पूर्व डायरेक्टर डॉ. राजेन्द्र सिंह की याचिका खारिज, 62 वर्ष की आयु में ही सेवानिवृत्ति,
ग्वालियर. हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने जीवाजी विश्वविद्यालय के पूर्व डायरेक्टर ऑफ फिजीकल एज्यूकेशन डॉ. राजेन्द्र सिंह की याचिका खारिज कर दी है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि डॉ. राजेन्द्र सिंह उसी पद से सेवा निवृत्त होंगे। जिस पर उनकी मूल पदस्थापना हुई थी। उन्हें शिक्षक की श्रेणी में नहीं माना जा सकता है। इसलिये उन्हें 65 वर्ष की आयुवृद्धि का लाभ नहीं दिया जा सकता है।
एकलपीठ ने अपने आदेश में कहा है कि भले ही याचिकाकर्त्ता ने शिक्षण, शोध, परीक्षा और पर्यवेक्षण जैसे कार्य किये हों। लेकिन केवल दायित्व निभाने से पद की श्रेणी नहीं बदल जाती है। जब तक किसी व्यक्ति की नियुक्ति शिक्षक के पद पर न हो। उसे शिक्षक नहीं मा जा सकता है।
सेवा का अधिकार 65 वर्ष की आयु का मांगा
डॉ. राजेन्द्रसिंह की नियुक्ति 29 दिसम्बर 1992 को डायरेक्टर ऑफ फिजीकल एज्यूकेशन के पद पर हुई थी। उन्होंने अपनी याचिका में तर्क दिया था कि वह वर्षो से बीपीएड, एमपीएड और एमफिल के विद्यार्थियों को पढ़ाते रहे हैं। शोध कार्य कराया है। पीएचडी छात्रों के पर्यवेक्षक भी रहे हैं। इसी आधार पर उन्होंने यूजीसी नियमों के तहत स्वयं को शिक्षक की श्रेणी में मानते हुए हुए 65 वर्ष की आयु तक सेवा का अधिकार मांगा था और साथ ही अपने सेवानिवृत्ति के आदेश को निरस्त करने की भी मांग की थी।
विवि के तर्कों से सहमत हुआ कोर्ट
हाईकोर्ट ने विवि के तर्कों से सहमति जताते हुए कहा कि मप्र विश्वविद्यालय अधिनियम 1973 के अनुसार डायरेक्टर ऑफ फिजिकल एजुकेशन विश्वविद्यालय के अधिकारी हैं, शिक्षक नहीं। प्रोफेसर, रीडर और लेक्चरर जैसे शिक्षक पदों के लिए अलग चयन प्रक्रिया निर्धारित है। यूजीसी नियमों के तहत 65 वर्ष की सेवानिवृत्ति आयु केवल उन पर लागू होती है, जो कक्षा शिक्षण कार्य वाले शिक्षक पद पर नियुक्त हों। कोर्ट ने कहा कि डॉ. राजेंद्र सिंह को 62 वर्ष की आयु में ही सेवानिवृत्त माना जाएगा और उनकी याचिका निरस्त की जाती है। विवि प्रशासन की ओर से यह तर्क दिया गया कि डॉ. सिंह की नियुक्ति डायरेक्टर ऑफ फिजिकल एजुकेशन के पद पर हुई थी, न कि शिक्षक के रूप में। 2010 में राज्यपाल कार्यालय ने उन्हें प्रोफेसर का दर्जा देने का निर्णय भी निरस्त कर दिया था। इसलिए उन्हें विश्वविद्यालय के अधिकारी के रूप में ही माना जाएगा और उनकी सेवानिवृत्ति 62 वर्ष की आयु में वैध है।

