RSS को योगी आदित्यनाथ में दिखाई देने लगा भविष्य
नई दिल्ली. लोकसभा चुनावों में उत्तरप्रदेश में भाजपा की भद पिटने के बाद प्रदेश भाजपा में जबरदस्त असंतोष का माहौल उभर कर आ रहा था। कई बार ऐसा लगा कि दोनों डिप्टी सीएम केशवप्रसाद मौर्य और ब्रजेश पाठक ने सीएम योगी के खिलाफ खुलकर मोर्चा खोल रखा है। कई बार ऐसी परिस्थितियों बनती दिखाई दी कि योगी कहीं भाजपा की अंदरूनी राजनीति के शिकार न हो जाये, पर किसी बाजारी गी भांति सीएम योगी एक बार फिर से इस तरह मजबूत होकर उभर रहे है। जैसा कि बहुत से लोगों ने सोचा भी नहीं होगा। हाल ही में मथुरा में हुई आरएसएस की 2 दिवसीय अखिल भारतीय कार्यकारी मण्डल की बैठक में जिस तरह एक अतिथि ने सबसे अधिक ध्यान आकर्षित किया वह है यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ही थे। यहां उन्होंने न केवल संघ के शीर्ष नेताओं के साथ बन्द कमरे में गुफ्तगू की, बल्कि उन्होने कुछ ऐसे प्रस्ताव भी रखे जो भविष्य में पूरे भारत और हिन्दू समाज पर प्रभाव डालने वाले साबित हो सकते है और इतना ही नहीं इंडियन एक्सप्रेस की एक खबर को माने तो आरएसएस ने उन्हें भविष्य भी कहा है।
कुछ पिछड़े और हिन्दू समुदायों को भी कुम्भ में शामिल करने की योजना
जब भी किसी राज्य में आरएसएस की बैठक हो रही होती है तो सामन्यतः भाजपा के सीएम शामिल होते ही रहे हैं। यह असामान्य नहीं है, लेकिन मथुरा में जिस तरह योगी आदित्यनाथ की लम्बी बातचीत संघे नेताओं के साथ हुई वैसा पहले कभी नहीं हुआ था। इसके साथ ही योगी आदित्यनाथ द्वारा उठाये गये मुद्दे भी खास हो गये। इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार आरएसएस ने बताया कि आदित्यनाथ ने उनसे कर्नाटक के प्रमुख ओबीसी समुदाय जैसे लिंगायत और कुूछ आदिवासी समुदाय जो अीाी तक कुम्भ में शामिल नहीं होते हरे हैं। उनकी भागीदारी सुनिश्चित करने में मदद करने का अनुरोध किया। यूपी मुख्यमंत्री ने कहा है कि इन समुदायों तक पहुंचना महत्वपूर्ण है। क्योंकि वह या तो ऐसे त्यौहारों से दूर रहे हैं। या उन्हें कभी आमंत्रित नहीं किया गया है। गौरतलब है कि अगामी वर्ष में प्रयागराज में बड़े पैमाने पर कुम्भ मेला आयोजित होने जा रहा है। जिसमें हिन्दुओं का बड़ा वर्ग शामिल होता है।
2-योगी और आरएसएस के बीच की केमिस्ट्री
योगी आदित्यनाथ बीजेपी के सबसे लोकप्रिय नेताओं में से एक हैं। इसमें अब कोई दो राय नहीं हो सकती। जिस तरह उन्हें देशभर से प्रचार के लिए बुलाया जाता है यह उनकी लोकप्रियता का ही सबूत है। इसके साथ ही उनके दिए गए भाषण और उनकी कार्यशैली को देश भर में फॉलो किया जाता है। अब उनकी कार्यशैली पर संघ ने भी मुहर लगा दी है। पर जिस तरह से वो लिंगायत समुदाय और आदिवासी समुदायों को कुंभ में शामिल कराने को लेकर एक्टिव हैं और उनके इस मुद्दे को संघ का सपोर्ट मिल रहा है यह आश्चर्यजनक है। यह संभवतः अपने राज्य से बाहर समुदायों तक पहुंचने का उनका पहला प्रयास है – जो पैन इंडिया लीडर बनने के लिए बेहतर कदम है।

