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300 वर्षो से विराजमान है मोटे गणेश जी, पाटौर की खुदाई में प्रकट हुए थे गणेश जी मूर्ति, चतुर्थी पर पहनते हैं मराठी पगड़ी

ग्वालियर. यदि आप ग्वालियर आ रहे हैं तो खासगी बाजार स्थित मोटे गणेश जी के दर्शन जरूर करियेगा, क्योंकि यह गणेश मंदिर करीब 300 वर्ष पुराना है। ऐसा बताया जाता है कि कभी यहां पुरानी पाटौर हुआ करती थी। खुदाई के बीच यहां जमीन से यह गणेश प्रतिमा प्रकट हुई थी। उसी वक्त पंडित लल्लीराय भार्गव ने वहां गणेश मंदिर की स्थापना की। उस दिन से लेकर आज तक इस मंदिर में की ख्याति बनी हुई है।
दूर-दूर से लोग मनोकामना लेकर 11 बुधवार को यहां परिक्रमा करते हैं। अधिकतर लोगों का माानना है कि यहां एक बार मांगी गयी मनोकामना जरूर पूरी होती है। आज गणेश चतुर्थी है तो आग भगवान गणेश का विशेष श्रृंगार किया जाता है। नयी पोशाक के साथ ही मराठा पगड़ी पहनाई जाती है। यह अंचल के एक माह ऐसे गणेश है जो मराठा पगड़ी धारण करते हैं।

बड़ी मूर्ति होने पर पड़ा मोटे गणेश नाम

ऐसा बताया जाता है सैकड़ों साल पहले जब खुदाई में प्रतिमा निकली थी तो काफी बड़ी मूर्ति थी। गणेश भगवान का आकार अन्य मूर्तियों से बड़ा था। जिसमें उनका पेट भी निकल रहा था। इसके बाद उनको मोटे गणेश कहा जाने लगा। अब इसी नाम से यह मंदिर पहचाना जाता है।

गणेश चतुर्थी पर पहने मराठा पगड़ी

मंदिर के पुजारी जगदीश भार्गव ने बताया कि आज गणेश चतुर्थी का मौका है। आज भगवान मोटे गणेश को 21 हजार रुपए से तैयार की गई विशेष पोशाक पहनाई गई है। यह पोशाक विशेष आज ही के दिन के लिए बनवाई गई है। इसके अलावा वह मराठा पगड़ी पहनेंगे। मोटे गणेश के पोशाक व पगड़ी पर मराठा परिवार की झलक साफ नजर आती है।

चौथी पीढ़ी संभाल रही है मंदिर की कमान

खासगी बाजार स्थित मोटे गणेश मंदिर की देखरेख भगवान गणेश की पूजा अर्चना का काम भार्गव परिवार के जिम्मे हैं। अभी मंदिर पुजारी 60 वर्षीय जगदीश भार्गव ने दैनिक भास्कर को बताया कि मंदिर लगभग 300 साल पुराना है। अभी मंदिर की देखरेख वह कर रहे हैं और वह चौथी पीढ़ी से ही हैं। मंदिर की देखरेख और व्यवस्था में उनके बच्चे उनका सहयोग करते हैं।

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