष थोड मदद करेगा तो हम प्रमोशन पर भी ठीक रास्ते पर जा रहे हैं। हम और आप मिलकरर सभी वर्गों के जो प्रमोशन अटके है उनका भी समाधान खोज रहे है ताकि नीचे के पद और रिक्त हो जाएं। उनको भी भरने का काम हमारी सरकार के माध्यम से किया जा सके। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव ने विधानसभा में ये बया दिया था। इसके साथ ही सीएम ने संकेत दिए है कि जल्द ही कर्मचारियों को प्रमोशन का रास्ता साफ होने वाला है। दरअसल मध्य प्रदेश में पिछले 9 साल से कर्मचारी-अधिकारियों के प्रमोशन नहीं हुए हैं। इस दौरान 1 लाख से ज्यादा अधिकारी-कर्मचारी बिना प्रमोशन के ही रिटायर हो चुके है।
किस वजह से प्रमोशन पर रोक लगी
साल 2002 में तत्कालीन सरकार ने प्रमोशन के नियम बनाते हुए प्रमोशन में आरक्षण का प्रावधान कर दिया था। ऐसे में आरक्षित वर्ग के कर्मचारी प्रमोशन पाते गए, लेकिन अनारक्षित वर्ग के कर्मचारी पिछड़ गए। जब इस मामले में विवाद बढ़ा तो कर्मचारी कोर्ट पहुंचे। उन्होंने कोर्ट से प्रमोशन में आरक्षण खत्म करने का आग्रह किया। कोर्ट को तर्क दिया कि प्रमोशन का फायदा सिर्फ एक बार मिलना चाहिए। इन तर्कों के आधार पर मप्र हाईकोर्ट ने 30 अप्रैल 2016 को मप्र लोक सेवा (पदोन्नति) नियम 2002 खारिज कर दिया। सरकार ने इस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी। शीर्ष कोर्ट ने यथास्थिति रखने का आदेश दिया। तभी से प्रमोशन पर रोक लगी है।

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