Newsमप्र छत्तीसगढ़

मौखिक बहस, धमकी शासकीय कार्य बाधा नहीं, आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता लोकसेवक नहीं, FIR की रद्द-हाईकोर्ट

ग्वालियर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच की एकलपीठ ने शासकीय कार्य में बाधा से संबंधित एक एफआईआर को रद्द कर दिया है। न्यायालय ने अपने फैसले में कहा है कि किसी लोकसेवक से केवल मौखिक बहस, नाराजगी या सामान्य धमकी को शासकीय कार्य बाधा नहीं माना जा सकता है। इसके साथ ही न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि कानूनी स्थिति के अनुसार आंगनबाड़ी कार्यकर्त्ता को लोकसेवक की श्रेणी मेुं नहीं रखा जा सकता है। यह मामला 15 अप्रैल 2024 का है। जब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता किरनसिंह ने भिंड के कोतवाली थाने में नरेन्द्र सिंह और अन्य के खिलाफ शासकीय कार्य में बाधा समेत विभिन्न धाराओं में केस दर्ज कराया था। शिकायत के मुताबिक, नरेन्द्र सिंह और अन्य बच्चे का गलत जन्मप्रमाण पत्र बनाने का दबाव बनाया था। मना करने पर उन्होंने धमकी दी, जिसकी सूचना वरिष्ठ अधिकारियों को दी गयी थी।
नरेंद्र सिंह और अन्य ने इस एफआईआर को चुनौती देते हुए हाईकोर्ट में याचिका दायर की। उनके अधिवक्ता राजेश शुक्ला ने तर्क दिया कि केस गलत आधार पर दर्ज किया गया है। उन्होंने बताया कि FIR  में कहीं भी बल प्रयोग का उल्लेख नहीं है, और आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लोकसेवक की श्रेणी में नहीं आते हैं, इसलिए उन पर शासकीय कार्य में बाधा का आरोप गलत है। हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के पूर्व निर्णयों का हवाला देते हुए कहा कि आंगनबाड़ी कर्मचारी न तो शासकीय सेवा में हैं और न ही उन्हें सिविल पद प्राप्त है। इस कारण, भारतीय दंड संहिता की धारा 353 (लोक सेवक को उसके कर्तव्य के निर्वहन से रोकने के लिए हमला या आपराधिक बल) का प्रावधान उनके मामले में लागू नहीं होता। कोर्ट ने धारा 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दर्ज आरोप को भी आधारहीन बताया, क्योंकि कथित धमकी में ‘आपराधिक धमकी’ (क्रिमिनल इंटिमिडेशन) के आवश्यक तत्व नहीं पाए गए।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *