हनुमान बांध के गेट 40 वर्षो के बाद पहली बार खुले
ग्वालियर शहर में लगातार हुई वर्षा की वजह सभी बांध ओवरफ्लो हो चुके है। तिघरा बांध के जल संसाधन वभाग द्वारा 16 बार गेट खोले जा गये है। 1915 में निर्माण किये तिघरा बांध के वर्षा के मौसम में 16 बार गेट खोलना इतिहास में पहली बार हुआ है। वहीं वीरपुर बांध अधिक भरे जाने की वजह से इसका पानी 40 साल के बाद हनुमान बांध पानी छोड़ा गया है। लेकिन हनुमान बांध के चारों ओर अतिक्रमण हो गया। इस ओर जिला प्रशासन का ध्यान नहीं है। इसके साथ ही हनुमान बांध गेट खोलने इसमें सालों से जमी गाद और जल कुम्भी अब धीरे-धीरे साफ हो गयी । हनुमान बांध के 5 गेट खोल दिये जाने की वजह स्वर्ण रेखा नदी में जलस्तर बढ़ गया है।
110 वर्षो के इतिहास में 16 बार खोले गये गेट
ग्वालियर की पेयजल व्यवस्था को बनाने के लिये स्टेटकाल के समय तिघरा बांध का निर्माण किया गया था। तिघरा बांध के वर्ष 2012 में 11 अगस्त से 15 सितम्बर के बीच 14 बार गेट खोले गये हैं लेकिन इस साल अभी तक तिघरा बांध के 16 बार गेट खोले जा चुके है। वर्तमान समय में तिघरा बांध का जलस्तर 739-70 फीट पर स्थिर है। तिघरा बांध में वर्तमान समय में जितनी पानी की आवक हो रही है। उतने पानी की जल संसाधन विभाग द्वारा शहर को पेजजल के लिये सप्लाई की जा रही है। शहर के आसपास खेती की सिंचाई के लिये स्वर्णरेखा नदी पर हनुमान बांध, वीरपुर बांध, मामा का बांध, गिरवाई बांध, छोटा रायपुर एवं बड़ा रायपुर बांधों की श्रृंखला बनाई गयी थी। ग्वालियर में इस साल हुई तेज बारिश के कारण सभी बांध ओवरफ्लो हो चुके हैं। तिघरा बांध में लगातार बढ़ रहे पानी को देखते हुए जल संसाधन विभाग ने बांध के लिये इस साल 16वीं बार गेट खोले गये हे। वहीं स्वर्णरेखा नदी पर बनाई गयी बांधों की श्रृखला में हनुमान बांध सबसे अंतिम हैं हनुमान बांध से शहर में स्वर्णरेखा नदी की शुरूआत होती हैं लेकिन हनुमान बांध के कैचमेंट एरिया में लगातार अतिक्रमण होंने और कम बारिश की वजह से वीरपुर बांध एवं हनुमान बांध के नहीं भरने की वजह से हनुमान बांध से लगातार 4 दशकों से पानी नहीं छोड़ा गया था। इस साल वीरपुर बांध की शहर को खोला गया है। जिससे हनुमान बांध में लगातार पानी आ रहा है। जिससे हनुमान बांध के 5 गेट खोले गये है। गेट खोले जाने से हनुमान बांध के अन्दर जमा गाद और जलकुंभी बहकर धीरे-धीरे साफ हो रही है।
तिघरा की गहराई 2 फीट घटी
तिघरा बांध का निर्माण साल 1915 में कराया गया था । तब बांध की गहराई 742 फीट थी। बांध में पानी ओवरफ्लो होने पर इसमें लगे 64 गेट अपने आप ही खुल जाते थे। लेकिन एक शताब्दी पुराने होने की वजह एवं बांध में कई जगह से लीकेज होने की वजह जल संसाधन विभाग ने इसको 2 फीट कम भरना प्रारंभ कर दिया है और साथ ही जल निकाली के लिये अलग से 7 गेट बनाये हैं।
शहर में आसपास हो खेती के लिये स्वर्ण रेखा पर बनाये गये बांध
स्टेटकाल में शहर के आसपास खेती के लिये स्वर्णरेखा के समय ग्वालियर की आबादी काफी कम थी। शहर के ग्रामीण इलाका था। जहां पर लोगों का मुख्य व्यापार खेती होता था। किसानों को खेती के लिये पर्याप्त मात्रा में पानी मिल सके। इसके लिये स्वर्णरेखा नदी पर छोटे-छोटे बांध बनाये थे। यह सभी बांध आपस में नहरों के जरिये एक दूसरे से जुड़े हुए है।
स्वर्णरेखा नदी ककेटो से जुड़ी है
स्वर्ण रेखा नदी के बांधों को भरने के लिये स्टेट काल के समय बनाये गये ककेटो बांध से नहर के जरिये जोड़ा गया है। ककेटो बांध से जाने वाली नहर का पानी रायपुर बांध में आता है। यहां से मामा का बांध, गिरवाई बांध के सीधे हनुमान बांध में आता है। गिरवाई बांध से आज भी हनुमान बांध में पानी लाने के लिये करीब 30 फीट चौड़ी और करीब 20 गहरी नहर बनी हुई है।