अग्निवीर भर्ती-तीन केंद्रों पर होगी सेना भर्ती की लिखित परीक्षा, शारीरिक परीक्षण के लिये तय नहीं मैदान
ग्वालियर. अग्निवीर भर्ती को लेकर जिला प्रशासन का रवैया निराशाजनक है। शारीरिक परीक्षा के लिये खेल विभाग के मैदान के लिये सेना के पत्र मिलने के 25 दिन बाद भी सेना को हां या न का कोई रिस्पांस नहीं दिया है। सेना की अग्निवीर भर्ती के लिये 30 जून से 10 जुलाई तक लिखित परीक्षा होगी। ऑनलाइन लिखित परीक्षा के लिये सेना ग्वालियर में 3 केंद्र तय कर दिये हैं।
ऑनलाइन लिखित परीक्षा में पास अभ्यार्थियों का शारीरिक परीक्षण अगस्त के प्रथम सप्ताह में होगा। लेकिन इसके लिये अभी स्थान तय नहीं हे। इसकी वजह 25 दिन में ग्वालियर प्रशासन सेना को कोई जवाब नहीं दिया है। जबकि शिवपुरी प्रशासन ने फिजीकल कॉलेज मैदान में भर्ती कराने की तैयारी कराने का भरोसा दिया है।
लिखित ऑनलाइन परीक्षा भारतीय विद्या मंदिर शिक्षा समिति चितौरा रोड, मालवा इंस्टीट्यूट सिकरौदा एवं भारतीय विद्या मंदिर यमुना नगर दर्पण कॉलोनी में होगी। लिखित परीक्षा में चयन होने वाले अभ्यार्थियों का शारीरिक परीक्षण अगस्त में कहां होगा यह तय नहीं है। इसमें मुरैना, भिण्ड व ग्वालियर के सर्वाधिक अभ्यर्थी होने की वजह से सेना भर्ती कार्यालय की प्राथमिकता ग्वालियर में शारीरिक परीक्षण कराने की है।
भीड़ की वजह से डर रहा है ग्वालियर, जबकि भीड़ नहीं
शारीरिक परीक्षण के लिये सेना भर्ती कार्यालय के निदेशक ने मई के पहले सप्ताह में ग्वालियर प्रशासन के साथ बैठक का प्लान बना, लेकिन भारत-पाकिस्तान के बीच तनाव होने की वजह से बैठक निरस्त हो गयी। इसके बाद सेना निदेशक ने कलेक्टर रूचिका चौहान को 20 मई को परीक्षण के लिये खेल विभाग का मुरैना रोड स्थित मैदान दिये जाने के लिये पत्र लिखा था। इस पत्र के बाद से सेना भर्ती कार्यालय को 14 जून तक प्रशासन की तरफ से किसी भी तरह का रिस्पांस नहीं दिया गया है। ग्वालियर प्रशासन द्वारा सेना को रिस्पांस न दिये जाने के पीछे ग्वालियर प्रशासन को युवाओं की भीड़ का डर समझा जा रहा है।
11 वर्ष पहले उपद्रव के डर से ग्वालियर प्रशासन के अधिकारी अभी तक नहीं उभरे है। हालांकि अब सेना की भर्ती प्रक्रिया में काफी बदलाव आ गया है। उस वक्त पहले शारीरिक परीक्षा होती थी। इस वजह से इसमें युवाओं की संख्या अधिक रहती थी। लेकिन अब पहले लिखित परीक्षा होती है। लिखित परीक्षा में कामयाब होने वाले करीब 15-20 प्रतिशत युवा ही शारीरिक परीक्षण में पहुंचते हैं।

