540 साल पुरानी “तोमरों की बनवाई” दोस्ती की निशानी लधेड़ी दरवाज़ा… जहांगीर कटरा
ग्वालियर संभवतः ग्वालियर के 99% लोगों ने यह दरवाज़ा पास से या फिर इसे छूकर नही देखा होगा? यह दरवाज़ा बहुत दुर्गम क्षेत्र में है, इसलिए रात की जगह यहां दिन में ही जाएं… हां रात में यहां से ग्वालियर का नजारा अद्भुत दिखता है।
ग्वालियर फोर्ट के पीछे एक पहाड़ी पर स्थित इस रहस्यमय दरवाजे से कई कहानियां जुड़ी हुई हैं, हम अपनी पड़ताल के बाद सारी कहानियां और सटीक जानकारी आपसे साझा कर रहे हैं दोस्ती की निशानी। ग्वालियर के इतिहास पर निरंतर शोध करने वाले मेरे मित्र आशीष दिवेदी बताते हैं कि यह दरवाज़ा दोस्ती की निशानी है। मान सिंह तोमर से पहले तोमर वंश के राजा कल्याण मल तोमर 1480..1488 ने यवनपुर (जौनपुर.)। के अमीर “लाद खां” को ग्वालियर में शरण देकर यहां बसाया था जो उन दोनों की मित्रता की निशानी है।
ये समझ। लीजिए ये “दरवाज़ा दोस्ती का ग्रीटिंग कार्ड” है …अभिलेख में मित्रता का दरवाजा
कल्याणमल तोमर द्वारा दरवाजा बनवाने का उल्लेख रोहिताश गढ़ के एक अभिलेख में मिलता है नथमल सेठ की हवेली.। जानकर कहते हैं कि उन दिनों नगर सेठ हुआ करता था नथमल वह इस पहाड़ी पर महल नुमा हवेली बनवा रहा था यह बात जब राजा को पता चली तो उस नगर सेठ से नाराज हुआ और एक वैश्या से मनमुटाव के चलते उसने नगर सेठ को जेल में डलवा दिया.. इस कहानी के हमें कोई पुख्ता सबूत नहीं मिले, इस मामले में हमारी पड़ताल जारी है।
फाँसी घर
कई लोग इसे फांसी घर कहते हैं जहां राजनेतिक कैदियों और दुश्मनों को फांसी की सजा दी जाती थी।फांसी घर के हमे कोई पुख्ता प्रमाण नहीं मिले.. H) की कहानी। यह दरवाज़ा H के आकार का है इसलिए स्थानीय लोग इसे H के नाम से पुकारते हैं। कहते हैं चलो शाम को ( H ) पर मिलते हैं… कहते हैं प्रेमी जोड़े यहां रील बनाने बहुत आते हैं।

