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14 साल देरी से की रिट अपील खारिज, हाईकोर्ट ने कहा राहत नहीं दे सकते, दूसरों के अधिकार प्रभावित होंगे

ग्वालियर. हाईकोर्ट की डबल बेंच ने नियमितीकरण से संबंधित एक रिट अपील को 14 साल विलंब से दायर करने आधार पर खारिज कर दिया गया था। न्यायमूर्ति आनंद पाठक और न्यायमूर्ति पुष्पेन्द्र यादव की पीठ ने यह फैसला सुनाया है। न्यायालय ने अपने निर्णय में कहा था कि इतने लम्बे समय के बाद याचिकाकर्त्ता को राहत देने से उन व्यक्तियों के अधिकार प्रभावित हो सकते हैं। जिन्हें उस अवधि से नियुक्त था। नियमित किया गया था। यह मामला लोकेन्द्र सिंह से जुड़ा है। जिन्हें 10 सितम्बर 1988 को जेल में 89 दिनों के लिये दैनिक वेतन पर नियुक्त किया गया था। वर्ष 1999 में एक स्क्रीनिंग कमेटी ने नियमितीकरण के मामलों पर विचार किया। 18 मार्च 1़999 का हुई बैठक में 5 व्यक्तियों के नियमितीकरण की सिफारिश की गयी थी।
क्या है मामला
अपीलकर्ता लोकेंद्र सिंह का नाम ओबीसी श्रेणी में कोई रिक्त पद उपलब्ध न होने के कारण इस सूची में शामिल नहीं किया गया था। हालांकि, उन्हें बाद में 06 मई 2006 को गार्ड के पद पर नियमित कर दिया गया था। लोकेंद्र सिंह के वकील ने तर्क दिया कि उनके मामले को गलत आधार पर खारिज किया गया था, क्योंकि सामान्य श्रेणी में एक पद रिक्त था, जिस पर विचार किया जा सकता था। वहीं, राज्य सरकार के वकील ने याचिका दायर करने में हुए अत्यधिक विलंब को मुख्य आधार बनाया। कोर्ट ने टिप्पणी की कि अपीलकर्ता ने 18 मार्च 1999 की स्क्रीनिंग कमेटी की सिफारिश के खिलाफ लगभग 14 साल तक कोई कानूनी कार्रवाई नहीं की। यदि इतने लंबे विलंब के बाद उन्हें राहत दी जाती, तो इससे वर्ष 1999 से 2006 के बीच नियुक्त या नियमित हुए अन्य व्यक्तियों की वरिष्ठता और अन्य लाभों के अधिकार प्रभा

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