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परियोजना बनी मजाक, 15 किमी बनना है स्मार्ट रोड, अभी 15 प्रतिशत काम भी नहीं हो सका

ग्वालियर. स्मार्ट सिटी कारपोरेशन की 300 करोड़ लागत वाली स्मार्ट रोड परियोजना शहर के लिए सफेद हाथी साबित हो रही है। इस परियोजना में लश्कर क्षेत्र के प्रमुख बाजारों से होते हुए 15.625 किलोमीटर सड़क तैयार की जानी है, जबकि अभी 15 प्रतिशत काम भी नहीं हो सका है। इसमें शुरुआती डीपीआर (डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट) में बिजली के तारों को अंडरग्राउंड डक्ट में बिछाने का प्रविधान किया गया था। विभागों के बीच आपसी समन्वय के अभाव में अब सभी बाजारों में डक्ट बनाने में दिक्कत आ रही है। स्मार्ट सिटी के बोर्ड में कलेक्टर से लेकर नगर निगम आयुक्त तक शामिल हैं, लेकिन वे इन परियोजना को लेकर कतई गंभीर नहीं हैं। स्मार्ट रोड के लिए जिन जगहों का चयन डक्ट बनाने के लिए किया गया है, वहां अब अमृत योजना के तहत डाली गईं पानी की लाइनें निकल रही हैं। इसके चलते डक्ट पर निर्णय नहीं हो पा रहा है। इस स्मार्ट रोड को तैयार करने की समयसीमा जून 2022 थी, लेकिन तमाम व्यवधानों के चलते इस स्मार्ट रोड का काम पिछड़ता जा रहा है। अब जून 2023 में स्मार्ट सिटी कारपोरेशन का कार्यकाल खत्म होने जा रहा है। शेष समय में इस रोड का काम पूरा होता नजर नहीं आ रहा। स्थिति यह है कि इस सड़क की सिर्फ फिजिकल ही नहीं, बल्कि फाइनेंशियल प्रोग्रेस भी अभी 15 प्रतिशत तक नहीं पहुंची है। निर्माण में धीमी गति के कारण परियोजना में अभी 30 करोड़ रुपये ही खर्च हो सके हैं।

महल गेट से लेकर मांढरे की माता तक काम हो पाया
वर्तमान में सिर्फ सवा दो किमी लंबाई में ही सड़क का काम हो पाया है, जिसमें महल गेट से लेकर मांढरे की माता तक 1100 मीटर, राजपायगा रोड पर 470 मीटर और पुराने आमखो बस स्टैंड से लेकर कंपू थाने तक 700 मीटर की रोड शामिल है। इस सड़क पर वर्तमान में आठ किमी लंबाई में डक्ट तैयार करनी है और साढ़े सात किमी लंबाई में बिना डक्ट के सड़क तैयार की जानी है। जिन स्थानों का चयन डक्ट के लिए किया गया, वहां भी दिक्कतें सामने आ रही हैं। इसमें ताजा उदाहरण छत्री मंडी रोड का है, जहां डक्ट तैयार करने की योजना थी। जब खोदाई की गई तो पता चला कि सड़क के दोनों ओर पानी की लाइनें बिछी हुई हैं। ऐसे में अब यहां भी डक्ट बनाने का प्लान छोड़ दिया गया है। कुल मिलाकर यह सड़क जून माह तक तैयार होना असंभव नजर आ रहा है।

कलेक्टर व नगर निगम आयुक्त न तो कोई ध्यान दे रहे
मुखिया ही नहीं दे रहे परियोजना पर ध्यान द्यस्मार्ट रोड को पूरा कराने में कलेक्टर व नगर निगम आयुक्त न तो कोई ध्यान दे रहे हैं और न ही समस्याओं के निराकरण के लिए दखल दे रहे हैं। कुल मिलाकर यह परियोजना शहर के लिए मजाक साबित हो रही हैं। एक जगह पर सड़क निर्माण की खोदाई होने पर जनता परेशान होती रहती है और अधिकारियों में समन्वय की कमी के चलते निर्माण कार्य में अड़ंगे लगते रहते हैं।

 

 

 

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