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अल फलाह यूनिवर्सिटी में 8 प्रोफेसरों का इस्तीफा, 1200 छात्रों का अधर में लटका भविष्य

नई दिल्ली. कैंपस में चल रहीं संदिग्ध गतिविधियां, तीन डॉक्टरों की गिरफ्तारी और एनएएसी के दावों से फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी बड़े विवाद में आ गई है। जांच एजेंसियां अब विवि की फंडिंग, खातों और ट्रस्टी जवाद अहमद सिद्दीकी से जुड़े मामलों की भी पड़ताल में जुट गई हैं। इस बीच यूनिवर्सिटी से जुड़े करीब 1200 छात्रों का भविष्य अधर में लटक गया है। हालांकि इन छात्रों के एडजेस्टमेंट के लिए वैकल्पिक व्यवस्‍था की जा रही है, लेकिन यूनिवर्सिटी की सच्चाई सामने आने के बाद सभी छात्रों के होश उड़े हुए हैं।
कई मामलों में यूनिवर्सिटी के झूठे दावों का खुलासा
दरअसल, दिल्ली ब्लास्ट के बाद से फरीदाबाद की अल फलाह यूनिवर्सिटी लगातार विवादों के घेरे में है। यह वही यूनिवर्सिटी है, जहां से भारी विस्फोटक के साथ गिरफ्तार किए गए डॉ. मुजम्मिल शकील गनई, लखनऊ से गिरफ्तार डॉ. शाहीन शाहिद और दिल्ली ब्लास्ट में खुद को उड़ाने वाले डॉ. उमर नबी के जुड़े होने की बात सामने आ रही है। आतंकवाद से जुड़ी बड़ी साजिश के शक में यूनिवर्सिटी के कैंपस में एनआईए, हरियाणा, यूपी और जम्मू कश्मीर पुलिस पिछले कई दिनों से डेरा जमाए है। इसी बीच कैंपस में पार्किंग से खड़ी कार मिलने से यूनिवर्सिटी की गतिविधियों पर एजेंसियों का शक गहरा गया है। जांच के दौरान कई मामलों में यूनिवर्सिटी के झूठे दावों का खुलासा हुआ है। इसके बाद यूनिवर्सिटी का ट्रस्टी भी शक के दायरे में है।
अहमद सिद्दीकी भी शक के दायरे में
यूनिवर्सिटी के संस्थापक और ट्रस्टी जवाद अहमद सिद्दीकी भी जांच के घेरे में है। इनका अतीत भी विवादित रहा है। जवाद अहमद सिद्दीकी पहले भी साढ़े सात करोड़ की धोखाधड़ी में गिरफ्तार हो चुके हैं। इस मामले में उन्हें तीन साल की सजा भी सुनाई गई थी। अब सुरक्षा एजेंसियों को यह भी पता चला है कि यूनिवर्सिटी के खातों में विदेशों से पैसा आता था। विदेशी फंडिंग की जानकारी मिलने के बाद यूनिवर्सिटी के खातों को तीन दिन पहले सीज कर दिया गया है। ताकि यह पता लगाया जा सके कि मुफ्त इलाज और सामाजिक सेवा के नाम पर कहां-कहां से यूनिवर्सिटी को फंड दिया जा रहा था। जांच के दौरान यूनिवर्सिटी की मान्यता से जुड़े गंभीर तथ्य भी सामने आ रहे हैं। बताया जा रहा है कि अहमद सिद्दीकी अलग-अलग क्षेत्र की 15 कंपनियों से जुड़ा है। इन कंपनियों के नेटवर्क और ट्रांजेक्शंस की जांच भी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) कर रहा है। उधर, विवाद गहराने पर यूनिवर्सिटी के आठ प्रोफेसरों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया, लेकिन मैनेजमेंट ने अभी तक इस्तीफा स्वीकार नहीं किया।

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