नोटिफिकेशन जारी-डीआरडीई का 50 मी. रहेगा दायरा, डीआरडीई ने सेना के लिए बनाया एनबीसी कैनस्टिर
ग्वालियर. सिटीसेंटर क्षेत्र के रहवासियों के लिए राहत की खबर, अब रक्षा मंत्रालय की भी मुहर लग गई है। डीआरडीई लैब सिटीसेंटर का दायरा 200 मीटर से घटाकर 50 मीटर अधिकारिक रूप से हो गया है। रक्षा मंत्रालय की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया है। इसको लेकर अब डीआरडीई ने ग्वालियर जिला प्रशासन को पत्र भी जारी कर दिया है। इस पत्र में कहा गया है कि अब प्रशासन अपने स्तर पर आगामी प्रक्रिया कर सकता है।
देश की सेना के लिए रक्षा अनुसंधान एवं विकास स्थापना (डीआरडीई) ने एनबीसी (न्यूक्लियर, वायोलाजिकल और केमिकल) कैनस्टिर नीलकंठ-पी (गैस मास्क में उपयोग किया जाने वाला फिल्टरनुमा उपकरण) तैयार किया है। कैनिस्टर का यह अपग्रेड वर्जन दोगुना समय तक सेना के जवानों को रासायनिक-जैबिक एजेंटों से सुरक्षित रख ऑक्सीजन लेने में मदद करेगा। इससे पहले जो एनबीसी कैनिस्टर तैयार किया गया था वह एल्युमिनियम बॉडी का था और दो घंटे तक ही काम करता था। नया कैनिस्टर चार घंटे की क्षमता के साथ प्लास्टिक बॉडी में तैयार किया गया है। एनबीसी कैनिस्टर के नये वर्जन का आर्डर ग्वालियर की ही शक्ति इंजीनियरिंग कंपनी को दिया गया है। जो ढाई लाख एनबीसी कैनिस्टर तैयार करेगी जिसका उत्पादन शुरू कर दिया गया है।
लेयर-4 लैब भी ग्वालियर में बनेगी
डीआरडीई के कठिन प्रयोगो, व्यापक परीक्षण और मूल्याकन के बाद रासायनिक-जैबिक खतरों का मुकावला करने के लिए अनेक उत्पादो (सूट, मास्क, जूते, चश्मे) और तकनीक (वायो डाइजेस्टर) का विकास किया है। डीआरडीई द्वारा बनाए गए उपकरण सेना और बड़े विभागों द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे है। डीआरडीई की लेयर-4 लैब जो कि पुणे के बाद देश में दूसरे नंबर की लैब होगी यह ग्वालियर के महाराजपुरा में बनेगी। इसका डिजायन तैयार किया जा रहा है। रक्षा मंत्रालय से इसकी स्वीकृति मिल चुकी है।