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हाईकोर्ट ने स्वीकार की खात्मा रिपोर्ट से 7 आरोपियों को मिली क्लीन चिट, 25 करोड़ रूपये के फ्रॉड को ईओडब्ल्यू नहीं कर पाया साबित

ग्वालियर. स्पेशल कोर्ट (भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम) ने ईओडब्ल्यू की खत्मा रिपोर्ट को स्वीकार कर लिया है। जिसमें ग्वालियर विकास प्राधिकरण (जीडीए) के अधिकारियों को जड़ेरूआकलां में जमीन आवंटन में कथित घोटाले में क्लीन चिट दी गयी थी। 25 करोड़ रूपये के फ्रॉड की खात्मा रिपोर्ट को मंजूरी देते हुए विशेष न्यायालय ने कहा है कि यह मामला शुरू से ही आधे अधूरे तथ्यों पर आधारित था।
शिकायतकर्ता जांच में सामने नहीं आया और न ही शिकायत में कोई ठोस सर्वे नम्बर, वास्तविक बाजार मूल्य या कथित हानि का प्रमाण था। शिकायत केवल आरोपों पर आधारित थी। जिन्हें साबित नहीं किया जा सका। ईओडब्ल्यू ने 6 वर्ष तक मामले की जांच की, लेकिन एफआईआर में दर्ज आरोपों को साबित नहीं कर पायी।
शिकायत में जमीन का गलत जगह बताई
जांच में पाया गया कि जिस जमीन को मुख्य सड़क पर बताया गया था। वह वास्तव में सड़क से 35 मीटर अंदर थी। बीच में सरकारी भूमि व अन्य प्लॉट मौजूद थे। इसलिये उच्च दर का मूल्यांकन लागू नहीं होता था। उस वक्त आवासीय भूमि की दर 2,200 रूपये प्रति वर्गमीटर और व्यावसायिक भूमि की 3,000 रूपये प्रति वर्गमीटर थी। जबकि शिकायत में मनमाने ढंग से करोड़ों का नुकसान बताया गया था।
इन अधिकारियों के खिलाफ दर्ज हुआ था प्रकरण

तत्कालीन जीडीए सीईओ व संयुक्त कलेक्टर इंदौर: एलएन अग्रवाल
तत्कालीन संपदा अधिकारी व एसडीएम सबलगढ़: रूपेश उपाध्याय
अधीक्षण यंत्री: यूएस मिश्रा
कार्यालय अधीक्षक: बृजभूषण मिश्रा
सहायक ग्रेड-3: कुशुम पांडे
तत्कालीन संयुक्त संचालक: बीके शर्मा
मनोज श्रीवास्तव, डायरेक्टर, एसोटेक कंस्ट्रक्शन कंपनी
कोई मिलीभगत या दुरुपयोग नहीं पाया गया
2008–09 के सर्कल रेट, भूमि आवंटन समिति का रिकॉर्ड, नगर निगम, राजस्व और पुलिस विभागों की जांच रिपोर्ट सभी ने पुष्टि की कि भूमि का आवंटन सही दर पर किया गया था। कोई भी प्रमाण नहीं मिला जिससे यह साबित हो कि किसी अधिकारी ने मिलीभगत कर सरकारी नुकसान पहुंचाने की कोशिश की। कोर्ट ने स्पष्ट लिखा कि न तो भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धाराएं लागू होती हैं, न ही IPC की धारा 409, 420 या 120-बी की साजिश साबित होती है। इसलिए दर्ज अपराध को समाप्त करते हुए अंतिम जांच प्रतिवेदन (क्लोजर रिपोर्ट) को स्वीकार कर लिया गया और सभी को आरोप मुक्त कर दिया गया।

 

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