मुरैना के खेत में मिले सोने के सिक्के, पुरातत्व विभाग 8 तांबे के सिक्के बरामद कर पाया, पुलिस लापरवाही कर रही
भिण्ड. पोरसा के इन्नीखेरा गांव में निकले 1300 ईसवीं के बेशकीमती सोने के सिक्के वसूल करना अब दूर की कौड़ी साबित हो रही है। पुरातत्व विभाग के अधिकारियों ने खेत मालिक पर जब बहुत दबाव डाला तो उसने केवल 8 सिक्के पकड़ा दिये और वह भी तांबे के, सोने के सिक्के उसने अभी तक नहीं दिये हैं। पुरातत्व अधिकारी ने बताया है कि नगरा थाना पुलिस ने इस मामले में उनकी मदद नहीं की। विभाग का आरोप है कि अगर नगरा थाना पुलिस चाहती है तो मौके पर ही सिक्के बरामद कर लेती। लेकिन पुलिस ने न तो तुरंत सिक्के बरामद किये और न ही वहां पहुंचे तो नगरा थाना प्रभारी वहां आये। कुल मिलाकर अब यह मामला पेचीदा हो गया है।

आपको यहां बता दें कि जिस किसान के खेत में सोने के सिक्के निकले थे। वह दिन रात -हाथ में हसिया लिये पहरा देता रहा। गांव के अन्य लोग भी सिक्के खोजने के लिये लगातार उसके खेत पर नजर गड़ाये रहे। लेकिन खेत मालिक ने उनकी दाल नहीं गलने दी। फिलहाल इस मामले में थक-हारकर पुरातत्व विभाग ने कलेक्टर के यहां जांच प्रतिवेदन दे दिया है। इस प्रतिवेदन में विभाग ने कलेक्टर से कहा है कि वह एसपी को आदेशित कर पुलिस बल उपलब्ध कराये जिससे किसान से सोने के सिक्के बरामद किये जा सकें।
यह था पूरा मामला
पोरसा कस्बे के इन्नीखेरा गांव में किसान रामलखन के खेत में तांबे के कुछ सिक्के निकले थे। इसकी खबर पूरे जिले में फैल गई। अगले दिन जिला पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा, नगरा थाना पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे तथा खेत मालिक से पूछताछ की। जब वे खेत मालिक से पूछताछ करने गए तो, खेत मालिक रामपाल अपने उस 6 बीघा खेत की रखवाली कर रहा था। उसके पास डंडा व हंसिया था। जैसे ही उसने पुलिस को देखा, उसके चेहरे का रंग उड़ गया था। पुलिस को देखकर वह घबराया तो पुरातत्व अधिकारी अशोक शर्मा ने उसको तसल्ली देते हुए कहा कि हम तुम्हारा अहित करने नहीं आए हैं। हमें तो तुम यह बता दो कि कितने सिक्के निकले थे और वे अब कहां हैं। इस पर वह रोनी सी सूरत बनाकर कहने लगा कि हम तो वैसे ही बहुत परेशान हैं। बाढ़ ने हमारी बाजरे की फसल पूरी तरह चौपट कर दी है। हमारी भूखों मरने की नौबत आ गई है। सरकार ने कुछ नहीं दिया है, वगैरह, वगैैरह। उसकी बातों पर ध्यान न देते हुए पुरातत्व अधिकारी व पुलिस ने उससे पूछा कि तुम्हारे घर के अन्य सदस्य कहां हैं। जब उसने घर की तरफ इशारा किया तो अशोक शर्मा व साथ में गए पुलिस के एसआई व सिपाही उसके घर गए तथा घर के लोगों से पूछताछ की थी। पूछताछ में किसी ने कुछ नहीं बताया थी। केवल 8 सिक्के जो कि तांबे के हैं उन्हें निकाल कर थमा दिए थे।
1300वीं ईसवी के सिक्के मिले
पुरातत्व अधिकारी ने कहा है कि तांबे के दिये गये सभी 8 सिक्के 1300ईसवी के हैं। सिक्के मुस्लिम शासनकाल के हैं। उस समय दिल्ली में मुगलकालीन शासन था। किसी व्यक्ति ने सिक्कों का घड़ा दबा दिया होगा। बाढ़ के पानी में घड़ा फूट गया होगा तथा सिक्के बाहर निकल आये। सिक्कों पर फारसी भाषा में कुछ लिखा हुआ है।
गांव वाले सहयोग नहीं कर रहे हैं
हमने किसान को कई बार थाने में बुलाकर पूछताछ की लेकिन वह कुछ नहीं बता रहा है। हमने अन्य गांव वालों से भी पूछताछ की तो वह भी नहीं कुछ बता रहे है। अगर कोई कुछ बताये तो मामले की तह तक पहुंचे। हम कड़ाई से पूछताछ कर नहीं सकते हैं और फिर भी हम और पूछताछ करेंगे और सिक्के बरामद करवाने की कोशिश करेंगे।
सिक्के बरामद नहीं होना पुलिस की लापरवाही है
इस मामले में नगरा थाना पुलिस की घोर लापरवाही है पुलिस चाहती है तो जिस दिन सिक्के खेत में से निकले थे उन्हें तुरंत बरामद किया जा सकता था। जब हम वहां गये तो नगरा थाना प्रभारी पहले कहते रहें कि हम आपके साथ आ रहे हैं। लेकिन वहां पहुंचने पर भी नहीं आये। हमें केवल 8 तांबे के सिक्के किसाने ने दे दिये थे। हमने कलेक्टर के यहां जांच प्रतिवेदन लगाया है। वह एसपी साहब को आदेशित करेंगे तथा हमें पुलिस बल उपलब्ध करायेंगे तभी जांच हो सकेगी और सोने के सिक्के जो अभी किसान के पास हैं। बरामद कर सकेंगे
अशोक शर्मा, जिला पुरातत्व अधिकारी मुरैना

