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RTO के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा की जमानत याचिका रद्द, हाईकोर्ट ने कहा -आरोप संगीन

जबलपुर. मनी लॉन्ड्रिंग प्रकरण में आरोपी आरटीओ के पूर्व कांस्टेबल सौरभ शर्मा की जमानत याचिका पर मध्यप्रदेश हाईकोर्ट में शनिवार का सुनवाई की गयी। जस्टिस प्रमोद अग्रवाल के न्यायालय में जमानता पर सुरक्षित रखा 26 पन्नों का फैसला सुनाते हुए कहा है कि परिवहन विभाग के पूर्व आरक्षक सौरभ शर्मा पर आरोप संगीन है। इसलिये जमानत का फायदा देना उचित नहीं है। आपको बता दें कि सौरभ शर्मा पिछले 4 फरवरी से न्यायिक अभिरक्षा में है। इससे पहले 30 जुलाई को मामले पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने फैसला सुरक्षित रखा था।
सौरभ शर्मा के एडवोकेट ने सुनवाई के बीच न्यायालय में दलील दी थी। सौरभ शर्मा से अभी तक जितना भी पैसा मिला है। वह पूरा उसका नहीं है। सौरभ के नाम जो संपत्तियां नहीं है। उनसे उसका कोई लेना-देना नहीं है। वहीं ईडी की तरफ से न्यायालय को बताया गया था कि सौरभ ने ही संपत्तियां अर्जित करने के बाद अपने दोस्त और रिश्तेदारों के नाम की है। इससे पहले प्रिवेंशन ऑफ मनी लॉन्ड्रिग एक्ट (पीएमएल) के तह ईडी के द्वारा दर्ज मामले पर भोपाल न्यायालय ने 24 अप्रैल 2025 को सौरभ शर्मा की जमानत अर्जी निरस्त कर दी थी। 17 दिसम्बर 2024 को सौरभ शर्मा के ठिकानों पर छापेमारी शुरू की। ईडी के वकील विक्रम सिंह ने न्यायालय को बताया कि इस मामले में 108करोड़ रूपये की संपत्ति अटैच की गयी है। जिसे सौरभ शर्मा ने अपने दोस्त और रिश्तेदारों के नाम पर खरीदा था।
ईडी-आयकर विभाग कर रही है जांच
सौरभ शर्मा मामले पर आयकर विभाग के साथ ईडी, लोकायुक्त,ग्वालियर पुलिस जांच कर रही है। आरोपी ने जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 30 जुलाई को कोर्ट ने 10वीं पेशी पर सुनवाई करते हुए फैसला सुरक्षित रखा था। शनिवार को जस्टिस प्रमोद कुमार अग्रवाल की कोर्ट ने सुरक्षित रखे फैसले पर सुनवाई करते हुए सौरभ शर्मा की जमानत याचिका को खारिज कर दिया है।
लॉकर्स से मिले 2 करोड़ के सोने के जेवरात
आरोपी सौरभ शर्मा द्वारा अवैध रूप से अर्जित धन से उक्त संपत्तियां खरीदी गई थीं। उन्होंने यह भी बताया कि हाल ही में जब सौरभ शर्मा के लॉकर्स को खंगाला गया तो उसमें भी दो करोड़ रुपए के सोने के जेवरात मिले हैं। यह भी कहा गया कि ये पूरा पैसा सौरभ शर्मा का ही है।बता दें कि लोकायुक्त ने आरटीओ में आरक्षक रहे सौरभ शर्मा के घर पर दबिश दी थी। बेनामी संपत्ति मिलने पर ईडी ने सौरभ शर्मा सहित उसके परिवार के सदस्यों समेत 12 व्यक्तियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया था। आरोपी सौरभ शर्मा बीते 4 फरवरी से न्यायिक अभिरक्षा में है। ईडी द्वारा दर्ज प्रकरण में जिला न्यायालय ने उन्हें जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद आरोपी ने हाईकोर्ट में जमानत याचिका दायर की थी।

 

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उपयंत्री को क्लीनचिट पर बोला, रिश्वत के मामले में ठेकेदार ने दी गवाही मेरी कोई साझेदारी नहीं थी, ईओडब्ल्यू ने वर्षा मिश्रा को रंगे हाथों पकड़ था

उपयंत्री वर्षा मिश्रा

ग्वालियर. विशेष सत्र न्यायालय में शनिवार को नगरनिगम की सबइंजीनियर वर्षा मिश्रा से जुड़े रिश्वत प्रकरण की सुनवाई की गयी। इस बीच ठेकेदार सुरेशसिंह यादव ने गवाही देते हुए स्पष्ट किया कि पार्क के रख-रखाव का ठेका उसी के नाम पर था और उसने ही कार्य कराया था। उन्होंने कहा है कि उनकी किसी के साथ कोई साझेदारी नहीं थी।
यह मामला 9 फरवरी 2023 का है। जब अनूपसिंह यादव ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ (ईओडब्ल्यू) में पदस्थ उपयंत्री वर्षा मिश्रा के खिलाफ रिश्वत मांगने की शिकायत दर्ज कराई थी। अनूप सिंह का आरोप था कि 5 पार्को के संधारण कार्य पूरा होने के बाद बिल पास कराने के एवज में वर्षा मिश्रा ने 20 हजार रूपये की रिश्वत की मांग की थी।
15 हजार रुपए रिश्वत लेते पकड़ा था
शिकायत के आधार पर ईओडब्ल्यू ने 10 फरवरी 2023 को नगर निगम मुख्यालय के बाहर वर्षा मिश्रा को 15 हजार रुपए रिश्वत लेते हुए रंगेहाथ पकड़ा था। यह रकम शिकायतकर्ता ने कार के अंदर सीट पर रखी थी।जांच पूरी होने के बाद ईओडब्ल्यू ने इस मामले में खात्मा रिपोर्ट पेश कर दी थी। इसमें शिकायतकर्ता ने दावा किया था कि उसका ठेकेदार सुरेश सिंह यादव के साथ साझेदारी का संबंध था और उसने इसके साक्ष्य भी कोर्ट में दिए थे। लेकिन शनिवार को कोर्ट में पेश हुए ठेकेदार सुरेश सिंह यादव ने इस दावे को खारिज करते हुए साझेदारी से साफ इंकार कर दिया।

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पुलिस टीम पर पथराव और फायरिंग की, नूंह में चोरों ने को पकड़ने गयी पुलिस टीम पर हमला

नूंह. हरियाणा के नूंह जिले के बिछौर थाना इलाके में गांव इन्द्राना में शनिवार को पुलिस चोरों को पकड़ने गयी थी। लेकिन चोरों के समर्थकों ने पुलिस टीम पर ही हमला कर दिया। इस बीच पुलिस टीम पर पत्थरबाजी की गयी ।बाद में राइफलों से हमला कर दिया। जिससे कई पुलिसकर्मी जख्मी हो गये। वहीं बचाव के लिये पुलिस टीम ने भी फायरिंग की। पुलिस टीम पर पथराव और हमले का एक वीडियो भी सामने आया है।
नूंह पुलिस ने 13 लोगों का लिया हिरासत में
पुलिस के अनुसार आरोपियों व उनके समर्थकों ने पुलिस पर अवैध हथियारों व राइफलों से जमकर फायरिंग की। पहले आरोपियों और उनके समर्थकों ने पुलिस टीम पर पथराव किया और बाद में राइफलों व कट्टों से फायरिंग शुरू कर दी। इसमें कई पुलिसकर्मी जख्मी हो गये। पुलिस टीम ने आत्मरक्षा में पुलिस ने लगभग 7-8 राउंड हवाई फायरिंग करते हुए 13 लोगों को हिरासत में ले लिया है। घटना के बाद पूरे गांव में सन्नाटा पसर गया। बिछोर पुलिस ने मामले में 30 नामजद और 60 अज्ञात लोगों के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। वहीं इस घटना में 13 लोगों की गिरफ्तारी की गयी है जिनमें 3 महिलायें भी शामिल है।
सीआईए तावडू की टीम आरोपी आजाद पुत्र सूबे खां उर्फ सुब्बा, शाहरूख पुत्र याकूब और शाहिद पुत्र खुर्शीद व अन्य आरोपियों को पकड़ने के लिये गांव इंदाना में छापेमारी करने पहुंची थी। आरोपियों पर पंजाब, आंध्रप्रदेश व अन्य ठिकानों पर मुकदमें दर्ज है। जैसे ही पुलिस ने आजाद के घर पर दविश दी। वैसे ही आरोपी आजाद ने पिस्टल निकाल पुलिस टीम पर सीधे फायरिंग कर दी। गनीमत रही कि गोली सिपाही समीर के हाथ को छूकर निकल गयी। जिससे वह बाल-बाल बच गया।
पुलिस ने फायरिंग के बाद आजाद मौके से भागने लगा। इस बीच उसकी पिस्टल मौके पर गिर गयी। जिसे पुलिस ने कब्जे में ले लिया। इसके बाद आजाद ने जोर-जोर से शोर मचाकर आसपास के लोगों का उकसाया। देखते ही देखते बड़ी संख्या में महिलायें और पुरूष वहां एकत्रित हो गये। पुलिस टीम पर पथराव शुरू कर दिया। इस बीच अरसद पुत्र सूबेदार ने जेसीबी मशीन को रास्ते में खड़ा कर पुलिस का रास्ता रोक दिया। पुलिस ने खालिद पुत्र सौकत ने राइफल से फायरिंग की जबकि वसीम अकरम पुत्र सौकत ने देशी कट्टे से पुलिस टीम पर सीधा फायर किया। भीड़ ने पुलिस वाहनों में तोड़फोड़ भीकी है। हालात बेकाबू होते देख पुलिसकर्मियों ने हवाई फायरिंग की।

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1 अक्टूबर से नेशनल पेंशन स्कीम में कई बड़े बदलाव होंगे, जानिये आप पर क्या पड़ेगा प्रभाव

नई दिल्ली. ट्रेन टिकिट बुकिंग से पेंशन तक 1 अक्टूबर से कई बदलाव होने जा रहे है। जिसमें नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) का भी नियम शामिल है। पेंशन फंड रेगुलेटरी एंड डवलपमेंट (PFRDA) ने 1 अक्टूबर 2025 से नेशनल पेंशन सिस्टम में कई बदलाव करने जा रहा है। एनपीएस के नये नियम के तहत अब नॉन-गवर्नमेंट एम्प्लाई 100 प्रतिशत तक इक्विटी में निवेश का विकल्प चुन सकते है। यह बदलाव निवेशकों को अधिक रिटर्न देने के मकसद किया गया है। लेकिन यह निवेशकों के रिस्क पर होगा। क्योंकि इसमें शेयर बाजार का जोखिम शामिल है। इसके साथ ही एक और बदलाव नया मल्टीपल स्कीम फ्रेमवर्क (MSF) पेश किया जायेगा। जिसके तहत निवेशक एक ही प्रान नम्बर पर अलग-अलग स्कीम को मैनेज कर सकेंगे।
यह नियम नहीं बदलेगा
विड्रॉल को लेकर टैक्स के नियम में कोई बदलाव नहीं होगा। 80%  एक मुश्त निकासी में से 60%  पर टैक्स छूट मिलेगी। जबकि बाकी 20%  इनकम स्लैब के हिसाब से टैक्सेबल होगा। पिछली साल सरकार ने यूनीफाइड पेंशन स्कीम (UPS) लांच की थी। जो कि सिर्फ केन्द्रीय कर्मचारियों के लिये थी। हालांकि इसका रिस्पॉन्स अच्छा नहीं रहा और अब उन्हें नेशनल पेंशन सिस्टम में वापिस आने का विकल्प दिया गया है।
निवेशकों के लिये क्या लाभ
100%  अमाउंट NPS  में निवेश का अवसर देने से अधिक रिटर्न मिलने का अनुमान होगा। जो उनके वेल्थ को तेजी बढ़ाने में मददगार हो सकता है और साथ ही इक्विटी निवेश का मौका और आसान विड्रॉल नियम, NPS  को निवेशकां के लिये आकर्षक बनायेगा। इससे निवेशकां को फंड निकालने और इमरजेंसी में अपने पैसे की पूति में भी सहायता होगी।

 

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चोरी गये ट्रक के कबाड़ी ने एक माह पुर्जे -पुर्जे काटकर बेच दिये, नम्बर प्लेट से हुआ खुलासा, ट्रक चालक ही निकला चोर

ग्वालियर. महाराजपुर इलाके से एक माह पहले गायब हुए ट्रक का पुलिस ने पर्दाफाश किया है। ट्रक को चोरी करने वाला ट्रक का चालक ही निकला है। उसने ट्रक को खुर्द-बुर्द कर एक कबाड़ी को बेंच दिया था। एक माह में कबाड़ी ने ट्रक के पुर्जे -पुर्जे काटकर बेच दिये। घटना महाराजपुरा थाना इलाके लममणगढ़ पुल के पास की है।
घटना का खुलासा उस वक्त हुआ जब ट्रक मालिक ने दोस्त ने चोरी गये ट्रक के रजिस्ट्रेशन नम्बर कबाड़ी के गोदाम पर देखी पीडि़त ट्रक मालिक थाने पहुंचा और मामले की शिकायत की। पुलिस ने शिकायत पर मामला दर्ज कर खुलासा कर दिया है।
क्या है मामला
बिरला नगर कांचमिल निवासी उमेश सिंह पुत्र मातादीन गुर्जर ट्रांसपोर्टर हैं। उनके यहां जितेन्द्र सिंह गुर्जर निवासी सरसपुरा भिंड बतौर चालक काम करता था। तीन महीनों पहले वह घर जाने की कहकर गया था और उसके बाद वापस नहीं आया था। एक माह पूर्व उमेश सिंह का एक ट्रक नंबर RJ11 GC-2625 पिछले महीने 22 अगस्त को चोरी हो गया था।
तलाश करने के बाद भी जब ट्रक का कहीं पता नहीं चला तो उमेश सिंह ने ट्रक गायब होने की जानकारी पुलिस को दी थी। करीब एक महीने बाद उमेश सिंह को उनके एक परिचित ने फोन करके कहा कि गायब हुआ ट्रक कटी हुई हालत में राजू कबाड़ी के पास पड़ा है। उसने कबाड़ी के गोदाम में ट्रक की नंबर प्लेट पड़ी देखी है।
ट्रक के पुर्जे-पुर्जे अलग कर दिये थे
गायब ट्रक की खबर मिलते ही ट्रक मालिक जब राजू कबाड़ी के पास पहुंचा तो पता चला कि कबाड़ी ने पूरा ट्रक काट डाला है। अब ट्रक सिर्फ केबिन बचा है। राजू से बात की तो पता चला कि उसे ट्रक जितेन्द्र गुंर्जर दे गया था। पुलिस ने उसकी शिकायत पर राजू कबाड़ी, ट्रक चालक जितेन्द्र गुंर्जर व एक अन्य पर मामला दर्ज कर लिया है।

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2 लाख दैनिक वेतन भोगियों को भी मिलेगी पेंशन, नियमित होने से पूर्व की 15 साल की सेवा होगी मान्य-हाईकोर्ट

जबलपुर. मध्यप्रदेश के लगभग 2 लाख दैनिक वेतन भोगियों (दैवेभो) कर्मचारियों को हाईकोर्ट ने बड़ी राहत दी है। न्यायालय ने आदेश दिया है कि अब उन्हें पेंशन का लाभ दिया जायेगा। खास बात यह है कि नियमित होने के दिन से पहले की 15 साल की सेवा भी पेंशन के लिये मान्य होगी। अभी तक दैवेभो कर्मचारियों के नियमित होने और रिटायर होने के बाद भी उन्हें पेंशन नहीं दी जाती थी।
इसपर कई कर्मचारियों ने हाईकोर्ट में याचिकायें दायर की थी। लगभग 1 हजार याचिकायें लग चुकी थी। अब न्यायालय ने अंतिम फैसला सुनाते हुए दैवेभो का राहत दी है जस्टिस विवेक जैन की बेंच ने सभी दलीलें सुनने के बाद आदेश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि इस आदेश का 60 दिन में लागू किया जाये। इससे सेवानिवृत्त हो चुके और भविष्य में सेवानिवृत्त होने वाले सभी दैनेभो का लाभ मिलेगा।
याचिकाकर्त्ताओं का तर्क
याचिकाकर्त्ताओं ने कहा है कि वह भर्ती नियम (रूल-7) के मुताबिक उनकी सेवा को मान्यता नहीं दी रही थी। 27 फरवरी 2023 को हुए संशोधन को उन्होंने न्यायालय में चुनौती दी। एडवोकेट एमपीएस रघुवंशी ने कहा-नियम चाहे जो हो, दैवेभो को पेंशन मिलनी चाहिये। न्यायालय का आदेश इसी पक्ष को मजबूत करता है।
सुप्रीम कोर्ट कह चुका- नियमित हो चुके हैं तो पेंशन व अन्य लाभ मिले
सुप्रीम कोर्ट ने साल 2024 में एक ऐतिहासिक फैसले में यह स्पष्ट किया गया है कि यदि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी बाद में नियमित हुए हैं तो उन्हें रिटायरमेंट के बाद पेंशन व अन्य लाभ मिलें।
यूपी में इसी माह अध्यादेश लागू किया है। इसके तहत दैनिक वेतन भोगी और संविदा कर्मचारियों को अब पेंशन के लिए दावा करने का अधिकार नहीं दिया गया है। यानी उत्तर प्रदेश में फिलहाल दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को पेंशन का लाभ नहीं मिल रहा है।

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विद्युत समस्या समाधान शिविर: बिजली जाने की शिकायत, सही करे बिना समाप्त की तो लाइन स्टाफ कार्रवाई के लिए रहें तैयार – विनोद कटारे

ग्वालियर -मध्यप्रदेश चैंबर ऑफ़ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री की मांग पर ऊर्जामंत्री प्रद्युम्न सिंह तोमर के निर्देश से चेंबर भवन में शहर के सभी उपभोक्ताओं की विद्युत समस्याओं के निराकरण के लिए प्रत्येक माह आयोजित किए जाने वाले शिविर में आज 27 सितम्बर शनिवार को विद्युत समस्या समाधान शिविर का आयोजन किया गया।
शिविर के प्रारंभ में अध्यक्ष डॉ प्रवीण अग्रवाल ने शिविर में पधारे हुए सभी उपस्थित जनों का स्वागत करते हुए कहा कि बहुत बार ऐसी शिकायतें आती हैं कि उपभोक्ता बिजली जाने की शिकायत दर्ज करवाते हैं तब बिजली सही होने से पहले ही विभाग द्वारा शिकायत समाप्त कर दी जाती है, जिससे उपभोक्ता को मानसिक पीड़ा होती है और बार-बार शिकायत दर्ज करनी होती है। 10 किलोवाट से ऊपर के औद्योगिक मीटर चेक करने के लिए एक निजी कंपनी को आदेशित किया गया है, लेकिन उस कंपनी के लोग घरेलू उपभोक्ताओं के यहां जाकर चेकिंग के नाम पर डराने और 10 किलोवाट से ऊपर के औद्योगिक उपभोक्ताओं को कई बार डराने का कार्य कर रहे हैं इसलिए बहुत आवश्यक है कि उनके साथ विद्युत वितरण कंपनी का कम से कम कनिष्ठ अभियंता स्तर का अधिकारी साथ हो और उपभोक्ता को अपना परिचय पत्र दिखाए, साथ ही जांच रिपोर्ट भी उस औद्योगिक उपभोक्ता को प्रदान करें।
उपभोक्ताओं की समस्या बताते हुए कहा कि मध्य प्रदेश चेंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा ‘घर-घर सोलर लगे’ इसका एक अभियान चलाया हुआ है लेकिन अधिकांश उपभोक्ताओं की शिकायत आती है कि कई-कई माह सोलर मीटर स्थापित ही नहीं होते हैं, जिससे इस अभियान में रुकावट पैदा होती है। जो प्रतिमाह सोलर बिल दिए जा रहे हैं उन बिलों को जब अगले माह देखते हैं तो उनका प्रिंट गायब हो जाता है, यह एक बड़ी समस्या है।
मुख्य महाप्रबंधक ने अपने विभाग को निर्देशित करते हुए कहा सभी डीजीएम सुनिश्चित करें कि उपभोक्ताओं के साथ अच्छा व्यवहार होना चाहिए, उपभोक्ताओं को विभाग की नीतियों एवं योजनाओं के बारे में शिक्षित किया जाये ताकि उन्हें बार-बार चक्कर न लगाने पड़े। यदि भविष्य में यह शिकायत आती है कि उपभोक्ता की शिकायत दूर किए बिना शिकायत को समाप्त किया गया है तो उस लाइन स्टाफ, एई और जेई के विरुद्ध सख्त कार्यवाही होगी। उपभोक्ता के परिसर में किसी भी तरह की चेकिंग विभागीय अधिकारी की उपस्थिति में ही होगी और यदि यह कंपनी जिसे 10 किलोवाट से ऊपर के औद्योगिक कंपनी की जांच के लिए अधिकृत किया गया है और वह घरेलू उपभोक्ता के यहां चेकिंग करते पाए जाते हैं तो उनके विरुद्ध सख्त कार्यवाही होगी। सोलर मीटर के स्थापित होने में यदि विभाग की गलती पाई जाती है उस संबंधित अधिकारी के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई की जाएगी यह सख्त निर्देश उन्होंने महाप्रबंधक शहर वृत्त को दिए साथ ही उन्होंने बताया कि चेकिंग पंचनामा की प्रति, मीटर लेब में जांच की प्रति उपभोक्ता को अवश्य ही मिले यह सुनिश्चित किया जाएगा।
इस शिविर में मुख्य रूप से चैंबर ऑफ़ कॉमर्स के अध्यक्ष डॉ. प्रवीण अग्रवाल, संयुक्त अध्यक्ष हेमंत गुप्ता,मानसेवी सचिव दीपक अग्रवाल,कार्यकारिणी सदस्य आशीष अग्रवाल, संजय अग्रवाल, विवेक बंसल, ग्वालियर रीजन के मुख्य महाप्रबंधक विनोद कटारे, महाप्रबंधक शहर वृत्त संदीप कालरा के साथ मध्य क्षेत्र के उपमहाप्रबंधक गगनदेव शर्मा,पूर्व क्षेत्र के उपमहाप्रबंधक अजीत सिंह राजपूत, दक्षिण क्षेत्र के उपमहाप्रबंधक सन्तोष विठ्ठल, सिटी सर्किल के उप महाप्रबंधक एसके चतुर्वेदी एवं विद्युत विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

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पूर्व डकैतों ने की घेराबंदी और 30 गोलियां चलाई , वीडियोकॉल कर बचाई जान, 14 किमी दूर से पुलिस बुलाई, 4 गिरफ्तार

मुरैना. एक किसान ने 45 मिनट तक मौत को अपनी आंखों के सामने देखा है। पूर्व डकैतों और उनके 15 साथियों ने उस पर 30 से अधिक गोलियां चलाई। जिससे बचने के लिये उसे टीले के पीछे झाडि़यों में छिपना पड़ा। पीडित किसान बलवीर गुर्जर का कहना है कि गोलियां चल रही थी, मौत बिलकुल नजदीक थी। डर लगता है पर झूकंुगा नहीं। अगर पुलिस को वीडियो कॉल करके नहीं बुलाता तो आज मैं जिन्दा भी नहीं होता। इस मामले में पुलिस ने 4 आरोपियों का गिरफ्तार कर लिया है और साथ ही 11 आरोपियों पर 5-5 हजार का इनाम घोषित किया गया है।
हमले की आपबीती, बलवीर गुर्जर की जुबानी
“मैं अपने खेत में ट्रैक्टर चला रहा था, तभी अचानक रामभजन गुर्जर और नत्थू गुर्जर अपने 15 साथियों के साथ वहां आ धमके। आते ही उन्होंने मुझ पर गोलियां चलाना शुरू कर दीं। मैं डर गया और ट्रैक्टर छोड़कर भाग गया। मैंने देखा कि एक टीला है, तो मैं उसके पीछे झाड़ियों में छिप गया। वे लगातार गोलियां चला रहे थे। मुझे लग रहा था कि अब मैं नहीं बचूंगा। मैंने तुरंत चिन्नौनी पुलिस को फोन किया, लेकिन उन्हें मेरी लोकेशन नहीं मिल रही थी। फिर मैंने चिन्नौनी के प्रभारी को वीडियो कॉल किया और उन्हें अपनी लोकेशन दिखाई। पुलिस तुरंत मौके पर पहुंची और मुझे वहां से सुरक्षित निकाला।पुलिस के आने तक वे लोग लगातार गोलियां चला रहे थे। ऐसा लग रहा था कि जैसे वे मुझे जिंदा नहीं छोड़ना चाहते।
इन आरोपियों पर 5-5 हजार का इनाम
रामभज गुर्जर, वीर सिंह गुर्जर, नत्थू गुर्जर,बल्लू उर्फ भोला गुर्जर,राममूर्ति गुर्जर, देवेंद्र गुर्जर,पृथ्वीराज गुर्जर अन्य चार आरोपी
इन 4 आरोपियों को किया गिरफ्तार
इंद्रजीत गुर्जर, बलदाऊ गुर्जर, रुस्तम गुर्जर, हंसराज गुर्जर

 

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मध्यप्रदेश पुलिस गरबा महोत्सव का माँ जगदंबे की आरती के साथ DGP ने किया भव्य शुभारंभ

1200 से अधिक महिला एवं बालिकाओं की रंगारंग सहभागिता
भोपाल, – नवरात्रि पर्व के पावन अवसर पर मध्यप्रदेश पुलिस वेल्फेयर सोसाइटी के तत्वावधान में एवं पुलिस महानिदेशक कैलाश मकवाणा एवं सीमा मकवाणा के मार्गदर्शन में पुलिस परिवारों के कल्याण और उत्सवधर्मिता को समर्पित भव्य गरबा महोत्सव का आयोजन 26 सितंबर को डीआरपी लाइन, नेहरू नगर स्थित परेड ग्राउंड में माँ जगदंबे की आरती के साथ हुआ। यह गरबा महोत्सव दो दिवस 26 एवं 27 सितम्बर तक चलेगा।
इस सांस्कृतिक आयोजन की शुरुआत वर्ष 2022 में हुई थी, जिसकी परिकल्पना तत्कालीन पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना की धर्मपत्नी श्रीमती प्रियंवदा सक्सेना द्वारा की गई थी। आज के इस भव्य गरबा महोत्सव को डीजीपी की धर्मपत्नी श्रीमती सीमा मकवाणा ने पूरे उत्साह और संवेदनशीलता के साथ इसे एक भव्य रूप दिया। उनकी प्रेरणा से पिछले दो सप्ताहों में डीआरपी लाइन तथा 23वीं, 7वीं और 25वीं वाहिनी में चार प्रशिक्षण शिविर आयोजित किए गए, जिनमें बड़ी संख्या में पुलिस परिवार की महिलाओं और बालिकाओं ने गरबा नृत्य का अभ्यास किया। इन्हीं प्रशिक्षणों का परिणाम रहा कि आज लगभग 1200 महिला एवं बालिका प्रतिभागियों ने एक साथ गरबा प्रस्तुत कर इस आयोजन को अविस्मरणीय बना दिया।
इस अवसर पर पूर्व पुलिस महानिदेशक सुधीर सक्सेना सहित पुलिस मुख्यालय एवं भोपाल पुलिस कमिश्नरेट के वरिष्ठ अधिकारी, सेवानिवृत्त अधिकारी तथा पुलिस परिवारजन बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। प्रायः त्यौहारों पर पुलिसकर्मी ड्यूटी में व्यस्त रहते हैं और उनके परिवार त्यौहार की खुशियों से वंचित रह जाते हैं। इस संवेदनशीलता को ध्यान में रखते हुए पुलिस वेल्फेयर सोसाइटी द्वारा यह नवाचार किया गया है, ताकि पुलिस परिवार भी आम नागरिकों की तरह नवरात्रि के उल्लास और उमंग में शामिल होकर अपनी सांस्कृतिक परंपराओं का आनंद ले सकें।
इस अवसर पर डीजीपी ने सभी पुलिस परिवारों को नवरात्रि पर्व की शुभकामनाएँ दीं और कहा कि“पुलिस परिवार हमारे बल की असली शक्ति हैं। उनकी खुशी और संतोष ही हमारे कार्य का प्रेरणास्रोत है। यह गरबा महोत्सव इस अपनत्व और पारिवारिक भावनाओं का उत्सव है। गरबा स्थल पर पुलिस परिवार की महिलाओं द्वारा विभिन्न व्यंजनों के स्टॉल भी लगाए गए थे। बच्चों के लिए खेल-खिलौनों और आकर्षक सजावट ने आयोजन को मेला-जैसा स्वरूप प्रदान कर दिया। सभी परिवारजन, अधिकारी और कर्मचारी उल्लास, भक्ति और सांस्कृतिक रंगों से सराबोर होकर इस आयोजन का आनंद लेते दिखे।

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हाईकोर्ट ग्वालियर ने सुनाया अहम फैसला-’सहायक अध्यापकों की सीनियरटी 1998 से मान्य होगी, 18 खाली पदों पर पदोन्नति पर विचार का आदेश

ग्वालियर. मध्यप्रदेश हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ ने सहायक अध्यापकों को बड़ी राहत देते हुए शिक्षा विभाग को उनकी पदोन्नति पर विचार करने के निर्देश दिये है। राजेन्द्र प्रसाद शर्मा एवं अन्य की तरफ से दायर की गयी याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने साफ किया कि याचिकाकर्त्ताओं की वरिष्ठता उनकी वास्तविक नियुक्ति 5-7 सितम्बर 1998 से मानी जायेगी। अदालत ने अपने आदेश में कहा है कि विभाग को 18 रिक्त अध्यापक पदों पर 3 महीने के अन्दर उनकी पदोन्नति पर निर्णय लेना होगा और साथ ही सभी परिणामी लाभ दिये जायेंगे। हालांकि बकाया वेतन नहीं मिलेगा।
3 वर्षो की सीनियरिटी खत्म कर दी विभाग ने
याचिकाकर्त्ताओं ने 25 अगस्त 2014 में जारी विभागीय आदेश को चुनौती दी थी। जिसमें उनकी पदोन्नति की मांग खारिज कर दी गयी थी। उनका कहना था कि 1998 में शिक्षा कर्मी ग्रेड-3 के रूप में नियुक्त हुए और 2007 से सहायक अध्यापक कैडर में शामिल हुए। लेकिन विभाग ने उनकी वरिष्ठता 2001 से गिनकर पदोन्नति से वंचित कर दिया।
न्यायालय में निरस्त 2014 का आदेश
विभाग ने तर्क दिया था कि वरिष्ठता 2001 से मानी जायेगी। जब उनका समायोजन हुआ था। लेकिन हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि 2008 के नियमों के लागू होने के बाद शिक्षा कर्मियों की सेवाओं को ही वरिष्ठता का आधार माना जायेगा। इसके साथ ही न्यायालय ने 25 अगस्त 2014 का विभागीय आदेश रद्द कर दिया। इस फैसले से सहायक अध्यापकों को न के वल सीनियरटी का फायदा मिलेगा। बल्कि पदोन्नति की राह भी खुल गयी है।
क्या है मामला
ग्वालियर हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सहायक अध्यापकों को बड़ी राहत दी है। अदालत ने शिक्षा विभाग को निर्देश दिए हैं कि याचिकाकर्ताओं की वरिष्ठता उनकी प्रारंभिक नियुक्ति तिथि वर्ष 1998 से मानी जाए। इसके साथ ही, विभाग को 18 रिक्त अध्यापक पदों पर उनके प्रमोशन पर तीन माह के भीतर विचार कर निर्णय लेने का आदेश दिया गया है।
यह आदेश याचिकाकर्ता राजेन्द्र प्रसाद शर्मा व अन्य द्वारा दायर एक याचिका पर आया है। याचिकाकर्ताओं ने 2014 में एक विभागीय आदेश (25 अगस्त 2014) को चुनौती दी थी, जिसमें उनकी पदोन्नति की मांग खारिज कर दी गई थी। उनका तर्क था कि वे 1998 में शिक्षा कर्मी ग्रेड-3 के रूप में नियुक्त हुए थे और 2007 से सहायक अध्यापक कैडर में शामिल हुए। इसके बावजूद, विभाग ने उनकी वरिष्ठता 2001 से गिनी, जिससे उन्हें पदोन्नति का अवसर नहीं मिला।विभाग ने तर्क दिया था कि वरिष्ठता उनके समायोजन वर्ष 2001 से गिनी जानी चाहिए। हालांकि, अदालत ने स्पष्ट किया कि 2008 के नियम लागू होने के बाद शिक्षा कर्मियों की सेवाओं को ही वरिष्ठता का आधार माना जाएगा। इस फैसले के साथ, 2005 का परिपत्र अप्रासंगिक हो गया है,वर्ष 1998 में शिक्षा कर्मी ग्रेड-3 के रूप में नियुक्त हुए थे।

यह आदेश दिए
(1)- याचिकाकर्ताओं की वरिष्ठता वास्तविक नियुक्ति तिथियों (5 व 7 सितम्बर 1998) से मानी जाए।
(2)- 18 रिक्त पदों पर उनके प्रमोशन पर तीन माह के भीतर विचार किया जाए।
(3)- सभी परिणामी लाभ दिए जाएं, लेकिन बकाया वेतन नहीं मिलेगा।
(4)- 25 अगस्त 2014 का विभागीय आदेश रद्द किया जाता है।