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न्यूरो सर्जरी से स्पाइनल कॉर्ड का इलाज संभव -डॉ. विक्रम सिंह भदौरिया

ग्वालियर. डॉ. विक्रमसिंह भदोरिया गजराराजा मेडीकल कॉलेज से पासआउट होने के बाद दिल्ली के मैक्स और अपोलो में सेवाये ंदेने के बाद अपने अनुभव का लाभ अब ग्वालियर के अपोलो हॉस्पिटल को मिल रहा है। डॉ. विक्रम भदोरिया ने बताया है कि ग्वालियर मरीज दिल्ली के न्यूरोसर्जन को ढूंढने में अस्पतालों के चक्कर लगा कर थक जाता है तब उसे कहीं जाकर वह सही डॉक्टर तक पहुंचता है। इसलिये मैंने ग्वालियर आकर अपोलो ज्वाइन किया है। अपोलो में अपडेट आईसीयू, एमआरआई, सीटी एक छत के नीचे उपलब्ध है और दिल्ली से कम पैसे इलाज लेकर मरीज को डिस्चार्ज कर रहे हैं। अगर मरीज को सही समय पर इलाज नहीं मिलने से पैरालाइज हो जाता है। मैं तो परकिंशन का भी उपचार कर रहा है और यह इलाज यहां पर आधी कीमत पर संभव है। मैं आपको यह बताना चाहता हूं भले ही मुझे पैसे कम मिले लेकिन मैं अपनी क्वालिटी से कम्प्रोमाइज नहीं करता हूं।
वर्ल्ड कटिंग टेक्नोलॉजी उपलब्ध
यह सुविधा मुंबई, दिल्ली के बाद ग्वालियर के अपोलो में उपलब्ध है। ट्यूमर की सर्जरी 8 से 10 घंटे और स्पाइन की सर्जरी 6 घंटे तक चलती है।
स्पाइनलकॉड इंजुरी
सिर से लेकर लेट्रिन रास्ते के सिग्नल स्पाइन के माध्यम से पहुंचते हैं और हाथ पैर स्पाइनल के थ्रो ही काम करते हैं। ब्रेन से सिग्नल ट्रांसफर होते हुए नसों तक पहुंचते है तभी हमारे हाथ पैर काम करते हैं और वजन को स्मूथली ट्रांसफर करती है।
केस-1
29 वर्षीय एक मरीज रोड साइड एक्सीडेंट की वजह से गंभीर हालत में घायल हो गया था जिसकी वजह से उसे सवाईइकल कॉर्ड इंजुरी हुई सर्वाइकल कॉर्ड की इंजुरी की वजह से स्पाइनल कॉर्ड से होकर गुजरने वाली नसों में डैमेज हुआ था जिससे मरीज की गर्दन के नीचे का पूरा हिस्सा और दोनो हाथ पैरालाइज हो गये थे मरीज को साथ में गर्दन में सी-4 व 5 में फैक्चर भी था जिसकी वजह मरीज की हालत काफी गंभीर थी इसका ऑपरेशन किया गया जिसके बाद मरीज पूरी तरह से स्वस्थ्य है।
केस-2
47 वर्षीय मरीज जिसे सर्वाइकल डोर्सल ट्यूमर जो कि गर्दन और छाती के हिस्से में के बीच में होता है जिसकी वजह से सी-7 एवं डी 1,2,3 वर्टेब्रा में स्टेनोसिस मतलब वर्टेब्रा के बीच में जो स्पेस होना चाहिये वह कम होने की वजह से स्पाइनल कॉर्ड को गुजरने के लिये पर्याप्त स्पेस नहीं मिल पाने के कारण मरीज को दोनों पैरो में सुन्नपन और कमजोरी की शिकायत थी। जिसकी ऑपरेशन करने के बाद मरीज स्वस्थ्य है।
केस-3
54 वर्षीय मरीज रोड साइड एक्सीडेंट का शिकार हुआ यह काफी गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया मरीज की प्रारंभिक जांच के उपरांत पता चला कि मरीज को डी4,5,6,7,8,9,10, एवं राइट साइड की 4, 5, 6, 7, 8, 9, 10, 11 पसलियों और लेफ्ट साइड कमी 5, 6, 7पसलियों में फ्रैक्चर था और साथ में मरीज को पैराप्लेजिया जो कि मरीज को एक्सीडेंट की वजह से स्पाइनल कॉर्ड मैं इंजुरी की वजह से हुआ था इसमें हड्डी रोग विशेषज्ञ के साथ में न्यूरो सर्जन की एक अहम भूमिका थी क्योंकि गंभीर चोट लगने की वजह से वर्टेब्रा में फ्रैक्चर होने की वजह से कहीं न कहीं वर्टेब्रा का प्रेशर स्पाइनल कॉर्ड पर पड़ा और स्पाइनल कॉर्ड के उस हिस्से में इंजुरी हुई जिसकी वजह से मरीज को पैरालाइसिस की शिकायत हुई इस तरह के केस में फ्रैक्चर को ठीक करने के साथ -साथ स्पाइनल कॉर्ड की इंजुरी को भी रिपेयर करना होता तभी मरीज को पूरी तरह से आराम मिलता हे।

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