ग्वालियर में LNIPE के पूर्व कुलपति पर छेड़छाड़ की FIR, योगा टीचर ने गलत तरीके से छूने का लगाया आरोप, सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद केस दर्ज
ग्वालियर. LNIPE(लक्ष्मीबाई राष्ट्रीय शारीरिक शिक्षा संस्थान) ग्वालियर के पूर्व कुलपति दिलीप दुरेहा, प्रभारी कुलपति विवेक पांडेय सहित कुल पांच प्रोफेसर्स के खिलाफ छेड़छाड़ की FIR दर्ज की गई। योगा टीचर (30) का आरोप है कि जब वह क्लास लेने जा रही थीं तो पूर्व कुलपति ने पकड़कर छेड़छाड़ की। घटना मार्च 2019 की है। पीड़िता की जब कही सुनवाई नहीं हुई तो वह सुप्रीम कोर्ट पहुंची। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद 5 लोगों के खिलाफ केस दर्ज किया गया है।
योगा टीचर बोली गलत तरीके से छूते थे, परेशान करते थे
योगा टीचर ने पुलिस को बताया मार्च 2019 में सुबह 7 बजे योगा क्लास लेने जा रही थी। तत्कालीन कुलपति दिलीप दुरेह ने मेरा रास्ता रोका। वह मुझसे अश्लील बातें करने लगा। वह मुझे गंदे तरीके से छूने लगा। मैंने उसका हाथ झटक दिया और विरोध करते हुए वहां से चली गई। इसके बाद 28 अगस्त 2019 को मुझे अवकाश की औपचारिकता पूरी नहीं करने पर बिना स्वीकृति के अवकाश पर जाने का कहकर अपनी मंशा पूरी करने का प्रयास किया। इसके बाद भी वे मुझे समय-समय पर परेशान करते रहे। इस काम में चारों प्रोफेसर, रजिस्ट्रार भी उनका सहयोग करते रहे। तभी से मैंने इसकी शिकायत गोला का मंदिर थाना से लेकर एसपी, समाधान हेल्पलाइन सहित कई जगह की। कहीं मेरी सुनवाई नहीं हुई। इसके बाद मैंने कोर्ट की शरण ली। सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद इनके खिलाफ केस दर्ज किया गया।
इन पर हैं आरोप
अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ग्वालियर के प्रतिष्ठित खेल संस्थान LNIPE के पूर्व कुलपति दिलीप दुरेहा पर छेड़छाड़ व उनकी मदद करने पर साल 2019 में योगा प्रमुख इंदु बोरा, सह-अध्यापिका पायल दास, विवेक पांडेय (प्रभारी कुलपति), जनक सिंह शेखावत (रजिस्ट्रार) पर भी मामला दर्ज किया गया है। यह अपराध सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद दर्ज किया गया है। वर्तमान में दुरेहा बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) के खेल विभाग में पदस्थ हैं।
ऐसे सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा मामला
जांच कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर महिला ने 14 अक्टूबर 2019 को गोला का मंदिर थाने में शिकायत की, लेकिन पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। पुलिस अधीक्षक के यहां 15 अक्टूबर 2019 को शिकायत की। जिसे यह कहते हुए खारिज कर दिया कि आंतरिक कमेटी का मामला है। केस दर्ज नहीं किया गया है। इसके बाद मामला जिला कोर्ट फिर हाई कोर्ट भी पहुंची। अंत में मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा। सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर पीड़िता ने फिर से न्यायिक मजिस्ट्रेट के यहां आवेदन पेश किया। न्यायिक मजिस्ट्रेट ने गोला का मंदिर थाने को प्राथमिकी दर्ज करने का आदेश दिया था।