नेपाल में हिंसक प्रदर्शन के बीच प्रधानमंत्री ओली ने दिया इस्तीफा, पूर्व पीएम और राष्ट्रपति और गृहमंत्री का घर किया आग के हवाले
नई दिल्ली. पिछले 3 वर्षो में भारत के पड़ोस में बड़े भू-राजनीतिक बदलाव देखने को मिल रहा है। श्रीलंका का आर्थिक संकट हो, पाकिस्तान में इमरान खान की सत्ता से विदाई या बांग्लादेश में सत्ता परिवत्रन, हर जगह एक जैसी कहानी दिखाई दे रही है। बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन और अंततः सरकारों का गिरना। अब इस सूची में नेपाल का नाम भी जुड़ गया है। जहां सरकार द्वारा सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर प्रतिबंध लगाने के कदम से भड़के विरोध प्रदर्शनों ने हिंसक रूप ले लिया और लगभग 20 लोगों की जान चली गयी।
नेपाल में यह विरोध भी उसी पैटर्न पर चला, शुरूआत सोशल मीडिया प्रतिबंध के खिलाफ हुई है। लेकिन जल्द ही भ्रष्टाचार विरोधी प्रदर्शनों में बदल गयी। अंततः पीएम केपी शर्मा ओली को इस्तीफा देना पड़ा। सूत्रों के अनुसार ओली अब दुबई भागने की तैयारी में है। बीच प्रॉक्सी वॉर का नया मैदान बन गया है।
नेपाल में भीषण प्रदर्शन
दरअसल, नेपाल में फैली अशांति के पीछे बाहरी हाथ होने की थ्योरी मजबूती पकड़ रही है. सरकार ने सोशल मीडिया बैन वापस ले लिया, फिर भी प्रदर्शन शांत नहीं हुए. राजधानी की सड़कों पर ‘केपी चोर, देश छोड़’ के नारे गूंजते रहे.
मंगलवार को प्रदर्शनकारियों ने राष्ट्रपति रामचंद्र पौडेल, प्रधानमंत्री ओली और अन्य मंत्रियों के निजी घरों को तोड़फोड़ कर आग के हवाले कर दिया. सत्ताधारी पार्टी के एक नेता के स्वामित्व वाला काठमांडू का मशहूर हिल्टन होटल भी भीड़ ने जला दिया.
ठीक ऐसा ही दृश्य 2024 में बांग्लादेश और 2022 में श्रीलंका में देखने को मिला था, जहां घरेलू मुद्दों पर शुरू हुए प्रदर्शनों ने भ्रष्टाचार-विरोधी आंदोलन का रूप ले लिया. दोनों देशों में अचानक भड़की युवा-नेतृत्व वाली भीड़ ने नेताओं के घरों पर धावा बोला और जमकर तोड़फोड़ की.
टीवी पर वही तस्वीरें दिखीं जिनमें भीड़ घरों से सामान लूट रही है, फर्नीचर तोड़ रही है, बेडरूम में आराम कर रही है और स्विमिंग पूल में नहा रही है. अंततः श्रीलंका के राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे को मालदीव और बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना को भारत भागना पड़ा.
नेपाल अशांति में बाहरी हाथ?
लेकिन इन सत्ता परिवर्तनों को असल में कौन भड़का रहा है? कारण, इसकी गहराई में जाएं तो कई कारक दिखाई देते हैं. दरअसल, नेपाल में पिछले कई महीनों से असंतोष की लहर साफ नजर आ रही थी. 2008 में गणराज्य बनने के बाद से सत्ता बार-बार उन्हीं नेताओं के बीच घूमती रही है- ओली (जिन्हें pro-China माना जाता है), माओवादी केंद्र के नेता प्रचंड और पांच बार प्रधानमंत्री रह चुके शेर बहादुर देउबा. तीनों नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे हैं और नेपाल का युवा धीरे-धीरे राजनीतिक व्यवस्था से मोहभंग कर बैठा है. बेरोजगारी और आर्थिक ठहराव ने आग में घी डालने का काम किया.
नेपाल में हिंसक विरोध की 8 तस्वीरें
1. संसद भवन

2. पीएम ओली का निजी आवास

3. राष्ट्रपति का निजी आवास

4. गृहमंत्री का निजी आवास

5. पूर्व पीएम शेर बहादुर देउबा और उनकी पत्नी को घर में घुसकर पीटा

6. वित्त मंत्री को दौड़ा-दौड़ाकर पीटा

7. नेपाली कांग्रेस का पार्टी कार्यालय

8. केपी शर्मा ओली सुरक्षित जगह शिफ्ट हुए
