हाईकोर्ट के फैसले से एडहॉक सेवा भी होगी पेंशन के दायरे में, एमपी के एक से अधिक कर्मचारियों को मिली राहत
जबलपुर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने बुधवार को बड़ा निर्णय सुनाते हुए कहा है कि एडहॉक (तदर्थ) अवधि में की गयी सेवा भी पेंशन और रिटायरमेंट लाभों के लिये मान्य होंगी।
न्यायमूर्ति दीपक खोत की बेंच ने प्रो. अरूण प्रकाश बुखारिया की याचिका स्वीकार करते हुए एडहॉक सेवा में दिखाये गये 2-3 दिन के कृत्रिम ब्रेक (ऐसा समय जिसमें कर्मचारी लगातार काम पर नहीं था) को सेवा में व्यवधान मानने से मना कर दिया। हाईकोर्ट ने सरकार को निर्देश दिया है कि 1977 से लेकर 2009 तक उनकी पूरी सेवा अवधि को लगातार मानकर पेंशन दी जाये और फैसले से प्रदेश से एक हजार से ज्यादा कर्मचारियों को फायदा मिलने का अनुमान है।
तदर्थ यानी कि एडहॉक सेवा
अस्थाई नियुक्ति है। किसी पद को तत्काल भरने के लिये है जब तक नियमित नियुक्ति न हो।

