हाईकोर्ट से रिश्वत के मामले में सेवानिवृत्त सहायक श्रमायुक्त को लगा झटका, 8.40 लाख की रिश्वत के आरोप हरीशचंद्र मिश्रा की याचिकायें खारिज
ग्वालियर.हाईकोर्ट ने सेवानिवृत्त सहायक श्रमायुक्त हरीशचन्द्र मिश्रा की 2 याचिकाओं को खारिज कर दिया है। हरीश मिश्रा ने 8.40 लाख रूपये की रिश्वत मांगने का गंभीर आरोप है। एचसी मिश्रा ने 18 जुलाई 2022 को जारी विभागीय चार्जशीट को चुनौती दी थी। उनका कहना था कि चार्जशीट 4 वर्ष की सीमा से बाहर है आरोप अस्पष्ट है कि न्यायालय ने कहा है कि आरोप अस्पष्ट है। न्यायालय ने कहा है कि आरोप वर्ष 2019-20 के है। चार्जशीट 2022 में जारी की गयी है। ऐसे में यह समय सीमा से बाहर नहीं मानी जा सकती है। न्यायालय ने स्पष्ट किया है कि रिश्वत मांगने जैसे आरोप की निष्पक्ष जांच आवश्यक है। चार्जशीट को केवल बताकर निरस्त नहीं किया जा सकता है।
पेंशन, ग्रेच्युटी, अवकाश नकदीकरण पर रोक
मिश्रा मार्च 2019 से जुलाई 2020 तक ग्वालियर में पदस्थ रहे। आरोप हैं कि 2019 में उन्होंने रिश्वत मांगी थी। इस मामले में सेवानिवृत्ति से एक दिन पहले (31 जुलाई 2020) को उन्हें निलंबित कर इंदौर मुख्यालय भेजा गया था। निलंबन के बाद उन्हें पहले 50 प्रतिशत और बाद में 90 प्रतिशत पेंशन मिलने लगी। जीपीएफ और बीमा की राशि जारी कर दी गई थी, लेकिन पूरी पेंशन, ग्रेच्युटी और अवकाश नकदीकरण रोक दिया गया। मिश्रा ने सेवानिवृत्ति के बाद स्वायत्वों के भुगतान के लिए 2021 में हाईकोर्ट में पहली याचिका दायर की थी। इसके बाद मंत्रिपरिषद की स्वीकृति पर 18 जुलाई 2022 को श्रम विभाग ने चार्जशीट जारी की। मिश्रा ने दूसरी याचिका में चार्जशीट को चुनौती देते हुए कहा कि यह चार साल की सीमा से बाहर है और आरोप अस्पष्ट हैं।