ग्वालियर में रजिस्ट्री में न सर्वे नंबर का खुलासा, न पहचान बताई, धड़ल्ले से हो रहे पंजीयन
ग्वालियर. शहर की बेस कीमती सरकारी जमीन को माफिया 50 व 100 रुपए के स्टांप पर नोटरी कर बेच रहा था लेकिन अब रजिस्ट्री करने लगे है। सिरोल की एक सरकारी जमीन के बेचने का मामला सामने आया है। रजिस्ट्री में जमीन का न सर्वे नंबर खोला है और न संपत्ति की पहचान। न संपत्ति का विवरण दिया है। चर्तुर सीमाएं खोली गई है उससे भी संपत्ति की पहचान भी नहीं हो रही है। उप पंजीयकों ने आंख बंद करके रजिस्ट्री कर दी। इस पूरे मामले की शिकायत हिमांशू पवैया ने कलेक्टर से की। करोडों की सरकारी जमीन को खुद बुर्द करने का आरोप लगाया है। रजिस्ट्री को देखकर पंजीयन विभाग के परिष्ठ अधिकारी भी हैरान है। जिन उप पंजीयकों ने रजिस्ट्री की है वह सेवा निवृत्त हो चुके है।
दरअसल संपत्ति की रजिस्ट्री के वक्त उसकी पहचान खोलना जरूरी है। यदि पहान नहीं बताई है तो वह रजिस्ट्री नहीं हो सकती है क्योंकि खोलने के पीछे का कारण है कि संपत्ति कहां पर है। उसकी वैधता ीाी तय होती है। इस तरह की रजिस्ट्री जारी रही तो किसी भी सरकारी इमारत की भी रजिस्ट्री हो सकती है।
पहचान जरूरी है
रजिस्ट्री के वक्त संपत्ति की पहचान जरूरी है। कौनसी कॉलोनी में है सर्वे नंबर कहा हैं। इस तरह की रजिस्ट्री शून्य है। क्रेता व विक्रेता के साथ-साथ रजिस्ट्री करने वाले भी जिम्मेदार हैं।
अशोक शर्मा, जिला पंजीयक
सिरोल की सरकारी जमीन बेची गई है। रजिस्ट्री के वक्त पूरी जानकारी छिपा ली, जिससे पता नहीं चल सके। रजिस्ट्री में सर्वे नंबर होना जरूरी है। सिरोल की करोड़ों की सरकारी जमीन बेची है, उसमें एफआइआर के लिए कोर्ट में परिवाद दायर करने जा रहा हूं।

