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चाइना की आर्मी कितनी मजबूत है ताइवान की सेना

नई दिल्ली. चीन के स्टेट टीवी ने एक ऐसी घोषणा की है जिसने पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा है। चीनी सरकार ने दावा किया हैकि ताइवान उसका अभिन्न हिस्सा है। वह इसे वापिस लेने के लिये तैयार है। चाहे इसके लिये सैन्य बल का इस्तेमाल करना पड़े । इस बयान ने न केवल ताइवान, बल्कि पूरी दुनिया में चिंता बढ़ा दी है। चीन के स्टेट टीवी ने अपने नागरिकों को युद्ध की संभावना और इसके परिणामस्वरूप होने वाली राजनीतिक प्रतिबंधों और अलगाव के लिये तैयार रहने की बात कहीं है। चीन की तुलना में ताइवान की ताकत कुछ भी नहीं है। चीन और ताइवान की मिलिट्री ताकत में कितना अंतर है। क्या ताइवान अपने दम पर चीन को टक्कर दे पायेगा।
ताइवान और चीन के बीच विवाद
ताइवान और चीन के बीच का विवाद कई दशकों पुराना है। चीन, ताइवान को अपने क्षेत्र का हिस्सा मानता है। इसे पुर्नमिलन करने की बात करता है। ताइवान स्व्यं को एक स्वतंत्र देश मानता है। कहता है कि उसका भविष्य वहां के लोगों को तय करना चाहिये। ताइवान एक लोकतांत्रिक देश है। जहां नियमित रूप से स्वतंत्र चुनाव होते हैं। जबकि चीन में कम्युनिष्ट पार्टी का शासन है। 1949 में जब चीन में कम्युनिस्ट क्रांति हुई । तब चीनी गृहयुद्ध में हारी हुई नेशनलस्ट सरकार ताइवान चली गयी और वहां अपनी सरकार स्थापित की है। तब से चीन ताइवान को अपना हिस्सा मानता है। जबकि ताइवान अपनी स्वायत्तता की रक्षा करता है। पिछले कुछ वर्षो में खासकर पिछले 5 सालों में चीन ने ताइवान के आसपास सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी है। जैसे कि युद्धपोतों और लड़ाकू विमानों की तैनाती। ताइवान का कहना है कि यह गतिविधियां उसकी संप्रभुता के लिये खबरा है।
ताइवान की प्रतिक्रिया
ताइवान ने इस बयान को गंभीरता से लिया है. अपनी रक्षा तैयारियों को मजबूत कर रहा है. 9 जुलाई 2025 से शुरू हुई हान कुआंग ड्रिल में ताइवान ने 10 दिनों तक चीनी हमले का सामना करने की रणनीतियों का अभ्यास किया है।  इस ड्रिल में अमेरिका से प्राप्त HIMARS रॉकेट सिस्टम और अन्य हथियारों का उपयोग किया गया । ताइवान के राष्ट्रपति लाई चिंग-ते ने कहा कि ताइवान पहले से ही “बिना गोलीबारी के युद्ध” (war without gun smoke) का सामना कर रहा है, जिसमें चीन की साइबर हमले और गलत सूचना फैलाने की रणनीतियां शामिल है।
ताइवान ने यह भी स्पष्ट किया है कि वह अपनी स्वतंत्रता और लोकतंत्र की रक्षा के लिए प्रतिबद्ध है।  ताइवान की सरकार का कहना है कि उसका भविष्य केवल ताइवान के लोग ही तय करेंगे । ताइवान ने अपनी सैन्य क्षमता बढ़ाने के लिए अमेरिका से हथियार खरीदे है।  जैसे कि पैट्रियट मिसाइलें, F-16 लड़ाकू विमान और अब्राम्स टैंक ।
चीन और ताइवान में कौन ताकतवर?
चीन और ताइवान के बीच जंग के हालात बनते दिख रहे है। चीन अक्सर ताइवानी इलाके में घुसपैठ करता है. अपने फाइटर जेट्स को ताइवानी हवाई और समुद्री क्षेत्र के ऊपर उड़ाता है।  इसके जवाब में ताइवान उन फाइटर जेट्स का पीछा करता है। उन्हें वापस भगाता है।  फिर डिप्लोमैटिक स्तर पर बातचीत होती है। आरोप-प्रत्यारोप होते हैं. लेकिन चीन से कई गुना छोटे ताइवान की हिम्मत तो देखिए कि वो चीन की नाक में दम कर देता है।
चाहे फाइटर जेट्स के घुसपैठ का जवाब देना हो या फिर समुद्री सीमा से चीनी युद्धपोतों या जहाजों को भगाना हो । हिम्मत कम नहीं होती ताइवान की। आइए समझते हैं कि ताइवान की मिलिट्री ताकत कितनी है। वह चीन की तुलना में कितना ताकतवर है। कितने हथियार, फाइटर जेट्स और विमान हैं उसके पास. कितने युद्धपोत हैं. कितनी बड़ी सेना है ताइवान की और वो कितना सामना कर पाएगी चीन का ।

 

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