MP में डंप हो रहे UK के स्क्रैप टायर, मुरैना समेत 37 जगह अवैध रूप से बन रहा तेल, हवा-पानी में घुल रहा जहर
नई दिल्ली. पर्यावरण संरक्षण के तमाम दावों के बीच एक खतरनाक और गुपचुप धंधा तेजी से पनप रहा है। विदेशों, खासकर यूनाइटेड किंगडम में कबाड घोषित हो चुके टायर भारत में डंप किए जा रहे है। रीसाइकलिंग के बहाने आने वाने इन टायरों को पायरोलिसिस प्लांट्स में टायर ऑयल निकालने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है जो कि प्रतिबंधित है।

मुरैना में ही 10 से ज्यादा प्लांट
मप्र में 64 पायरोलिसिस प्लांट है जिनमें से फिलहाल 37 सक्रिय है। अकेले मुरैना में ही 10 से ज्यादा प्लांट नियमों की धज्जियां उडाते हुए प्रतिबंधित विदेशी टायरों का इस्तोमाल कर रहे है। रिसाइक्लिंग के नाम पर स्क्रैप टायर ब्रिटेन से भारत भेजे जा रहे है। ये टायर गुजरात के मुद्रा पोर्ट पर उतारे गए, कंटेनर्स में लोड हुए। कंटेनर्स को ड्रोन से ट्रैक किया। ये मुरैना के पायरोलिसिस प्लांट पहुंचे। सबसे चिंताजनक बात ये है कि इन प्लांट से खतरनाक धुआ और विषैले तत्व निकल रहे है।

मप्र में विदेशी टायरों को जलाकर भारी मात्रा में टायर ऑयल निकाला
पड़ताल में सामने आया कि सरकारी प्रतिबंधों के बावजूद मप्र समेत पूरे देश में विदेशी टायरों को जलाकर भारी मात्रा में टायर ऑयल निकाला जा रहा है। यह पर्यावरण के लिए तो खतरनाक है ही, भारत को वैश्विक ‘टायर डंप यार्ड’ बनाने की दिशा में भी ले जा रहा है। इस कालाबाजारी से जुड़े लोग कबाड़ टायरों को काला सोना कहते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि अनुमान के मुताबिक, भारत में टायर पायरोलिसिस का वर्तमान बाजार करीब 4000 करोड़ का है। एक्सपर्ट मानते हैं कि जिस तरह बेरोकटोक यह बढ़ रहा है, 5 साल में यह 30 हजार करोड़ तक पहुंच सकता है।
रोजाना लाखों की संख्या में प्लांट तक ऐसे पहुंचते हैं विदेशी टायर
मुरैना और आसपास के पायरोलिसिस प्लांट्स की जांच की। मुरैना के इंडस्ट्रियल एरिया में पता चला कि गुजरात के मुंद्रा बंदरगाह और मुंबई के जेएनपीटी से रोज लाखों विदेशी टायर अवैध रूप से आ रहे हैं। ये टायर धौलपुर बॉर्डर से मुरैना पहुंचते हैं, जहां 10 से ज्यादा प्लांटों में जलाकर तेल निकाला जा रहा है। जबकि सिर्फ भारत में इस्तेमाल टायरों के इस्तेमाल की मंजूरी है।

