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दोषमुक्त युवक को आरक्षक के पद से वंचित करना गलत-हाईकोर्ट

ग्वालियर. हाईकोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक अहम फैसला सुनाते हुए पुलिस विभाग के उस आदेश को निरस्त कर दिया है। जिसमें एक युवक को आपराधिक मामले की वजह से आरक्षक पद पर नियुक्ति से वंचित कर दिया गया था। मामला 2016 का है। जब एसएएफ में भर्ती के लिये विज्ञापन निकाला गया था। खलक सिंह कुशवाह ने इस भर्ती परीक्षा में भाग लिया। उनका 25वीं बटालियन भोपाल में चयन हुआ था। लेकिन उन पर दर्ज दहेज प्रताड़ना और धारा 304 के मामले की वजह नियुक्ति नहीं दी गयी।
याचिकाकर्त्ता के अधिवक्ता राघवेंद्र दीक्षित ने न्यायालय में बताया कि उनके मुवक्किल को 2013 में ही दोषमुक्त कर दिया गया था। इसके बाद से ही उन्होंने कोई अपराध नहीं किया। मूल अपराध मे ंाी उनके कोई सीधी भूमिका नहीं थी। शासन की तरफ से तर्क दिया गया कि पुलिस एक अनुशासित बल है। जिसमें आपराधिक प्रवृति वाले व्यक्ति को नियुक्ति नहीं दी जा सकती है। हालांकि न्यायालय ने पाया कि विभाग ने अपराध की प्रवृति, समय और दोषमुक्ति के आदेश पर विचार नहीं किया, केवल अपराध दर्ज होने के आधार पर निर्णय ले लिया। न्यायालय ने 22 मार्च 2023 के आदेश को निरस्त करते हुए विभाग को नियुक्ति पर पुर्नविचार का निर्देश दिया है।

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