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Nancy Pelosi in Taiwan-नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंची

यूएस स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंचीं (फाइल फोटो)

ताइवान. चीन की धमकियों के बीच अमेरिकी सदन की स्पीकर नैंसी पेलोसी ताइवान पहुंच गयी है। उनका प्लेन ताइपे के एयरपोर्ट पर उतरते ही चीन और बौखला गया। चीन के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा गया है कि अमेरिका खतरनाक जुआ ख्ेाल रहा है। और अब जो गंभीर परिणाम होंगे और उसकी जिम्मेदारी अमेरिका को लेनी होगी। चीन लगातार नैंसी पेलोसी के ताइवान दौरे का विरोध कर रहा था। चीन का कहना है कि अमेरिका अब तक ‘वन चाइना’ के सिद्धांत को फॉलो करता रहा है। ऐसे में अब ताइवान के अलगाववाद का समर्थन करना अमेरिका का वादा तोड़ने जैसा है।

चीन और ताइवान की जंग किस बात पर है?

ताइवान और चीन के बीच जंग काफी पुरानी है. 1949 में कम्यूनिस्ट पार्टी ने सिविल वार जीती थी।  तब से दोनों हिस्से अपने आप को एक देश तो मानते हैं लेकिन इस पर विवाद है कि राष्ट्रीय नेतृत्व कौन सी सरकार करेगी।  चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है, जबकि ताइवान खुद को आजाद देश मानता है।  दोनों के बीच अनबन की शुरुआत दूसरे विश्व युद्ध के बाद से हुई।  उस समय चीन के मेनलैंड में चीनी कम्युनिस्ट पार्टी और कुओमितांग के बीच जंग चल रही थी।

1940 में माओ त्से तुंग के नेतृत्व में कम्युनिस्टों ने कुओमितांग पार्टी को हरा दिया। हार के बाद कुओमितांग के लोग ताइवान आ गए।  उसी साल चीन का नाम ‘पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना’ और ताइवान का ‘रिपब्लिक ऑफ चाइना’ पड़ा।  चीन ताइवान को अपना प्रांत मानता है और उसका मानना है कि एक दिन ताइवान उसका हिस्सा बन जाएगा।  वहीं, ताइवान खुद को आजाद देश बताता है।  उसका अपना संविधान है और वहां चुनी हुई सरकार है।  ताइवान चीन के दक्षिण पूर्व तट से करीब 100 मील दूर एक आइसलैंड है। चीन और ताइवान, दोनों ही एक-दूसरे को मान्यता नहीं देते।  अभी दुनिया के केवल 13 देश ही ताइवान को एक अलग संप्रभु और आजाद देश मानते हैं।

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