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दीपावली पर ओरछा के लक्ष्मीनारायण मंदिर की चौखट पर माथा टेक कर बिना दर्शन के ही वापिस लौट जाते हैं श्रद्धालु

ओरछा. कभी बुन्देलखंड की राजधानी रही ओरछा रियासत आज मध्यप्रदेश के सबसे छोटे जिले के निवाड़ी की तहसील है। यहां भगवान राम को राजा के रूप में पूजा जाता है। जामुनी और बेतवा नदी के किनारे बसा यह ऐतिहासिकस्थल अपने अन्दर कई सांस्कृतिक धरोहरों को सहेजे हुए हैं। जिसे देखने के लिये देश ही नहीं विदेशी सैलानी भी आते हैं। ओरछा स्थित जहांगीर महल, राजा महल स्टैण्ड, परवीन महल, चतुर्भुज मंदिर, लक्ष्मीनरायण मंदिर काफी अहम है।
इसमें 17वीं सदी की शुरूआत में बना लक्ष्मीनारायण मंदिर अपने आप में खा सहै। यह मंदिर 1600ईसवी में वीरसिंह देव ने बनवाया था। यह मंदिर ओरछा गांव के पश्चिम में एक पहाड़ी बना हुआ है। यह मंदिर पिछलजे 36 वर्षो में मूर्ति विहीन है। इस मंदिर में 17वीं और 19वीं शताब्दी के चित्र बने हुए है। चित्रों के चटकीले रंग इतने जीवंत लगते हैं। जैसे वह हाल ही में बनाये गये हों। मंदिर में झांसी की लड़ाई के दृश्य और भगवान कृष्ण की आकृतियां बनी है।
इसके अलावा 17वीं सदी में बनाये गये इस मंदिर की मान्यता है कि दीपावली के दिन इस सिद्ध मंदिर में दीपक जलाकर मां लक्ष्मी की पूजा करने से वह प्रसन्न होती है। 1983 में मंदिर में स्थापित मूर्तियों को चोरों ने चुरा लिया था। तब से आज तक मंदिर के गर्भगृह का सिंहासन सूना पड़ा है। ओरछा निवासी 90 वर्षीय साहियकार गणेशप्रसाद दुबे ने कहा है कि मंदिर के महत्व को जानकर बुंदेलखण्ड से आने वाले श्रद्धालु मंदिर की चौखट पर माथा टेकर बिना लां लक्ष्मी के दर्शन किये निराश लौट जाते हैं।

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