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केंद्रीय करों में MP की हिस्सेदारी बढ़ाने की मांग, 48 प्रतिशत हिस्सा मांगा

भोपाल. भारत सरकार ने जीएसटी की दरों में कटौती करके आमजन को राहत पहुंचाई। इससे सरकार को मिलने वाले राजस्व में कमी हो सकती है। हालांकि सरकार को उम्मीद है कि इसकी भरपाई 16वां वित आयोग कर सकता है। मध्य प्रदेश ने केंद्रीय करों में 48 प्रतिशत हिस्सा मांगा है। यदि स्वीकार हो जाता है तो फिर जीएसटी कटौती से होने वाली कमी की पूर्ति इस बढे हुए हिस्से से काफी हद तक हो जाएगी।
वित्त विभाग कर रहा पूर्ति के लिए मंथन
अप्रैल 2026 से नए वित आयोग की सिफारिशें लागू होने की संभावना है जो पांच साल के लिए होंगी। प्रदेश सरकार ने जो प्रारंभिक अनुमान लगाया है उसके अनुसार जीएसटी की नई दरों से लगभग 8600 करोड रुपये का राजस्व प्रभावित हो सकता है। इसकी पूर्ति के लिए वित विभाग मंथन कर रहा है। उन खर्चों को चिह्नित किया जा रहा है जिनमें कटौती की जा सकती है। इसमें नए कार्यालय भवन, नए वाहन सहित वे व्यय शामिल है जिन्हें आगे बढाया जा सकता है। इसके साथ ही निवेश प्रस्तावों के क्रियान्वयन पर भी फोकस किया जा रहा है ताकि आर्थिक गतिविधियां बढें।
केंद्रीय करों में 48 प्रतिशत हिस्सा मांगा
वित विभाग के अधिकारियों का कहना है कि प्रदेश का बजट का मुख्य आधार केंद्रीय करों में हिस्सा और सहायता अनुदान होता है। वर्ष 2025-26 में केंद्रीय करों के हिस्से में 111662 करोड रुपए और केंद्रीय सहायता अनुदान 48661 करोड रुपये अनुमानित है। इस प्रकार प्रदेश की कुल राजस्व प्राप्ति में केंद्रीय करों का हिस्सा और सहायता अनुदान 43 प्रतिशत के आसपास होता है। यह जीएसटी की नई दरों से प्रभावित हो सकता है। चूंकि जीएसटी क्षतिपूर्ति अब मिलना बंद हो गई है इसलिए पूरी उम्मीद 16 वित्त आयोग से है।
सरकार ने आयोग से केंद्रीय करों में 48 प्रतिशत हिस्सा मांगा है। यदि यह मिल जाता है तो राज्य को होने वाली क्षति के बड़े हिस्से की पूर्ति हो जाएगी। करों में वृद्धि का आधार मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कृषि, बुनियादी ढांचे, शिक्षा, स्वास्थ्य, वन, पर्यटन, शहरी विकास और औद्योगिक विकास के क्षेत्र में हो रहे तेजी से विकास को बताया है।

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