Newsमप्र छत्तीसगढ़

नोटिस को हफ्तों तक रोकने से हाईकोर्ट नाराज, न्यायालय ने डाक विभाग को लगाई फटकार, मामला चौकाने वाला, ट्रैकिंग का नहीं मिला रिेकॉर्ड

ग्वालियर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच की एकलपीठ ने डाक विभाग की कार्यप्रणाली पर कड़ी नाराजगी जताते हुए कहा कि नोटिसों को हफ्तों तक डाकघर में लंबित रखना और उनकी ऑनलाइन ट्रैकिंग उपलब्ध न होना गंभीर अनियमितता है। न्यायालय ने इसे न्यायिक प्रक्रिया में अनावश्यक देरी का प्रमुख वजह बताते हुए डाक विभाग को फटकार लगायी है। यह मामला राज्य शासन द्वारा उत्तमसिंह के खिलाफ दायर पुर्नविचार याचिका से जुड़ा है। सुनवाई के दौरान सामने आया है कि 4 नवम्बर 2025 को जारी नोटिस डाकघर को सौंपने के बाद भी कई दिनों तक आगे नहीं भेजा गया है।
क्या है मामला
सरकार की ओर से बताया गया कि प्रतिवादी को 14 अक्टूबर 2025 को भेजे गए पहले नोटिस की सेवा रिपोर्ट वापस नहीं आई थी। इसके बाद 4 नवंबर को नया नोटिस डाकघर को दिया गया। कोर्ट ने जब ऑनलाइन ट्रैकिंग की स्थिति पूछी तो असिस्टेंट ग्रेड सूरज बघेल ने बताया कि 14 नवंबर तक भी कंसाइनमेंट नंबर वेबसाइट पर उपलब्ध नहीं था।हाईकोर्ट के उप डाकपाल अर्जुन बंसल ने कोर्ट में स्वीकार किया कि नोटिस वास्तव में भेजा ही नहीं गया था। इस खुलासे पर अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए इसे “चौंकाने वाला” बताया। अदालत ने यह भी कहा कि हाल के समय में कई मामलों में कंसाइनमेंट नंबर जारी होने के बावजूद वेबसाइट पर ‘कंसाइनमेंट नॉट फाउंड’ दिखाया जा रहा है। कोर्ट ने इसे अत्यंत गंभीर व्यवस्था दोष माना और टिप्पणी की कि इससे न्यायिक प्रक्रिया बाधित होती है।
सख्त निर्देश भविष्य के लिये
हाईकोर्ट ने साफ निर्देश दिये है कि डाकघर नोटिसों को किसी भी परिस्थिति में हफ्तों तक लंम्बित न रखे। भविष्य में कार्यालय स्पष्ट रूप से बताये कि नोटिस डाकरघर को कब सौंपा गया है। यदि डाक विभागकी वेबसाइट पर ट्रैकिंग उपलब्ध नहीं है, रिपोर्ट में लिखा जाये कि नोटिस वास्तव में भेजा गया है या नहीं। मामले में मौजूदा नोटिस को डाकघर से वापिस लेकर नयी तारीख के साथ पुनः जारी करने का आदेश दिया गया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *