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Tansen samaroh-2021 -स्थानीय कलाकारों के नाम तय, ध्रुपद के लिये महाविद्यालयों के क्रम का भी हुआ तय

ग्वालियर इस साल के तानसेन समारोह (Tansen samaroh) में प्रस्तुति देने वाले स्थानीय कलाकारों का चयन कर लिया गया है। स्थानीय चयन समिति के दिशा-निर्देशों के तहत स्थानीय कलाकार चयनित किए गए हैं। साथ ही तानसेन समारोह (Tansen samaroh) की विभिन्न संगीत सभाओं में ध्रुपद गायन की प्रस्तुति देने वाले महाविद्यालयों का क्रम भी निर्धारित कर दिया गया है।
तानसेन कलावीथिका के प्रभारी वेदप्रकाश शर्मा से प्राप्त जानकारी के मुताबिक तानसेन समाधि परिसर में आयोजित होने वाले मुख्य मंच पर स्थानीय कलाकार के रूप में भरत नायक को सितार वादन की प्रस्तुति के लिये चयनित किया गया है। इसी प्रकार संगीत सम्राट तानसेन की जन्मस्थली बेहट की सभा में स्थानीय कलाकार के रूप में डॉ. पारूल दीक्षित उपाध्याय का गायन और संजय राठौर का एकल तबला वादन होगा।
भारतीय शास्त्रीय संगीत के क्षेत्र में देश का सर्वाधिक प्रतिष्ठित महोत्सव “तानसेन समारोह” (Tansen samaroh) संगीत की नगरी ग्वालियर में इस साल 26 से 30 दिसम्बर तक आयोजित होगा। तानसेन समारोह की पूर्व संध्या यानि 25 दिसम्बर को सायंकाल उप शास्त्रीय संगीत का कार्यक्रम “गमक” का आयोजन होगा। यह सालाना समारोह भारतीय संगीत की अनादि परंपरा के श्रेष्ठ कला मनीषी संगीत सम्राट तानसेन को श्रद्धांजलि व स्वरांजलि देने के लिये पिछले 96 साल से आयोजित हो रहा है।
संगीत सभाओं में इनका होगा ध्रुपद गायन

तानसेन समारोह (Tansen samaroh) के तहत पहली संगीत सभा 26 दिसम्बर को सायंकाल 6 बजे आयोजित होगी। इस सभा की शुरूआत माधव संगीत महाविद्यालय के ध्रुपद गायन के साथ होगी। इसी तरह 27 दिसम्बर को प्रात:कालीन सभा प्रात: 10 बजे राजा मानसिंह तोमर संगीत एवं कला विश्वविद्यालय के और सांध्यकालीन सभा का आगाज शंकर गांधर्व महाविद्यालय के ध्रुपद गायन से होगा। तानसेन समारोह (Tansen samaroh) में 28 दिसम्बर की प्रात:कालीन सभा भारतीय संगीत महाविद्यालय व सायंकालीन सभा तानसेन संगीत महाविद्यालय तथा 29 दिसम्बर को प्रात:कालीन सभा ध्रुपद केन्द्र ग्वालियर व सांध्यकालीन सभा की शुरूआत साधना संगीत महाविद्यालय के ध्रुपद गायन से होगी। तानसेन समारोह के अंतिम दिन 30 दिसम्बर को बेहट में प्रात:कालीन सभा का शुभारंभ तानसेन संगीत कला केन्द्र बेहट के ध्रुपद गायन से होगा। समारोह की समापन सभा अर्थात गूजरी महल परिसर में सजने वाली सांध्यकालीन सभा की शुरूआत सारदानाद विद्या मंदिर के ध्रुपद गायन से होगी।

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