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पुलिस को पता चल गया आतंकियों का मीटिंग प्वॉइंट, जहां की जा रही यूपी के कई शहरों दहलाने की प्लानिंग

नई दिल्ली. लालकिले के पास हुए धमाके की जांच जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है। परत-दर-परत चौकाने वाले खुलासे सामने आ रहे हैं। जांच एजेंसियों ने अब उस जगह की पहचान कर ली है। जहां बैठकर आतंकियों ने न केवल दिल्ली बल्कि यूपी के कई शहरों में विस्फोट की साजिश रची थी। यह जगह थी फरीदावाबद कीअल-फलाह युनिवर्सिटी का बिल्डिंग नम्बर 17 जिसे अब एजेंसियां आतंकियों का मीटिंग प्वॉइंट कह रही है।
यह ीवह बिल्डिंग है। जिसका कमरा नम्बर 13 पुलवामा के रहने वाले डॉ. मुजम्मिल अहमद के नाम पर आवंटित था। जांच में सामने आया है कि इसी कमरे में बैठकर सिर्फ दिल्ली ही नहीं यूपी के लखनऊ और अयोध्या समेत कुछ अन्य शहरों में भी विस्फोट की प्लानिंग की गयी थी।
धमाके की साजिश कमरा नम्बर 13 में रची गयी थी
अल-फलाह यूनिवर्सिटी की बिल्डिंग नम्बर 17 का यह कमरा बाहर से आम दिखता था। लेकिन अन्दर यह टेरर हब में बदल चुका था। पुलिस ने इस कमरे से कई डिजिटल डिवाइस, पेन ड्राइव और लैपटॉप बरामद किये है। फोरेंसिक टीम ने यहां से कुछ रासायनिक पदार्थ भी बरामद किये है। जिनका प्रयोग विस्फोटक सामग्री तैयार करने में किया गया होने का शक है। ऐजेंसियों ने बताया है कि मुजम्मिल अहमद और उसके साथी डॉक्टर यहां बैठकर तय करते थे कि यूनिवर्सिटी की लैब से कौन7 से केमीकल कब और कैसे बाहर लाने हैं। यनिवर्सिटी की लैब से निकाले गये। अमोनियम नाइट्रेट और ऑक्साइड कम्पाउं की छोटी-छोटी मात्रा में मिलाकर बम तैयार करने की योजना बनी थी।
शाहीन शाहिद: मेडिकल से नेटवर्क की मास्टरमाइंड
डॉ. शाहीन शाहिद लखनऊ की रहने वाली, पढ़ाई में अव्वल, और अब देश की सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है। प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज से 2002 में MBBS और 2006 में MD करने वाली शाहीन ने प्रोफेसर बनने के बाद एक ऐसा रास्ता चुना, जिसने सबको हैरान कर दिया. सूत्र बताते हैं कि 2015 में तलाक के बाद उसकी मुलाकात फरीदाबाद के डॉक्टर मुजम्मिल से हुई. यहीं से उसकी जिंदगी की दिशा बदल गई. मुजम्मिल ने उसे अल-फलाह यूनिवर्सिटी में नौकरी दिलाई, और यहीं उसकी मुलाकात जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े लोगों से हुई. एजेंसियों का कहना है कि शाहीन धीरे-धीरे जमात-उल-मोमिनात नाम के महिला आतंकी विंग से जुड़ गई, और बाद में वह उसकी महिला कमांडर बन गई।
लखनऊ और अयोध्या कनेक्शन
जांच में यह भी सामने आया है कि शाहीन दो महीने पहले लखनऊ आई थी, जहां उसने कई संदिग्ध लोगों से मुलाकात की थी। एजेंसियों को यह भी जानकारी मिली है कि जिनसे वह मिली वह सभी अयोध्या तक गए। जांच इस बात पर केंद्रित है कि अयोध्या में उससे कौन मिला और वह वहां किस मकसद से पहुंची थी।  लखनऊ लौटने के बाद शाहीन ने अपने भाई डॉ. परवेज अंसारी के घर कुछ दिन बिताए।  परवेज, इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में असिस्टेंट प्रोफेसर था. अब वही भी एटीएस और जम्मू-कश्मीर पुलिस की जांच के घेरे में है।
परवेज की डिजिटल दुनिया और फॉरेंसिक जांच
एजेंसियों ने परवेज के घर से लैपटॉप, मोबाइल, टैबलेट और हार्ड डिस्क जब्त की हैं।  फॉरेंसिक जांच में इन डिवाइसों से कई एन्क्रिप्टेड चैट और मेल मिले हैं. परवेज ने कुछ दिन पहले अचानक यूनिवर्सिटी से इस्तीफा दे दिया था. एजेंसियों को शक है कि उसे पहले ही भनक लग गई थी कि अब सुरक्षा एजेंसियां उस तक पहुंचने वाली हैं.। सूत्रों के मुताबिक, परवेज नेपाल के रास्ते देश छोड़ने की फिराक में था, लेकिन उससे पहले ही उसे पकड़ लिया गया।
मददगार कौन? दो नए नाम आए सामने
जांच में अब दो और नाम सामने आए हैं तमीम कासिम और ताज. दोनों ने लखनऊ में परवेज की मदद की थी। ताज, परवेज का साला बताया जा रहा है। जबकि तमीम, एक धार्मिक संस्थान नदवा मदरसा से जुड़ा रहा है।  परवेज ने इंटीग्रल यूनिवर्सिटी में जॉब के दस्तावेज़ों में भी इन दोनों के नाम इमरजेंसी कॉन्टैक्ट के रूप में लिखे थे।  अब सवाल यह है कि क्यों? क्या यह महज औपचारिकता थी, या किसी बड़े नेटवर्क की कड़ी छिपाने की कोशिश? एटीएस अब इन दोनों से भी पूछताछ करेगी, ताकि यह पता लगाया जा सके कि परवेज को लखनऊ में बसाने और आगे बढ़ाने के पीछे उनका क्या रोल था.।

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