नहीं रहेगी अमेरिका पर निर्भरता और न किसी और देश पर, स्वदेशी इंजन का प्रोजेक्ट साफरान कितना होगा अहम
नई दिल्ली. भारत सदैव से अपने फायटर जेट इंजन को स्वदेशी बनाने का प्रयास कर रहा है ताकि अमेरिका या अन्य देशों पर निर्भरता खत्म हो। हाल ही में फ्रांस की कम्पनी साफरान के साथ 12 केएन थ्रस्ट वाले इंजन के विकास का समझौता हुआ है। जो एडवांस्ड मीडियम कॉम्बैट एयरक्राफ्ट AMCA के लिये बनेगा। यह प्रोजेक्ट 61 हजारा करोड़ रूपये का है। 10 साल में पूरा होगा। यह प्रोजेक्ट भारत के लिये कितना महत्वपूर्ण है।
क्या है साफरान प्रोजेक्ट
साफरान (फ्रांस की कम्पनी, जो रॉफेल के एम88 इंजन बनाती है) के साथ यह प्रोजेक्ट 22 अगस्त 2025 का रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने घोषित किया। यह 120केएन थ्रस्ट वाला टर्बोफेन इंजन AMCA Mk-2 के लिये बनेगा। लागत 7 बिलियन डॉलर (करीब 61 हजार करोड़ रूपये) है। 100 प्रतिशत टेक्नोलॉजी ट्रांसफर होगा।
भारत की इंजन पर विदेषी निर्भरता
भारत के फायटर जेट्स जैसे तेजस, सुखोई 30 और राफेल में अधिकतर इंजन विदेषी है। तेजस में जीई-एफ44 (अमेरिका) और सुखोई में एएल-31एफपी (रूस) लगे हैं। कावेरी इंजन प्रोजेक्टर 1980 के दषक से चल रहा है। लेकिन यह 98-100 केएन थ्रस्ट नहीं दे पााया। कावेरी को तेजस से अलग कर दिया गया। अब इसका डेरिवेटिव वर्जन ड्रोन (घातक यूसीएवी) के लिये उपयोग हो रहा है। कावेरी पर 35 साल और 400 मिलियन डॉलर खर्च किये। लेकिन तकनीकी चुनौतियां (सिंगल क्रिस्टल ब्लेड और थर्मल कोटिंग) ने इसे रोक दिया। इस निर्भरता से समस्या बढ़ी। 2021 में जीई एफ404 इंजन की डिलीवरी में देरी हुई है। जिससे तेजस एमके1ए प्रॉडक्षन रूका। रूस यूक्रेन युद्ध ने एएल-31एफपी की सप्लाई प्रभावित की। एएमसीए (5वी जनरेषन स्टील्थ फायटर) के लिये 11-12 kn थ्रस्ट इंजन चाहिये। जो स्वदेशी न होने से देरी हो रही है। साफरान प्रोजेक्ट इसी समस्या का समाधान है।