चम्बल में तस्करों से जब्त 30 बटागुर कछुए और घडि़याल के बच्चे छोड़े गये
मुरैना. वन विभाग एसटीएफ (एसटीएफ) ने शुक्रवार को चम्बल नदी में विशेष बटागुर प्रजाति के कछुए और घडि़याल के बच्चे छोड़े गये है। यह कार्यवाही शिवपुरी न्यायालय के आदेश पर की गयी है। इन 30 कछुओं और 30 घडि़यालों के बच्चों को बीती रात 12 जुलाई 2025 को मुरैना के जौरा कस्बे से एक कार में तस्करी के दौरान पकड़ा गया था। वन विभाग जलस्तर सामान्य होने का इंतजार कर रहा था। जिसके बाद शुक्रवार को इन्हें नदी में छोड़ा गया है।
शिवपुरी वन विभाग की एसटीएफ टीम को चम्बल से कछुए और घडि़याल के बच्चों की तस्करी की खबर मिल रही थी। इस पर सूत्रों के इनपुट्स पर 12 जुलाई 2025 को शिवपुरी एसटीएफ ने जौरा कस्बे के पास से एक कार को जब्त कियां इसमें बटागुर प्रजाति के 30 कछुए और 30 घडि़यालों के बच्चे तस्करी कर अन्यत्र ले जाये जा रहे थे।
राजस्थान से गिरफ्तार हुआ था तस्कर, 2 तस्कर मौके पर
एसटीएफ ने घटनास्थल से ही 2 तस्करों को कार से गिरफ्तार किया था। एक अन्य आरोपी को बाद में राजस्थान के पाली इलाके से गिरफ्तार किया गया था। देवरी घडि़याल अधीक्षक श्यामसिंह चौहान के मुताबिक दो आरोपी ग्वालियर के थे। राजस्थान के पालीघाट से यही आरोपी ग्वालियर के तस्करों को कछुआ और घडि़याल तस्करी कर देता था।
मई में होता है प्रजनन, तस्करों की रहती है नजर
घड़ियाल के अंडों से बच्चे अधिकतर मई महीने में जन्म लेते हैं। यूं तो मादा घड़ियाल के अंडों को चंबल घड़ियाल सेंचुरी की टीम नदी किनारों से कलेक्ट कर सेंचुरी ले आती है। फिर भी, प्राकृतिक वातावरण में मादा घड़ियाल कुछ ऐसे स्थानों पर अंडे देती है जहां वन विभाग की नजर नहीं पड़ पाती। वहीं अंडों से बच्चे बाहर आते हैं और तस्करों की नजर उन पर पड़ जाती है।

