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UPS, NPS और OPS में क्या हैं अंतर, किसमें मिलता है कौन सा लाभ

नई दिल्ली. केन्द्र की एनडीए कैबिनेट ने अटलबिहारी वाजपेई सरकार द्वारा 21वर्ष पूर्व लागू किये गये न्यू पेंशन स्कीम में रिफॉर्म को मंजूरी दी है। इसके लिये समानान्तर केन्द्र ने यूनिफाइड पेंशन स्कीम लाने का ऐलान किया है। पिछले दिन, शनिवार को केन्द्रीय कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी गयी और अगले वर्ष 1 अप्रैल से इसे लागू करने का प्लान है।
मसलन, अब तक जहां कर्मचारी को ओल्ड पेंशन स्कीम और न्यू पेंशन स्कीम में एक का चुनाव करन का मौका मिलता था। वहां अब न्यू पेंशन स्कीम ओर यूनिफाइड पेंशन स्कीम को चुनने का मौका मिलेगा। जिसके तहत कर्मचारियों का अंतिम बैसिक सैलरी के 50 प्रतिशत के बराबर आजीवन पेंशन देने का प्रावधान किया गया है।
योगदान और प्रावधान
स्कीम
कर्मचारी का योगदान
सरकार का योगदान
प्रमुख प्रावधान
OPS
कोई नहीं (पूरी तरह से सरकारी वित्त पोषित)
कोई नहीं (क्योंकि यह पूरी तरह सरकार द्वारा वित्तपोषित है
आखिरी वेतन के 50% की गारंटी; टैक्स-फ्री पेंशन
NPS
मूल वेतन और डीए का 10%
मूल वेतन और डीए का 14%
रिटायरमेंट के दौरान 60% टैक्स फ्री विड्रॉल
UPS
मूल वेतन का 10%
मूल वेतन का 18.5%
25 वर्षों के बाद औसत मूल वेतन का 50%; न्यूनतम ₹10,000 पेंशन
क्या OPS, NPS और UPS में हैं अतंर
केन्द्र सरकार द्वारा संभावित रूप से लागू किये जाने वाले यूनिफाइड पेंशन स्कीम से कर्मचारियों को कई लाभ मिलेंगे। जैसे कि महंगाई बढ़ने के हिसाब से डियरनेस रिलीफ में हाइक मिलेगी। कर्मचारी की मृत्यु पर परिवार वालों को पेंशन का 60 प्रतिशत तत्काल देने की गारंटी और साथ ही ग्रेच्युटी के साथ एक मुश्त सुपरएनुएशन का भी प्रावधान किया गया है। अगर आप केन्द्र सरकार के तहत नौकरी कर रहे है और आपने 10 वर्ष की नौकरी पूरी करली है तो आपको प्रति महीने कम से कम 10 हजार रूपये पेंशन के तौर पर मिलेंगे। मसलन, देश में पेंशन को लेकर अब तक दो योजनायें थी। ओल्ड पेंशन स्कीम (OPS) न्यू पेंशन स्कीम (NPS) और अब तीसरी होगा यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) आईये समझते हैं ओपीएस, एनपीएस और यूपीएस में प्रावधान और इनके अंतर।
यूनिफाइड पेंशन स्कीम
यूनिफाइड पेंशन स्कीम या यूपीएस, केन्द्र की एनडीए सरकार द्वारा शुरू की गयी एक नयी पहल है। यह ओल्ड पेंशन स्कीम की ही तरह काम करेगा और साथ ही इसमें न्यू पेंशन स्कीम से भी कुछ जरूरी बेनीफिट्स शामिल किये गये है।
क्यों अलग है यूपीएस
पेंशन की राशि- सेवानिवृत्त लोगों को रिटायर्ड से पहले नौकरी के आंखिरी 12 माह में मिलने वाली उनकी बैसिक सैलरी का 50प्रतिशत पेंशन के तौर पर मिलेगा। आमतौर पर इसका पूरा लाभ उन्हें ही मिलेगा। जिन्होंने 25 वर्ष की नौकरी पूरी कर ली है। इससे कम, जैसे कि अगर किसी तरह से आपने 10-25 साल के बीच अपनी नौकरी पूरी कर ली है तो आपका पेंशन उसी हिसाब से एडजस्ट कर दिया जायेगा।
फैमिली पेंशन- अगर कर्मचारी की मृत्यु हो जाती है तो इस हालत में उनके परिवार को पेंशन का 60प्रतिशत हिस्सा और यह रकम कर्मचारी की मृत्यु के तत्काल बाद परिवार को दिया जायेगा।
मिनिमम या न्यूनतम पेंशन
अगर किसी कर्मचारी ने कम से कम 10 वर्ष की नौकरी भी पूरी की है तो उन्हें प्रति माह कम से कम 10 हजार रूपये पेंशन के तौर पर मिलेगी।
योगदान कितना देगा होगा
स्रकारी कर्मचारी अपने वेतन का 10प्रतिशत यूपीएस में योगदान देंगे। अब जिस तरह से ओल्ड पेंशन स्कीम में सरकार का कंट्रीब्यूशन 14 प्रतिशत होता था। इसे बढ़ाकर अब यूपीएस के तहत 18.5 प्रतिशत किया जायेगा।
यूपीएस लागू कब होगा
यूपीएस 1 अप्रैल 2025 से लागू होने वाला है। जिसके बािरे में केन्द्र सरकार का कहना है कि इससे कर्मचारियों को अ ौर भी ज्यादा फायनेंशियली सिक्योरिटी मिलेगी।
न्यू पेंशन स्कीम
न्यू पेंशन स्कीम 2004 में अटलबिहार बाजपेई सरकार ने लांच की थीं इसे ओल्ड पेंशन स्कीम की जगह लागू करने का प्लान था। लेकिन इसका विरोध हुआ और लम्बे समय से इसका विरोध हो रहा था। मसलन, एनपीएस के तहत कर्मचारियों से भी पेंशन में कंट्रीब्यूशन लिया जाने लगा। इसमें और भी कुछ प्रावधान किये गये। जैसे कि पेंशन की 60 प्रतिशत रकम आप निकाल सकते थे और 40 प्रतिशत रकम पर संबंधित कर्मचारी के सैलरी ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स लगता था।
एनपीएस में खास
न्यू पेंशन स्कीम4 के तहत मिलने वाला पेंशन कर्मचारी के नौकरी के दरमियान किये गये कंट्रीब्यूशन पर निर्भर करता है और मार्केट परफॉरमेंस के आधार पर देने का प्रावधान है।
एनपीएस में योगदान
स्रकारी कर्मचारी अपने मूल वेतन और डीए का 10प्रतिशत योगदान करते हैं। सरकार इसमें 14प्रतिशत का योगदान करती है एनपीएस में कोई भी कर्मचारी अकाउंट खोल सकता है। जिसमें वह न्यूनतम 500 रूपये का भी योगदान कर सकते है।
एनपीएस में 2 प्रकार के अकाउंट होते हैं
टियर 1-यह एक मैंडेटरी अकाउंट है। जिसमें रिटायरमेंट पर टैक्स बैनिफिट्स मिलते हैं।
टियर 2-यह एक ऑप्शनल कंट्रीब्यूशन अकाउंट है। जिससे किसी भी कर्मचारी अपने पेंशन की रकम निकाल सकते है। लेकिन इससे कुछ टैक्स बेनीफिट नहीं मिलता।
निकासी
कर्मचारी रिटायरमेंट पर एक मुश्त एक्यूमुलेटेड कॉर्पस के तौर पर पेंशन की 60प्रतिशत रकम निकाल सकते है। बाकी रकम का उपयोग रेंगुलर पेंशन के भुगतान के लिये एन्यूटी खरीदने में किया जा सकता है।
टैक्स बैनीफिट्स
अगर आपका अकाउंट एनपीएस के तहत आता है और आप अगर एक मुश्त 60प्रतिशत रकम निकालते हैं तो इस पर कोई टैक्स नहीं लगेगा लेकिन बाकी 40 प्रतिशत रकम पर आपकी सैलरी ब्रैकेट के हिसाब से टैक्स लगेगा।
ओल्ड पेंशन स्कीम
ओल्ड पेंशन स्कीम के तहत सरकारी कर्मचारियों को सरकार की ओर से उनकी आखिरी सैलरी के आधार पर मासिक पेंशन देने का प्रावधान है। मसलन, इस योजना के तहत कर्मचारियों को पेंशन में कंट्रीब्यूशन नहीं देना होता था। हालांकि इसी की जगह 2004 में तत्कालीन बाजपेई सरकार ने न्यू पेंशन स्कीम लांच की थीं जिसका खूब विरोध भी हुआ। अब तक के चुनावों में ओपीएस को दोबारा से लागू किये जाने के बादे किये जाते रहे हैं।
ओपीएस की खास बात
रिटायरमेंट के दोरान कर्मचारी को उनकी आखिरी सैलरी के 50 प्रतिशत के बराबर पेंशन दिये जाने का प्रावधान था।
कंट्रीब्यूशन
पेंशन की पूरी लागत केन्द्र सरकार वहन करती थी। इसका मतलब यह कि ओपीएस केतहत कर्मचारियों को पेंशन में अपना कंट्रीब्यूशन नहीं देना होता था।
पात्रता
ओपीएस सिर्फ उन सरकारी कर्मचारियों पर लागू होती है जो 1 जनवरी 2004 से पहले नौकरी में शामिल हुए है।
अडजस्टमेंट
पेंशन को महंगाई भत्ते (DA) में होने वाले बदलावों के अनुसार, समय-समय पर अडजस्ट किया जाता है जो महंगाई से जुड़ा होता है।

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