नगर निगम की फाइलों में फंसी हार्वेस्टिंग, 1414mm वर्षा हो चुकी और 5.50 अरब लीटर पानी बह गया
ग्वालियर. शहर के भीतर 3044 कुएं -बावड़ी और 3.44 लाख संपत्तियां मौजूद है। तब भी वाटर हार्वेस्टिंग पर ठोस प्रबंधन नगरनिगम क इंजीनियर नहीं कर पाये। अभी भीद स्तावेजों में वाटर हार्वेस्टिंग कराने के लिये टेण्डर का प्लान दौड़ रहा है। नतीजा नगरीय क्षेत्र 425 वर्ग किमी एरिया में 1414 मिली लीटर पानी बरस चुका है। वाटर हार्वेस्टिंग के पुराने सिस्टम भी बेकार होने और नयी व्यवस्था न हो पानी से 425 किमी एरिया से 5.50 खरब लीटर पानी नाले -नालियों के सहारा बह गया है। नगरनिगम ने पिछले कुछ वर्षो में शहर के अन्दर 70 शौचालय सीटी-पीट पर वाटर हार्वेस्टिंग कराने का दावा किया था। वह अब ढूंढे नहीं मिलेंगे। यदि मिल भी गये तो बेकार स्थिति में होंगे। इसके अलावा 500 निजी भवनों पर हार्वेस्टिंग कराई गयी है।
गौरतलब है कि निगम ने एक नियम निकाला था। उसके हिसाब से भवन अनुमति लेने वाले से पैसा जमा कराया जाता है। उक्त राशि तब वापिस होती है। जब वाटर हार्वेस्टिंग हो जाती है। अभी तक निगम के पास कोई पैसा वापिस लेने नहीं आया है। यह राशि चार करोड़ रूपये अधिक की हो चुकी है।
हार्वेस्टिंग के लिये नगरनिगम ने बनाया था प्लान
नगर निगम ने वर्षा से पहले वाटरहार्वेस्टिंग का एक प्लान बनाया था। उसमें निगम की सभी बिल्डिंग पर वाटर हार्वेस्टिंग का प्लान था। इसके साथ ही अन्य शासकीय विभाग और निजी लोग वाटर हार्वेस्टिंग कराना चाहेंगे तो निगम उस काम में सहायता करेगा। इसके एवज में 6 प्रतिशत सुपरविजन चार्ज लिया जायेगा। इस तरह का प्रस्ताव बनाकर टेण्डर तैयार किया था। यह टेण्डर 2 करोड़ रूपये का बताया गया है।
मॉनीटरिंग न होने से बर्बाद हो रही वाटर हार्वेस्टिंग
लोनिवि रेस्ट हाउस: अब पर्यटन निगम को मिल चुका है। यहां पर वाटर हार्वेस्टिंग विधिवत की गई थी। वर्तमान में सब कुछ बेकार हो चुकी है।
आरआई सेंटर: सिटी सेंटर स्थित आरआई सेंटर की वाटर हार्वेस्टिंग भी बेकार हो चुकी है।
आकाशवाणी शुलभ शौचालय: यहां पर पिछले साल गड्ढा कर छोड़ दिया गया था। गड्ढे में टॉयलेट की टूटी सीट पड़ी है। न पाइप छत में लगा न कोई सिस्टम।
थाटीपुर शौचालय: यहां पर पानी का पाइप लाकर गड्ढे में फीट किए गए टैंक से दूर छोड़ दिया गया है।
सुलभ शौचालय फूलबाग: यहां पर छत पूरी तरह सपाट है। पानी चारों तरफ गिरता है। तब भी वाटर हार्वेस्टिंग कर दी गई। बाहर गड्ढा कर छोड़ा गया।
नगर निगम इमारत-बाल भवन: यहां पर वाटर हार्वेस्टिंग कराई गईं। देखरेख के अभाव में बेकार हो चुकी हैं। उनकी सफाई तक नहीं हुई। यही हाल चिड़ियाघर की वाटर हार्वेस्टिंग के हालात भी ऐसे ही हैं।

