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PTS तिघरा का हवलदार दतिया से कार में लाया था मासूम की लाश, मासूम की हत्या में नरबलि की है आशंका

आरोपी हवलदार की वरना कार, जिसमें बच्चे का शव लाकर फेंका गया था

ग्वालियर. झांसी रोड में 4 दिन पूर्व मिले मासूम के शव में खुलासा हुआ है। पुलिस ने पुलिस ट्रेनिंग स्कूल तिघरा ग्वालियर में पदस्थ एक हवलदार का इसमें राउंडअप किया है। सैलून संचालक के पुत्र की लाश दतिया से ग्वालियर अपनी कार में लेकर आया था। हवलदार यहां झांसी रोड इलाके के विवेकानंद चौराहा के पास फेंुका था शव। रविवार की रात को दतिया और ग्वालियर पुलिस ने हवलदार को हिरासत में लेकर कार को जब्त कर लिया है।
पूछताछ में हवलदान शव फेंकने की बात स्वीकार की है। लेकिन हत्या करने से मना कर रहा है। अब हवलदार को दतिया पुलिस ले गयी है। 74 दिन पहले मासूम की गला घोंटकर हत्या हुई थी। वह पोस्टमार्टम रिपोर्ट से खुलासा हुआ है। मासूम की हत्या में नरबलि की आशंका भी जताई जा रही है।
क्या है पूरा मामला
दतिया निवासी संजीव सेन के बेटे मयंक ;8द्ध की हत्या में पीटीएस तिघरा का हवलदार रवि शर्मा पुलिस के हाथ आया है। उसे देर रात हिरासत में लिया है। रवि बता रहा है बुधवार को दतिया में पीतांबरा माता की रथयात्रा ड्यूटी में गया था। वहां जाने के लिए अपनी वरना कार डच्07 ब्ळ.6380 ले गया था। वापसी में साथी हवलदार चन्द्रशेखर शर्मा और अनीश भी लौटे थे । उन्हें रात 11 बजे झांसी रोड थाने के पास छोड़ दिया था। जब हवलदार ने घर जाकर कार देखी तो पीछे की सीट के नीचे लड़के की लाश थी। उसे देखकर वह डर गया। चुपचाप लाश फेंकने निकल आया। उसे पता था रात 12 बजे पुलिसकर्मियों की बदली होती हैं। ऐसें में सड़क पर पुलिस नहीं मिलेगी। इसलिए तत्काल विवेकानंद तिराहा झांसी रोड पर पहुंचा और शव को फेंक कर भाग गया। अभी तक उसने हत्या करना कुबूल नहीं किया है। पुलिस इस बात को मानने को तैयार ही नहीं है कि उसकी गाड़ी में सीट के नीचे शव था और उसे पता भी नहीं चलाए जबकि दो पुलिसकर्मी और उसकी गाड़ी में पीछे बैठे थे। हवलदार रवि शर्मा को दतिया पुलिस अपने साथ ले गई है। सोमवार शाम को वहां हत्या के पूरे मामले का खुलासा होना है ।
5 मई की सुबह पुलिस को एक 7 से 8 साल के बच्चे का शव पड़ा होने की सूचना मिली थी। जिस पर पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को बरामद किया। फोरेंसिक एक्सपर्ट अखिलेश भार्गव ने मामले की जांच की थी। पहली ही नजर में मामला गला घोंटकर हत्या का था यह साफ हो गया था। पोस्टमार्टम रिपोर्ट में भी यही खुलासा हुआ है। पर शुरु में बच्चे की शिनाख्त नहीं हो रही थी। पुलिस को घटना के पास से रात को एक काले रंग की कार दिखी थी। इस कार की तलाश की जा रही थी। घटना के अगले दिन मृतक बच्चे की शिनाख्त दतिया के सैलून संचालक संजीव सेन के 8 वर्षीय बेटे मयंक के रूप में हुई थी। इसके बाद पड़ताल में हवलदार की कार की पहचान हुई और उस तक पुलिस पहुंची।

न जान न पहचान हत्या की बजह क्या?
पुलिस हत्या का मकसद नहीं समझ पा रही है। हवलदार की बच्चे और उसके पिता से कोई जान पहचान नहीं है। इसके बाद भी उसका नाम हत्या में आया है। जिस तरह से कत्ल किया गया है वह नरबलि की आशंका की ओर भी पुलिस का ध्यान खींच रहा है। इस एंगल पर पुलिस पूछताछ कर रही है।

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