पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को जीएसटी के दायर में आ सकते हैं
नई दिल्ली. गुरूवार को लखनऊ में जीएसटी काउंसिल की बैठक है। कयास लगाये जा रहे हैं। कि इस बैठक में पेट्रोलियम प्रॉडक्ट्स को जीएसटी (गुड्स एण्ड सर्विस टैक्स) के दायरे में लाये जाने पर विचार किया जा सकता है। कोरोना महामारी के बाद जीएसटी काउंसिल की यहली फिजीकल बैठक है। जीएसटी काउंसिल की इस 45वीं बैठक ककी अध्यक्षता वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण करेंगी। जून में केरल हाईकोर्ट ने काउंसिल से आग्रह किया था कि वह पेट्रोलियम प्रॉडक्ट का जीएसटी के दायरे में लाने पर विचार करें । हाईकोर्ट के आग्रह के बाद जीएसटी मंत्री समूह ने एक प्रस्ताव तैयार किया हैं। यदि मंत्री समूह में सहमति बनती है तो इस प्रस्ताव को जीएसटी काउंसिल को सौंपा जायेगा और फिर काउंसिल इस पर फैसला लेगी।
अभी पेट्रोल डीजल की कीमतें कैसे तय होती है, जीएसटी के दायरे में आने से केन्द्र, राज्य और जनता पर क्या असर होगा। पेट्रोलियम प्रॉडक्ट जीएसटी के दायरे में आते हैं तो किस तरह की व्यवस्था अपनाई जा सकती है और इस फैसले को लागू करने में अड़चने क्या हैं।
अभी कैसे तय होती हैं पेट्रोल-डीजल की कीमतें
जून 2010 तक सरकार पेट्रोल की कीमत निर्धारित करती थी और हर 15 दिन में इसे बदला जाता था, लेकिन 26 जून 2010 के बाद सरकार ने पेट्रोल को कीमतों का निर्धारण ऑइल कंपनियों के ऊपर छोड़ दिया। इसी तरह अक्टूबर 2014 तक डीजल की कीमत भी सरकार निर्धारित करती थी, लेकिन 19 अक्टूबर 2014 से सरकार ने ये काम भी ऑइल कंपनियों को सौंप दिया। यानी कि पेट्रोलियम प्रोडक्ट की कीमत निर्धारित करने में सरकार का कोई नियंत्रण नहीं है। ये काम ऑइल मार्केटिंग कंपनियां करती हैं। ऑइल कंपनियां अंतरराष्ट्रीय मार्केट में कच्चे तेल की कीमत, एक्सचेंज रेट, टैक्स, पेट्रोल-डीजल के ट्रांसपोर्टेशन का खर्च और बाकी कई चीजों को ध्यान में रखते हुए रोजाना पेट्रोल-डीजल की कीमत निर्धारित करती हैं।

