ग्वालियर-मध्य प्रदेश संविदा एवं ठेका श्रमिक कर्मचारी संघ इंटक के प्रदेश अध्यक्ष एलके दुबे ने बताया कि मध्य प्रदेश शासन द्वारा ठेका श्रमिकों को न्यूनतम वेतन अधिनियम 1948 की धारा 3 के तहत प्रति पांच वर्ष में दिए जाने वाले न्यूनतम वेतन के स्थान पर 10 वर्ष पश्चात माह मार्च 2024 में न्यूनतम वेतन देने हेतु श्रमायुक्त कार्यालय इंदौर द्वारा आदेश जारी किया गया था जिसके परिणाम स्वरूप विद्युत कंपनियों एवं मध्य प्रदेश शासन के अन्य संस्थानों ने माह अप्रैल 2024 में ठेका श्रमिकों के वेतन में वेतन वृद्धि कर दी थी किंतु उधोगपतियों द्वारा उच्च न्यायालय खंडपीठ इंदौर में बढ़े हुए वेतन पर रोक लगाने हेतु याचिका दायर करने पर बढ़ी हुई वेतन वृद्धि रोकते हुए श्रमिकों के वेतन से माह अप्रैल 2024 में लगी हुई वेतन वृद्धि की वापस वसूली की गई l
इस प्रकार कोर्ट के अंतिम निर्णय आने के पूर्व ही वेतन वृद्धि को रोका जाना सरकार की परस्पर विरोधी नीति को दर्शाता है । उक्त न्यूनतम वेतन वृद्धि की घोषणा मुख्यमंत्री द्वारा ग्वालियर प्रवास के दौरान ही की गई थी । सरकार को इस ओर सरकार को सकारात्मक रवैया अपनाना चाहिए था। इसके विरोध में श्रमायुक्त , इंदौर को संबोधित ज्ञापन सहायक श्रमायुक्त हजीरा के माध्यम से 30 जुलाई मंगलवार की शाम 3.30 बजे ज्ञापन सौंपकर बढ़े वेतन के आदेश वापिस लेने की मांग की है।