तत्काल ई-टिकटों की दलाली करने वाले गिरोह का पर्दाफाश, बॉट्स की मदद करते थे बुकिंग
नई दिल्ली. पकड़े गये, खुलासा हुआ और फिर गायब हो गये। तत्काल टिकटों की दलाली करने वाले ऑनलाईन एजेंटों का नेटवर्क जो बॉट्स की मदद से असली यात्रियों से पहले टिकट बुक कर लेते थे। मीडिया ने इसकी तहकीकात के बाद अब सतर्क हो गया है। हमारी जांच में सामने आया कि यह एजेंट अवैध प्लेटफार्म के माध्यम से 60 सेकेण्ड से भी कम समय में तत्काल टिकट बुक कर रहे थे। यह प्लेटफार्म बॉट्स और चोरी किये आधार वेरीफाइड आईआरसीटीसी अकाउंट्स पर निर्भर थे। जिसमें यूजर्स का डेटा खतरे में था इन एजेंटों के साथ टेक एक्सपर्ट्स भी थे जो बॉट बनाते थे और साथ ही फर्जी सर्विस प्रोवाइडर्स भी इस रैकेट का पार्ट थे। यह सभी मिलकर आईआरसीटीसी की बुकिंग प्रणाली में मौजू खामियों का लाभ उठा रहे थे। टेलीग्राम और व्हाट्सएप जैसे मैसे जिंग ऐप्स के माध्यम से अपना नेटवर्क चला रहे थे।
व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर 40 से अधिक ऐसे सक्रिय ग्रुप्स की पहचान की जो इस गोरखधंधे में शामिल थे। रिपोर्ट आने के बाद कुछ ग्रुप बंद कर दिये गये तो कुछ अधिक गोपनीय और क्लोज्ड चैनलों में शिफ्ट हो गये थे। कई एजेंटो ने अपने ग्रुप्स की चैट हिस्ट्री मिटा दी ताकि कोई सबूत न बचे।
पूर्व आईएएस आफीसर और साइबर क्राइम एक्सपर्ट त्रिवेणी सिंह कहते हैं कि इसे रोकने के लिये सिर्फ एक ही तरीका है कि सरकार को एक ऐसा एआई सक्षम प्लेटफॉर्म बनान होगा जो जियो -फेसिंग यानी क्षेत्रीय आधार पर बुकिंग की अनुमति और एआई प्रोफाइलिंग जैसे टूल्स से काम करें। उदाहरण के लिये मान लीजिये कोई व्यक्त् िअगर यूपी का आधार कार्ड उपयोग कर रहा है तो वह सिर्फ यूपी के अन्दर ही टिकट बुक कर सके। हर आईडी कितनी बार उपयोग हो रही है उसका एआई से ट्रैकिंग होनी चाहिये। तभी इस रैकेट पर कारगर तरीके से लगाम लगाई जा सकती है।

